देशमुख मामले में सीबीआई को दस्तावेज उपलब्ध नहीं कराए 

HC expressed displeasure over the stand of the state government
देशमुख मामले में सीबीआई को दस्तावेज उपलब्ध नहीं कराए 
राज्य सरकार के रुख पर जताई नाराजगी  देशमुख मामले में सीबीआई को दस्तावेज उपलब्ध नहीं कराए 

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने राज्य के पूर्व गृहमंत्री अनिल देशमुख से जुड़े भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच के लिए राज्य सरकार द्वारा सीबीआई को जरुरी दस्तावेज न उपलब्ध कराने के रुख पर सवाल उठाए हैं। कोर्ट ने कहा कि जब तक सीबीआई राज्य के पुलिस महकमे के तबादले व तैनाती से जुड़े दस्तावेजों को देखेगी नहीं तब तक यह कैसे निष्कर्ष निकाला जाएगा कि दस्तावेजों का देशमुख मामले से कोई संबंध है कि नहीं। इससे पहले राज्य सरकार ने हाईकोर्ट में हलफनामा दायर कर दावा किया कि देशमुख मामले को लेकर सीबाआई महाराष्ट्र सरकार से जो दस्तावेज मांग रही है वे अप्रसांगिक है। इनका देशमुख के भ्रष्टाचार से जुड़े मामले से कोई लेना देना नहीं है। न्यायमूर्ति एसएस शिंदे व न्यायमूर्ति एनजे जमादार की खंडपीठ के सीबीआई की ओर से दायर आवेदन पर सुनवाई चल रही हैं। आवेदन में सीबीआई ने जांच में राज्य सरकार पर असहयोग का आरोप लगाया है। इसके साथ ही सीबीआई ने आवेदन में कहा है कि महाराष्ट्र सरकार की ओर से इस प्रकरण की जांच के लिए जरुरी दस्तावेज उपलब्ध नहीं कराए जा रहें हैं। दोनों पक्षों को सुनने के बाद खंडपीठ ने कहा कि राज्य सरकार ने पहले कहा था कि वह इस मामले की जांच के विरुद्ध कुछ नहीं करेगी तो अब सरकार क्यों जांच का विरोध कर रही है। हमारे पास कहने को कुछ शब्द नहीं है। आखिर सरकार ऐसा क्यों कर रही है।  

जवाब में राज्य सरकार की ओर से पैरवी कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता रफीक दादा ने कहा कि कोर्ट ने अपने आदेश में यह नहीं कहा है कि राज्य सरकार सीबीआई को दस्तावेज देने के लिए बाध्य है। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि सीबीआई देशमुख के सहयोगियों व उनसे संबंधित पहलू की जांच कर सकती है। इस पर खंडपीठ ने कहा कि जब तक सीबीआई दस्तावेज देखेगी नहीं तब तक यह कैसे निष्कर्ष निकालेगी कि दस्तावेजों का देशमुख मामले से संबंध है अथवा नहीं। खंडपीठ ने कहा कि हमने कहा था कि राज्य सरकार की ओर से किए अन्य तबादलों की जांच करने का सीबीआई को निरंकुश अधिकार नहीं है किंतु सीबीआई तो वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी रश्मि शुक्ला की ओर से पुलिस महकमे में तबादले व तैनाती में भ्रष्टाचार को लेकर सौपी गई रिपोर्ट मांग रही है। इन दस्तावेजों को लेकर सरकार को आपत्ति नहीं होनी चाहिए। जिस अवधि तक देशमुख राज्य के गृहमंत्री के पद पर थे उस अवधि के दस्तावेज सीबीआई के लिए जरुरी हो सकते हैं। खंडपीठ ने राज्य सरकार की ओर से पैरवी कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता रफिक दादा को कहा कि वे बताए कि सरकार सीबीआई के साथ कौन से दस्तावेज साझा कर सकती है। सरकार हमारे सामने उन दस्तावेजों की सूची पेश कर जो वह सीबीआई के साथ साझा करने की इच्छुक है।

इससे पहले सीबीआई की ओर से पैरवी कर रहे एडिशनल सॉलिसिटर जनरल अमन लेखी ने खंडपीठ के सामने कहा कि राज्य सरकार इस मामले की जांच के लिए सीबीआई को दस्तावेज न देकर कोर्ट की ओर से पिछले माह जारी किए गए आदेश की अवमानना कर रही है। क्योंकि कोर्ट ने अपने आदेश में स्पष्ट किया है कि सीबीआई राज्य के पुलिस विभाग के तबादले व तैनाती व सहायक पुलिस निरीक्षक सचिन वाझे (अब बर्खास्त) के सेवा बहाली के पहलू की जांच कर सकती है। खंडपीठ ने 24 अगस्त 2021 को इस मामले की अगली सुनवाई रखी है। 


 

Created On :   20 Aug 2021 5:27 PM IST

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