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शिवाजी पार्क में शपथ ग्रहण पर हाईकोर्ट ने जताई चिंता, कहा-सुरक्षा बड़ा मसला
डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने शपथ ग्रहण के लिए शिवाजी पार्क के इस्तेमाल को लेकर सवाल उठाते हुए चिंता जाहिर की है। शिवसेना पक्ष प्रमुख उध्दव ठाकरे गुरुवार को शिवाजी पार्क में आयोजित होनेवाले समारोह में मुख्यमंत्री के रुप में शपथ लेनेवाले है। हाईकोर्ट में इस विषय पर विकॉम ट्रस्ट की ओर से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई चल रही है। याचिका में कहा गया है कि शिवाजी पार्क एक खेल का मैदान है यहां पर राजनीतिक रैलियों के आयोजन पर रोक लगाई जाए। शिवाजी पार्क में लाउडस्पीकर के इस्तेमाल पर भी प्रतिबंध लगाया जाए और ध्वनि प्रदूषण से जुड़े नियमों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए। बुधवार को यह याचिका न्यायमूर्ति एससी धर्माधिकारी व न्यायमूर्ति रियाज छागला की खंडपीठ के सामने सुनवाई के लिए आयी। इस दौरान खंडपीठ ने कहा कि कल्पना किजिए शिवाजी पार्क के मैदान और वहां कि गलियों का क्या होगा जब वहां चार से पांच लाख लोग इकट्ठा होंगे। ऐसी स्थिति में यह मैदान स्थानीय लोगों व वरिष्ठ नागरिकों के लिए उपलब्ध नहीं होगा। यह सिर्फ एक पहलू है। इसके अलावा शपथ ग्रहण समारोह के लिए मंच तैयार करने व दूसरी तैयारियों के लिए ट्रकों में भरकर सामाग्री लाई जाएगी। बड़े पैमाने पर पार्किंग का प्रश्न उपस्थित होगा। साथ ही सुरक्षा का मसला भी महत्वपूर्ण है। हालांकि हमारी प्रार्थना रहेगी की कार्यक्रम के दौरान किसी प्रकार की अप्रिय घटना न घटे। खंडपीठ ने कहा कि हमे आशंका है कि कही शिवाजी पार्क में नियमित अंतरात पर ऐसे कार्यक्रम न हो जो शिवाजी पार्क की विशेषता बन जाएं। इससे पहले मुंबई महानगरपालिका की ओर से पैरवी कर रहे अधिवक्ता ने कहा का नियमानुसार साल के 45 दिन शिवाजी पार्क का इस्तेमाल खेल के अलावा अन्य गतिविधियों के लिया किया जाता है। पिछले चार सालों में यह नियम एक बार भी नहीं टूटा है। इस पर खंडपीठ ने कहा कि मनपा, पुलिस प्रशासन व राज्य सरकार इस तरह काम नहीं कर सकती है। मैदान में लगातार खेल को छोड़कर दूसरी गतिविधियों के आयोजन के लिए अनुमति नहीं देनी चाहिए। मनपा को इसके लिए ठोस नीति तैयार करनी चाहिए। खंडपीठ ने मामले की अगली सुनवाई के दौरान मनपा को हलफनामा दायर करने को कहा है कि खेल के अलावा शिवाजी पार्क में दूसरे कार्यक्रमों के आयोजन की अनुमति क्यों दी जाती है। खंडपीठ ने कहा कि अब समय आ गया है कि उच्च पदों पर बैठे अधिकारी जैसे मुंबई महानगरपालिका के आयुक्त व पुलिस आयुक्त शिवाजी पार्क में आयोजित होनेवाले कार्यक्रम से पैदा होनेवाली समस्याओं के बारे में बोले। खंडपीठ ने फिलहाल मामले की सुनवाई 12 दिसंबर तक के लिए स्थगित कर दी है।
अवैध पुलिस चौकियों को नियमित करने आवेदन करें विभाग
बांबे हाईकोर्ट ने उस दलील पर सहमति व्यक्त की है जिसमें सार्वजनिक स्थलों व फुटपाथ पर बनी अवैध पुलिस चैकियों को जनहित में बताया गया था। इसी के साथ ही हाईकोर्ट ने पुलिस विभाग को निर्देश दिया है कि वह अनधिकृत पुलिस चौकियों को नियमित करने के लिए मुंबई महानगरपालिका के पास आवेदन करे और मनपा इन आवेदन पर 6 महीने के भीतर निर्णय ले। सार्वजनिक स्थलों व फुटपाथ पर बनी सौ से अधिक अवैध पुलिस चौकियों को गिराने की मांग को लेकर सामाजिक कार्यकर्ता इंदुर चुगानी ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। याचिका में दावा किया गया था कि इन चौकियों के चलते न सिर्फ वाहनों का आवागमन प्रभावित होता है बल्कि ट्रैफिक के लिए भी परेशानी होती। यह चौकियां नियमों का उल्लंघन कर बनाई गई हैं। वहीं एक याचिका पुलिस चौकियों के समर्थन में दायर की गई थी। न्यायमूर्ति आरवी मोरे व न्यायमूर्ति एमएस कर्णिक की खंडपीठ के सामने इन याचिकाओं पर सुनवाई हुई। इस दौरान सहायक सरकारी वकील प्राजक्ता शिंदे ने कहा कि पुलिस विभाग की ओर से अनाधिकृत पुलिस चौकियों को नियमित किए जाने को लेकर मनपा के पास आवेदन किया जाएगा। जबकि पुलिस चौकियों का समर्थन करने वाली याचिका दायर करने वाले याचिकाकर्ता की ओर से पैरवी कर रही अधिवक्ता फरहाना शाह ने कहा कि संवेदनशील इलाकों में पुलिस चौकियां जरुरी हैं। यह पुलिस चौकियां जनहित में हैं। इस दलील पर सहमति व्यक्त करते हुए खंडपीठ ने कहा कि पुलिस विभाग अवैध चौकियो को नियमित करने को लेकर दस सप्ताह के भीतर आवेदन करे और मुंबई महानगरपालिका इस आवेदन पर 6 महीने के भीतर निर्णय ले। यह निर्देश देते हुए खंडपीठ ने मामले से जुड़ी इस जनहित याचिका को समाप्त कर दिया।
Created On :   27 Nov 2019 7:58 PM IST