स्वच्छता का संदेश देने स्वयंसेवी संस्थाओं से ली जा रही मदद, 18 लाख खर्च

Help being received from voluntary organizations to give message of cleanliness
स्वच्छता का संदेश देने स्वयंसेवी संस्थाओं से ली जा रही मदद, 18 लाख खर्च
स्वच्छता का संदेश देने स्वयंसेवी संस्थाओं से ली जा रही मदद, 18 लाख खर्च

डिजिटल डेस्क, नागपुर। आगामी वर्ष 2020 की शुरुआत में शहर में स्वच्छता सर्वेक्षण होने जा रहा है। मनपा की कोशिश है कि सर्वेक्षण में उसकी रैंकिंग में और बेहतर सुधार हो। इसके लिए वह तीन स्वयंसेवी संस्थाओं की मदद भी ले रही है। संस्थाओं को बस्तियों में जाकर स्वच्छता के प्रति जनजागरण करने और संदेश देने तथा लोगों की मानसिकता बदलने का जिम्मा सौंपा गया है। तीन में से दो संस्थाएं नि:शुल्क काम कर रही हैं, जबकि एक संस्था अर्थात सेंटर फॉर सस्टेनेबल डेवलपमेंट पर मनपा ने करीब 18 लाख सालाना के हिसाब से खर्च किए हैं। इसके बावजूद शहर में स्वच्छता मामले में मनपा लगातार पिछड़ती दिख रही है। 
अधिकारियों के पास जवाब नहीं

साफ-सफाई के कामकाज को लेकर मनपा पर सवाल उठ रहे हैं। यह सवाल तब और गंभीर हो गए, जब शहर लगातार 10-12 दिन कचरे की भीषण समस्या से जूझता रहा। इस दौरान कोई भी संस्था सामने आकर काम करते नहीं दिखी। हालांकि सेंटर फॉर सस्टेनेबल डेवलपमेंट ने दावा किया कि वह नियमित तौर पर बस्तियों में जाकर जनजागरण कर रही है, लेकिन जब मनपा स्वास्थ्य विभाग से जुड़े दो बड़े अधिकारियों से पूछताछ की गई, तो वे भी कोई संतोषजनक जवाब नहीं दे पाए। वे भी नहीं पता पाए कि संस्था क्या काम कर रही है। उनके पास इस संबंध में कोई रिपोर्ट नहीं थी। इसके बाद मनपा आयुक्त से बात की गई।  मनपा आयुक्त अभिजीत बांगर ने माना कि अभी तक उन्होंने प्रत्यक्ष तौर पर इसकी फाइल देखी नहीं है। वे डॉक्युमेंट मंगवाकर इसकी जांच करेंगे।

एक-एक लाख जुर्माना के निर्देश
कनक रिसोर्सेस कंपनी का 15 नवंबर को ठेका खत्म हो गया है। इसी दिन से दो नई कंपनियां बीवीजी और एजी एनवायरो ने शहर में कामकाज संभाला। दोनों कंपनियां शुरुआती दिनों में व्यवस्था संभालने में नाकाम रहीं। जगह-जगह कचरे के ढेर और गंदगी का आलम रहा। ऐसे में शहर में कचरे की समस्या को लेकर हाहाकार मचा रहा। महापौर से लेकर आयुक्त तक सड़कों पर उतरे। कंपनियों पर नकेल कसी गई। महापौर ने कंपनियों पर एक-एक लाख का जुर्माना लगाने के निर्देश दिए। इस दौरान स्वयंसेवी संस्थाओं का मुद्दा चर्चा में आया। सवाल किया गया कि जब संस्थाओं को स्वच्छता पर जनजागरण करने का जिम्मा दिया गया है, तो वे इस समय कहां आए। तब खुलासा हुआ कि शहर में तीन संस्थाएं इस संबंध में काम कर रही हैं। दो संस्थाएं मनपा से जुड़कर नि:शुल्क काम कर रही है, जबकि सेंटर फॉर सस्टेनेबल डेवलपमेंट को निविदा के आधार पर चयनित किया गया। इस संस्था के पास कचरे पर जनजागरण के अलावा मालकी पट्टे का सर्वे और मैपिंग का भी काम है। मालकी पट्टे और सर्वे में संस्था के काम को लेकर कोई आपत्ति नहीं आई है, लेकिन स्वच्छता जनजागरण में जरूर सवाल उठ रहे हैं। लाखों रुपए जनजागरण पर खर्च करने के बावजूद मनपा को जो नतीजे चाहिए थे, वे नजर नहीं आ रहे हैं। 

हम पब्लिसिटी नहीं करते
हां, हमें निविदा अनुसार काम मिला है। स्लम में पट्टे वितरण के लिए सर्वे और मैपिंग का काम करते हैं। इसके अलावा स्वच्छ भारत अभियान में जनजागृति और वर्गीकरण को लेकर लोगों को जानकारी देते हैं। इसके लिए बस्तियों में जाकर जनजागरण किया जाता है। हम एकमात्र हैं, जो यह काम कर रहे हैं। बाकी कोई दिखाई नहीं देता है। कहां-कहां काम किया है, उसके जियोटैक फोटो दिखा सकते हैं। ऐसे-ऐसे इलाकों में गए हैं, जहां कोई पहुंच नहीं पाया है। रोजाना अधिकारियों को रिपोर्टिंग होती है। हम पब्लिसिटी नहीं करते हैं और न पेपरबाजी। शायद किसी को तकलीफ हो रही है। 
-लीना बुधे, संस्था चालक, सेंटर फॉर सस्टेनेबल डेवलपमेंट

अभी तक फाइल नहीं देखी 
सेंटर फॉर सस्टेनेबल डेवलपमेंट संस्था मालकी पट्टा वितरण क्षेत्र में काम करती है। किसी बैठक में स्वच्छता जनजागरण में भी इस संस्था का नाम आया था। इंफॉरमेशन, एजुकेशन एंड कम्यूनिकेशन का काम करते हैं। इसके लिए संस्था को भुगतान किया जाता है। इसमें क्या काम हुआ है, यह मैं जांच-पड़ताल करके बता पाऊंगा। इसका वेरिफिकेशन करता हूं। अभी तक मैंने प्रत्यक्ष में इसकी फाइल नहीं देखी है।  -अभिजीत बांगर, आयुक्त मनपा

Created On :   2 Dec 2019 6:12 AM GMT

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