भोपाल के चार थानों के CCTV फुटेज सुरक्षित रखने का आदेश, अवैध हिरासत में रखने का मामला

HC orders to protect CCTV footage of four Police Station of Bhopal
भोपाल के चार थानों के CCTV फुटेज सुरक्षित रखने का आदेश, अवैध हिरासत में रखने का मामला
भोपाल के चार थानों के CCTV फुटेज सुरक्षित रखने का आदेश, अवैध हिरासत में रखने का मामला

डिजिटल डेस्क, जबलपुर। हाईकोर्ट ने भोपाल के हबीबगंज, गोविंदपुरा, बिलखिरिया और ऐशबाग थानों के 17 से 20 दिसंबर 2018 तक के CCTV फुटेज सुरक्षित रखने का आदेश दिया है। मामला भोपाल निवासी एक युवक को अवैध रूप से हिरासत में रखने का है। जस्टिस अतुल श्रीधरन की एकल बेंच ने आदेश की कम्पालाइंस रिपोर्ट 5 फरवरी को पेश करने को कहा है।

भोपाल के ओल्ड सुभाष नगर निवासी भूपेन्द्र सिंह चौहान की ओर से दायर याचिका में कहा गया कि 18 दिसंबर को रात 9.30 बजे कई पुलिस कर्मी उसके घर पहुंचे। पुलिस कर्मियों ने उसके घर का CCTV तोड़ दिया। इसके बाद उसे पुलिस कर्मी हबीबगंज थाने लेकर पहुंचे। उसे रात भर हबीबगंज थाने में रखा गया। 19 दिसंबर को सुबह 4 बजे उसे गोविंदपुरा थाने ले जाया गया, जहां पर उसके साथ मारपीट की गई। 19 दिसंबर की दोपहर उसे बिलखिरिया थाने ले जाया गया, जहां पर उससे कोरे कागजों पर दस्तखत कराए गए। 19 दिसंबर की शाम को उसे ऐशबाग थाने लाया गया। यहां पर कुछ देर उसे रखने के बाद उसे छोड़ दिया गया।

अधिवक्ता मनोज चतुर्वेदी ने तर्क दिया कि याचिकाकर्ता ने उसे अवैध रूप से हिरासत में रखने के मामले में भोपाल की जिला अदालत में प्रकरण दायर किया है। इस प्रकरण में हबीबगंज, गोविंदपुरा, बिलखिरिया और ऐशबाग थानों के CCTV फुटेज महत्वपूर्ण साक्षय है। पुलिस द्वारा 30 दिन के भीतर CCTV फुटेज नष्ट कर दिए जाते हैं। एकल बेंच से अनुरोध किया गया कि युवक को अवैध रूप से हिरासत में रखे जाने के CCTV फुटेज सुरक्षित रखने के निर्देश दिए जाए। सुनवाई के बाद एकल बेंच ने भोपाल के चार थानों के 17 से 20 दिसंबर तक के CCTV फुटेज सुरक्षित रखने का आदेश दिया है।

शहडोल कलेक्टर पर हाईकोर्ट ने लगाई 5 हजार रुपए की कॉस्ट
हाईकोर्ट ने पेंशन प्रकरण में पर्याप्त अवसर देने के बाद भी जवाब पेश नहीं करने पर शहडोल कलेक्टर पर 5 हजार रुपए की कॉस्ट लगाई है। जस्टिस पीके जाससवाल की एकल बेंच ने शहडोल कलेक्टर को दो सप्ताह के भीतर जवाब पेश करने का निर्देश दिया है। प्रकरण की अगली सुनवाई 4 फरवरी को नियत की गई है। शहडोल निवासी मधु एरन की ओर से दायर याचिका में कहा गया कि वह शहडोल में राजस्व विभाग में कार्यरत थी। उसने वर्ष 2006 में स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले ली थी। इसके बाद से उसे पेंशन मिल रही थी। राजस्व विभाग ने वर्ष 2010 में उसे आरोप-पत्र देकर उसकी सेवा समाप्त कर दी। इसके बाद विभाग ने उसकी पेंशन भी बंद कर दी।

याचिका में कहा गया कि याचिकाकर्ता ने वर्ष 2006 में स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले ली थी। नियमों के अनुसार स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति के बाद किसी कर्मचारी की सेवा समाप्त कर पेंशन बंद नहीं की जा सकती है। जुलाई 2018 में एकल बेंच ने शहडोल कलेक्टर को 6 सप्ताह में जवाब पेश करने की अंतिम मोहलत दी थी। शुक्रवार को सुनवाई के दौरान भी जवाब पेश नहीं किया गया। अधिवक्ता पी. शंकरन नायर ने तर्क दिया कि जानबूझकर जवाब पेश करने में विलंब किया जा रहा है। सुनवाई के बाद एकल बेंच ने शहडोल कलेक्टर पर 5 हजार रुपए की कॉस्ट लगाते हुए दो सप्ताह में जवाब पेश करने का निर्देश दिया है।

 

Created On :   20 Jan 2019 12:25 PM GMT

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