- Home
- /
- राज्य
- /
- महाराष्ट्र
- /
- मुंबई
- /
- मंत्री मलिक पर सीधे-सीधे रोक लगाने...
मंत्री मलिक पर सीधे-सीधे रोक लगाने से कोर्ट ने किया इनकार
डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने सोमवार को राज्य के अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री नवाब मलिक पर सीधे-सीधे नार्कोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) के क्षेत्रिय निदेशक समीर वानखेडे पर सार्वजनिक बयानबाजी, ट्वीट व सोशल मीडिया पर पोस्ट करने से रोकने से मना कर दिया है। किंतु प्रथम दृष्टया कोर्ट ने मंत्री मलिक द्वारा एनसीबी अधिकारी वानखेडे के खिलाफ किए गए ट्विट को दुर्भावना व व्यक्तिगत रंजिश से प्रेरित बताया है। हाईकोर्ट ने मंत्री मलिक को निर्देश दिया है कि वे वानखेड़े परिवार पर मीडिया ( प्रिंट व इलेक्ट्रानिक),सोशल मीडिया पर पोस्ट करने से पहले तथ्यों का तर्कसंगत तरीके से सत्यापन करे। हाईकोर्ट ने यह अंतरिम फैसला वानखेडे के पिता ज्ञानदेव की ओर से दायर किए गए मानहानि के दावे पर सुनवाई के बाद दिया है। कोर्ट ने मामले को लेकर 17 नवंबर 2021 को अपना फैसला सुरक्षित किया था। जिसे सोमवार को सुनाया गया है।न्यायमूर्ति माधव जामदार ने 50 पन्ने के अपने फैसले में कहा है कि प्रथम दृष्टया मंत्री मलिक द्वारा एनसीबी अधिकारी वानखेडे के खिलाफ किए गए ट्विट दुर्भावान व व्यक्तिगत रंजिश से प्रेरित नजर आ रहे है। न चूंकि वानखेडे सरकारी अधिकारी है। इसलिए मंत्री मलिक ने वानखेडे पर जो आरोप लगाए है वे वानखेडे के एनसीबी अधिकारी के रुप में उनके कार्य के सार्वजनिक दायित्वों से जुड़े है। ऐसे में मंत्री पर पूरी तरह से वानखेडे खिलाफ बोलने पर प्रतिबंध नहीं लगाया जा सकता है। लेकिन मंत्री आगे से मीडिया में वानखेडे व उनके परिवार के खिलाफ सार्वजनिक बयान देने,मीडिया व सोशल मीडिया में पोस्ट करने से पहले तथ्यों का तर्कसंगत तरीके से सत्यापन करें। गौरतलब है कि मंत्री मलिक ने पिछले दिनों एनसीबी अधिकारी वानखेडे पर आरोप लगाया था कि वे मुस्लिम के रुप में पैदा हुए है। और उन्होंने फर्जी तरीके से खुद को अनुसूचित जाति बताकर केंद्र सरकार की नौकरी हासिल की है। इसके साथ ही मलिक ने दावा किया था कि एनसीबी अधिकारी का नाम समीर दाऊद वानखेडे न की समीर ज्ञानदेव वानखेडे।
मंत्री मलिक के दावों को आपत्तिजनक बताते हुए वानखेडे के पिता ने हाईकोर्ट में मानहानि का दावा दायर किया था।जिसमें उन्होंने सवा करोड़ रुपए के मुआवजे व अंतरिम राहत के रुप में मंत्री मलिक को उनके परिवार(वानखेडे) के बारे में मीडिया में बोलने व सोशल मीडिया में पोस्ट करने से रोकने का निर्देश देने की मांग की थी। न्यायमूर्ति ने अब इस मामले की अगली सुनवाई 20 दिसंबर 2021 को रखी है।
अन्याय के खिलाफ लड़ाई जारी रहेगी-मलिक
कोर्ट के इस फैसले के बाद मंत्री नवाब मलिक ने कहा है कि बोलने की आजादी सभी नागरिकों का मौलिक अधिकार है। जिम्मेंदारी से कोई बोले तो उस पर कोई पहरा व पाबंदी नहीं लगाई जा सकती है। उन्होंने कहा कि हम हाईकोर्ट के फैसले का स्वागत करते है। लेकिन अन्याय के खिलाफ हमारी लड़ाई जारी रहेगी। सत्यमेव जयते।
Created On :   22 Nov 2021 9:31 PM IST