महाराष्ट्र सत्ता संघर्ष पर अब 14 मार्च को फिर शुरू होगी सुनवाई

Hearing on Maharashtra power struggle will resume on March 14
महाराष्ट्र सत्ता संघर्ष पर अब 14 मार्च को फिर शुरू होगी सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट महाराष्ट्र सत्ता संघर्ष पर अब 14 मार्च को फिर शुरू होगी सुनवाई

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। महाराष्ट्र के सत्ता संघर्ष पर गुरुवार को पूरी होने वाली सुनवाई दो हफ्ते के लिए फिर टल गई है। मामले की अंतिम दौर में पहुंची सुनवाई शिंदे और ठाकरे गुट के वकीलों की दलीलें पूरी होने के बाद समाप्त होने वाली थी, लेकिन शिंदे गुट के वकील हरीश सालवे अचानक ऑनलाइन जुड़ने के बाद उनकी दलीले पूरी नहीं होने की स्थिति में कोर्ट को सुनवाई आगे बढानी पड़ी। अब मामले में संविधान पीठ 14 मार्च को फिर से सुनवाई शुरु करेगी।

वरिष्ठ वकील हरीश सालवे ने यह कहकर अपनी दलीलें शुरू की कि यह मामला राजनीति के दायरे में आता है न कि अदालतों के। उन्होंने उद्धव ठाकरे के फ्लोर टेस्ट का सामना नहीं करने के मुद्दे पर जोर देते हुए शक्ति परीक्षण को लेकर राज्यपाल की भूमिका को सही बताया। कहा कि राज्यपाल ने उद्धव ठाकरे को शक्ति परीक्षण के लिए बुलाया था, लेकिन उन्होंने फ्लोर टेस्ट से पहले ही मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। राज्यपाल के पास कोई विकल्प नहीं था। लिहाजा उन्होंने एकनाथ शिंदे को शक्ति परीक्षण के लिए आमंत्रित किया और शिंदे इसमें सफल रहे। फ्लोर टेस्ट नहीं होता तो कैसे जान पाते कि किसने किसका समर्थन किया?

सालवे ने आगे कहा कि शिंदे ने फ्लोर टेस्ट का सामना किया तो क्या हुआ। ठाकरे के कट्टर समर्थकों में से 13 मतदान से दूर रहे। सालवे ने एसआर बोम्मई केस का हवाला देते हुए कहा कि फैसले के अनुसार स्पीकर या राज्यपाल को बहुमत निर्धारित करने के लिए गणित नहीं सौंपा गया था, बल्कि राज्यपाल को फ्लोर टेस्ट के लिए बुलाने का काम सौंपा गया था। उन्होंने कहा राज्यपाल को सिर नहीं गिनने हैं, लेकिन मिस्टर सिब्बल और सिंघवी आपसे सिर गिनने के लिए कह रहे हैं। राज्यपाल जो शुरू नहीं कर सकते, वह न्यायपालिका को शुरू करने के लिए कहा जा रहा है। इससे ज्यादा खतरनाक कुछ नहीं हो सकता।

सालवे ने 10वीं अनुसूची में कई खामियां होने की बात कहते हुए उन्हे ठीक करने की आवश्यकता बताई। उन्होंने यह भी कहा कि नबाम रेबिया के फैसले को शक्ति के रुप में नहीं बल्कि आचार संहिता को निर्धारित करने के रुप में पढ़ा जाना चाहिए। इस पर सीजेआई ने मौखिक रुप से टिप्पणी की कि आप नबाम रेबिया को एक पूर्ण सिद्धांत के रुप में नहीं पढ रहे है कि स्पीकर को अपने अधिकार क्षेत्र का उपयोग करने से अक्षम कर दिया जाता है, जब उनके हटाने का प्रस्ताव लंबित होता है। इसके बाद सीजेआई ने कहा कि आगे की सुनवाई अब 14 मार्च को फिर से शुरू होगी।

 

Created On :   2 March 2023 3:25 PM GMT

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