हाईकोर्ट : तडवी आत्महत्या के आरोपी डॉक्टरों मांगी पढाई के लिए अनुमति, अब अवैध स्कूली वाहनों के खिलाफ विशेष अभियान

High Court: Accused of Tadvi suicide sought permission for studies
हाईकोर्ट : तडवी आत्महत्या के आरोपी डॉक्टरों मांगी पढाई के लिए अनुमति, अब अवैध स्कूली वाहनों के खिलाफ विशेष अभियान
हाईकोर्ट : तडवी आत्महत्या के आरोपी डॉक्टरों मांगी पढाई के लिए अनुमति, अब अवैध स्कूली वाहनों के खिलाफ विशेष अभियान

डिजिटल डेस्क, मुंबई। नायर अस्पताल की डाक्टर पायल तडवी की आत्महत्या के मामले में आरोपी तीन डाक्टरों ने बांबे हाईकोर्ट में याचिका दायर की है। याचिका में तीनों डाक्टरों ने अपनी जमानत की शर्तों को शिथिल करने की मांग की है ताकि वे अस्पताल में दोबारा अपनी पढाई शुरु कर सके और अगले साल होनेवाली परीक्षा में शामिल हो सके। इस मामले में डा. हेमा अहूजा, डा.भक्ति मेहरे व डा.अंकिता खंडेलवाल को आरोपी बनाया गया है। तीनों आरोपी डाक्टर फिलहाल जमानत पर है। इन तीनों आरोपी डाक्टरों को जमानत देते समय कोर्ट ने साफ किया था कि वे अदालत की अनुमति के बिना मुंबई से बाहर नहीं जाएगी। कोर्ट की इजाजत के बिना नायर अस्पताल व अपने मेडिकल कालेज में प्रवेश न करे। इसके अलावा कोर्ट ने  कहा था कि इन डाक्टरों का लाइसेंस मामले से जुड़े मुकदमे की सुनवाई पूरी होने तक निलंबित रहेगा। याचिका में तीनों डाक्टरों ने कहा है कि वे स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम के अंतिम वर्ष में है। यदि उन्हें कालेज जाने की इजाजत नहीं मिली तो वे मई 2020 में होनेवाली परीक्षा में शामिल नहीं हो पाएगी। क्योंकि पिछले 6 महीनों से वे कालेज नहीं गई है। इसलिए अब दिसंबर से कालेज में शुरु होनेवाले सत्र में उनका शामिल होना जरुरी है। जिससे वे अगले साल होनेवाली परीक्षा में शामिल हो पाएगी। इसलिए हम पर अस्पताल व कालेज जाने पर लगाई गई रोक को शिथिल कर दिया जाए। याचिका पर 2 दिसंबर को सुनवाई हो सकती है। गौरतलब है कि 22 मई को डाक्टर तडवी ने नायर अस्पताल के छात्रावास में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी। इस मामले में तीनों डाक्टरों पर डाक्टर तडवी को प्रताड़ित करने व आत्महत्या के लिए उकसाने का आरोप है। 

अवैध रुप से चलनेवाले स्कूली वाहनों के खिलाफ चलेगा विशेष अभियान

इसके अलावा राज्य सरकार ने बांबे हाईकोर्ट को सूचित किया है कि वह अवैध रुप से चलनेवाले स्कूली वाहनों के खिलाफ विशेष अभियान चलाएगी। यह अभियान 25 नवंबर से 10 दिसंबर के बीच चलाया जाएगा। सोमवार को राज्य के महाधिवक्ता आशुतोष कुंभकोणी ने बांबे हाईकोर्ट को यह जानकारी दी है। उन्होंने एक बार फिर स्पष्ट किया कि सरकार की ओर से आटोरिक्शा को स्कूली वाहन के रुप में चलने का लाइसेंस नहीं जारी किया गया और न आगे जारी किया जाएगा।  इसके अलावा जिन वाहनों की छत मुलायम होगी ऐसे वाहनों को भी स्कूली वाहन के रुप में नहीं चलने दिया जाएगा। परिवहन विभाग ने किन वाहनों को स्कूली वाहन के रुप में चलने की इजाजत दी जा सकती है उसका एक स्वरुप तय किया है। उसके अनुसार ही स्कूली वाहन के रुप में चलने का लाइसेंस जारी किया जाता है। परिवहन विभाग किसी भी तीनपहिया वाहन को स्कूल वाहन के रुप में चलने के लिए लाइेसेंस नहीं जारी करेगा। 
पैरेंटस टीचर्स एसोसिएशन ने इस विषय पर हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की है। याचिका में मांग की गई है कि मोटर वेहिकल कानून के तहत ही स्कूली वाहनों को लाइसेंस जारी किया जाए। परिवहन विभाग की ओर से 13 सीट से कम वाहनों को भी स्कूली वाहन के रुप में चलने की इजाजत दी जा रही है। जो नियमों के खिलाफ है। इसलिए इस पर रोक लगाई जाए। सिर्फ सुरक्षा से जुड़े नियमों का पालन करनेवालों वाहनों को स्कूल बस के रुप में चलाने दिया जाए। याचिका पर गौर करने के बाद खंडपीठ ने कहा कि अवैध वाहनों के खिलाफ नियमित अंतराल पर स्कूली वाहनों के खिलाफ अभियान जारी रहना चाहिए। क्योंकि स्कूली बच्चों सुरक्षा सबसे महत्वपूर्ण है। लेकिन इस मामले में अभिभावकों को भी यह देखना चाहिए की वे बच्चों को असुरक्षित वाहनों में स्कूल न भेजे। यह कहते हुए खंडपीठ ने मामले की सुनवाई स्थगित कर दी। 

Created On :   25 Nov 2019 10:06 PM IST

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