हाईबीम हैड लाइट - रोज हो रहे हादसे, बुझ चुके हैं कई घरों के चिराग

High Beam Head Light - Accidents happening daily, the lamps of many houses have been extinguished
हाईबीम हैड लाइट - रोज हो रहे हादसे, बुझ चुके हैं कई घरों के चिराग
हाईबीम हैड लाइट - रोज हो रहे हादसे, बुझ चुके हैं कई घरों के चिराग

बड़ी विसंगति - मोटर व्हीकल एक्ट में नियम जरूर बने पर इसके तहत  कभी नहीं हुई कार्रवाई, चकाचौंध बन रही हादसों का कारण
डिजिटल डेस्क जबलपुर । 
वक्त के साथ बड़े व लग्जरी वाहनों में हाईबीम हैड लाइट का चलन बढ़ा है। नियमानुसार इसका उपयोग ज्यादा अँधेरे व विशेष परिस्थितियों में ही किया जाना चाहिए, लेकिन यह नियम केवल कागजों पर है। जानकारों के अनुसार शहर व आसपास पिछले तीन माह में एक दर्जन से अधिक सड़क हादसे ऐसे हुए हैं, जिनमें हाईबीम हैड लाइट की चकाचौंध ही घटना का प्रमुख कारण बनी। पड़ताल में यह बात भी सामने आई कि हाईबीम हैड लाइट जलाने वाले चालक सामने से वाहन आने पर भी डिपर नहीं देते। हालात यह बनते हैं कि छोटे व आदर्श साइज के लाइट वाले वाहनों के चालकों को चकाचौंध की वजह से दिखना बंद हो जाता है और इसी विसंगति के कारण कई घरों के चिराग तक बुझ जाते हैं।  हैरानी की बात यह है कि इस तरह के वाहन चालकों के खिलाफ आज तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई। 
१० से ६० सेकेण्ड तक विजन जीरो 
एक्सपर्ट के अनुसार हाईबीम हैड लाइट का सामने से आ रहे वाहन चालक पर कुछ इस तरह प्रभाव पड़ता है कि चकाचौंध आँखों के सामने १० से ६० सेकेण्ड तक उसे कुछ दिखाई ही नहीं देता है। विजन या दृष्टि इन हालातों में एकदम जीरो हो जाती है। ऐसा महसूस होता कि जैसे आँखों में धूल झोंक दी  गई हो। यदि उक्त व्यक्ति जिसकी आँखों में कुछ दिखाई न दे और वह चकाचौंध के बीच वाहन चलाएगा तो हादसे स्वाभाविक हैं। 
कई सरकारों ने उठाए ये कदम
उत्तराखण्ड सरकार ने हाईबीम हैड लाइट के इस्तेमाल पर रोक लगा दी है। हाईकोर्ट के आदेश पर वाहनों पर कार्रवाई की गई और अब इसका इस्तेमाल नहीं िकया जा सकता। इसी तरह देश में कई प्रदेश की सरकारों ने बढ़ते हादसों की वजह से इसके उपयोग पर रोक लगा दी है। आरटीओ संतोष पॉल कहते हैं कि जो निर्धारित नियम हैं हम उनका पालन कराते हैं। यदि नियम तोड़ा जाता है तो हम कार्रवाई भी कर रहे हैं। 

Created On :   6 July 2021 2:51 PM IST

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