मेडिकल बोर्ड के इंकार के बावजूद हाईकोर्ट ने दी गर्भपात की अनुमति

High Court allows abortion despite Medical Boards refusal
मेडिकल बोर्ड के इंकार के बावजूद हाईकोर्ट ने दी गर्भपात की अनुमति
अविवाहित मां बनी तो बर्बाद होगा जीवन मेडिकल बोर्ड के इंकार के बावजूद हाईकोर्ट ने दी गर्भपात की अनुमति

डिजिटल डेस्क, मुंबई। यदि 18 साल की लड़की अविवाहित मां बनती है तो न सिर्फ लड़की का जीवन बर्बाद हो जाएगा, बल्कि लड़की के पूरे परिवार पर इसका बुरा असर पड़ेगा। दुर्भाग्यवश मेडिकल बोर्ड ने लड़की की भ्रूण की जांच के दौरान इस पहलू पर विचार नहीं किया है। यह बात कहते हुए बांबे हाईकोर्ट ने कक्षा 12 वीं पास एक लड़की को 26 सप्ताह के भ्रूण के गर्भपात की इजाजत दे दी है। इससे पहले लड़की ने याचिका में दावा किया था कि यदि वह बिन ब्याही मां बनती है तो इसका उसके मानसिक सेहत पर विपरीत असर पड़ेगा।

लड़की की याचिका पर गौर करने के बाद कोर्ट ने उसे जेजे अस्पताल के मेडिकल बोर्ड के पास जांच के लिए भेजा था। जांच के बाद कोर्ट को सौपी गई रिपोर्ट में मेडिकल बोर्ड ने साफ किया था कि उसे लड़की के भ्रूण में कोई विसंगति नजर नहीं आयी है। इसके अलावा लड़की ने अपनी जिस मानसिक परेशानी का दावा किया है उससे उसके जीवन को कोई बड़ा खतरा नहीं है। इसलिए गर्भपात के लिए यह मामला उपयुक्त नहीं है। हालांकि लड़की की ओर से पैरवी कर रहे वकील ने कहा कि बोर्ड ने लडकी की मानसिक स्थिति को नजरअंदाज किया है। खासतौर से उसकी आत्महत्या करने से जुड़ी प्रवृत्ति को। इसके अलावा मेरी मुवक्किल की उम्र महज 18 साल है। आगे उसका पूरा जीवन पड़ा है। ऐसे में उसे अनचाही संतान का मां बनने के लिए बाध्य करना संविधान के तहत उसे मिले जीवन के अधिकार का उल्लंघन है।

न्यायमूर्ति उज्जल भुयान व न्यायमूर्ति माधव जामदार की खंडपीठ ने मामले से जुड़े दोनों पक्षों को सुनने के बाद कहा कि याचिकाकर्ता (लड़की) समाज के काफी कमजोर तबके से आती है। उसके और भाई-बहन भी हैं। ऐसे में यदि वह 18 साल की उम्र में बिन व्याही मां बनती है तो इसका उसकी मानसिक सेहत व जीवन पर दुखद असर पड़ेगा। दुर्भाग्यवश मेडिकल बोर्ड ने इस पहलू को नजरअंदाज किया है। इसलिए लड़की को गर्भपात की इजाजत दी जाती है। 
 

Created On :   8 Oct 2021 2:04 PM GMT

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