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छात्रा को दिव्यांगता का प्रमाणपत्र नहीं देने पर सरकारी विभागों को HC ने लगाई फटकार
डिजिटल डेस्क, नागपुर। बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर बेंच ने एक छात्रा को दिव्यांगता का प्रमाणपत्र नहीं जारी करने वाले सरकारी विभागों को आड़े हाथों लिया है। गोंदिया के शासकीय चिकित्सा अस्पताल ने 21 वर्षीय छात्रा साची चुटे को कम हाईट होने का प्रमाणपत्र जारी करने से इनकार कर दिया था, जिसके खिलाफ उसने हाईकोर्ट की शरण ली थी। सुनवाई में कोर्ट के निरीक्षण में आया कि नियमों की आड़ में बेवजह छात्रा का प्रमाणपत्र रोका गया है। ऐसे में कोर्ट ने शासकीय चिकित्सा अस्पताल को तुरंत छात्रा की शारीरिक परीक्षण करके प्रमाणपत्र जारी करने के आदेश दिए। साथ ही मामले में लापरवाही बरतने वाले राज्य सामाजिक न्याय व अधिकारिता विभाग सचिव, स्वास्थ्य विभाग, दिव्यांग कल्याण विभाग आयुक्त, डीएमईआर संचालक और गोंदिया शासकीय अस्पताल अधिष्ठाता पर 1 हजार रुपए कॉस्ट लगाकर यह राशि याचिकाकर्ता को अदा करने के आदेश दिए। वहीं हाईकोर्ट ने राज्य मुख्य सचिव को इस प्रकरण में जांच बिठा कर दोषियों से यह राशि वसूल करने के आदेश दिए हैं।
इस वजह से नहीं हुआ स्वास्थ्य परीक्षण
सरकार का हाईकोर्ट में तर्क था कि राइट्स ऑफ पर्सन्स विद डिसएबिलिटीज एक्ट 2017 के रूल 18-5 के अनुसार केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित की गई तिथि के बाद ही किसी आवेदक का स्वास्थ्य परीक्षण किया जा सकता है। इसके खिलाफ छात्रा के अधिवक्ता ने दलील दी कि केंद्र द्वारा अधिसूचित तिथि के बाद ऑनलाइन प्रमाणपत्र जारी किया जाता है, इसका यह अर्थ नहीं है कि इसके पूर्व आवेदक को प्रमाणपत्र की हार्ड कॉपी नहीं दी जा सकती। रूल 18-5 के अनुसार केंद्र द्वारा अधिसूचित तिथि आने के बाद ऑनलाइन प्रमाणपत्र जारी किया जा सकता है। नियमों की आड़ में प्रमाणपत्र ही रोक देना सही नहीं है। जिसके बाद हाईकोर्ट ने यह आदेश जारी किया।
यह था मामला
छात्रा ने शासकीय चिकित्सा अस्पताल में दिव्यांगता प्रमाणपत्र के लिए आवेदन किया। उन्होंने स्वयं का कद 4 फीट 6 इंच बताकर राइट्स ऑफ पर्सन्स विद डिसएबिलिटीज एक्ट, 2016 के तहत "डॉर्फिज्म" का प्रमाणपत्र मांगा था। लेकिन अस्पताल ने उनका यह दावा खारिज कर दिया। अस्पताल ने कोर्ट में तर्क दिया था कि जब द पर्सन्स विद डिसएबिलिटिज एक्ट 1995 लागू था, उसमें "डॉर्फिज्म" को दिव्यांगता के रूप में मान्यता नहीं थी। वर्ष 2016 के नए अधिनियम में इसे मान्यता मिली। जब चुटे ने उनके पास आवेदन किया था, तब पुराने अधिनियम के अनुसार प्रमाणपत्र जारी किए जाते थे, नए अधिनियम के अनुसार सिस्टम अपडेट नहीं किया गया था।
Created On :   23 Aug 2018 8:01 AM GMT