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ठाकरे परिवार की संपत्ति को लेकर दायर याचिका पर होगी सुनवाई
डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने कहा कि वह शिवसेना (उद्धव गुट) पक्ष प्रमुख उद्धव ठाकरे व उनके परिवार के लोगों की कथित बेहिसाबी संपत्ति की जांच की मांग को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई करेगी लेकिन इससे पहले याचिकाकर्ता को कोर्ट प्रशासन (रजिस्ट्री) की ओर से याचिका को लेकर उठाई गई आपत्तियों को दूर करना होगा। इस संबंध में मुंबई निवासी गौरी भिडे ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की है। याचिका में मुख्य रुप से राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और उनके परिवार की बेहिसाबी संपत्ति की जांच केंद्रीय जांच एजेंसी सीबीआई व प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) से कराए जाने का निर्देश देने का आग्रह किया गया है। चिका में ठाकरे की पत्नी रश्मि व उनके बेटे एवं पूर्व मंत्री आदित्य को भी पक्षकार बनाया गया है।
बुधवार को न्यायमूर्ति एसवी गंगापुरवाला व न्यायमूर्ति आरएन लद्धा की खंडपीठ के सामने यह याचिका सुनवाई के लिए आयी। इस दौरान खंडपीठ ने पाया कि कोर्ट प्रशासन ने याचिका को लेकर कई आपत्तियां दर्ज की है। इसके मद्देनजर खंडपीठ ने कहा है कि हम याचिका पर सुनवाई करेंगे लेकिन इससे पहले याचिकाकर्ता याचिका से जुड़ी आपत्तियों को दूर करें। खंडपीठ ने अब इस याचिका पर 16 नवंबर को सुनवाई रखी है।
याचिका में दावा किया गया है कि ठाकरे, उनकी पत्नी रश्मि व बेटे आदित्य ने आधिकारिक रुप से कभी अपने आय के स्त्रोत के रुप में अपने पेशे, नौकरी व कारोबार की घोषणा नहीं की हैं। फिर भी वे मुंबई व रायगढ में करोड़ो रुपए की संपत्ति के मालिक हैं। याचिका में दावा किया गया है कि पिछले दिनों ईडी व सीबीआई ने ठाकरे के करीबियों के यहां छापेमारी की थी। जिनके पास बड़े पैमाने पर बेहिसाबी संपत्ति मिली थी। इस दौरान खुलासा हुआ था कि जिनके यहां छापेमारी की गई है वे ठाकरे परिवार के बेहद करीबी हैं। याचिका में कहा गया है कि ठाकरे परिवार की ओर से मार्मिक पत्रिका व ‘सामना’ अखबार निकाला जाता है लेकिन आडिट ब्यूरो ऑफ सर्कुलेशन ने कभी इन दोनों पत्र-पत्रिका की पड़ताल नहीं की। याचिका में दावा किया गया है कि कोरोना काल में लॉकडाउन के दौरान देशभर में जब प्रिंट मीडिया ने काफी नुकसान झेला था। उस समय ठाकरे परिवार से जुड़ी प्रबोधन प्रकाशन प्राइवेट लिमिटेड कंपनी ने 42 करोड़ रुपए का टर्नओवर दिखाया था। जिसमें 11.5 करोड़ रुपए का मुनाफा था।
याचिका में दावा किया गया है कि टर्नओवर की आड में काले पैसे को सफेद किया गया है। याचिका में दावा किया गया है कि मुंबई महानगरपालिका से अकुत पैसे इकट्ठा किए गए हैं। जिसे कंपनी के टर्नओवर में दिखाया गया है। याचिकाकर्ता भिडे ने कहा है कि उन्होंने इस संबंध में मुंबई पुलिस आयुक्त, पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा के पास भी शिकायत की है। लेकिन इस पर अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है। इसलिए याचिका पर शीघ्रता से सुनवाई की जाए।
Created On :   19 Oct 2022 9:07 PM IST