हाईकोर्ट ने पूछा - क्या सूचना प्रसारण मंत्रालय ने कभी किसी न्यूज चैनल पर लगाई है पाबंदी 

High Court asked -   Has Ministry of Information Broadcasting banned any news channel
हाईकोर्ट ने पूछा - क्या सूचना प्रसारण मंत्रालय ने कभी किसी न्यूज चैनल पर लगाई है पाबंदी 
हाईकोर्ट ने पूछा - क्या सूचना प्रसारण मंत्रालय ने कभी किसी न्यूज चैनल पर लगाई है पाबंदी 

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार से जानना चाहा है कि क्या ऐसा कभी हुआ है जब सूचना प्रसारण मंत्रालय ने किसी न्यूज चैनल पर प्रतिबंध लगाया हो। अदालत ने पूछा कि वह हर बार शिकायतों को न्यूज ब्राडकास्टिंग स्टैंडर्ड एथारिटी (एनबीएसए) के पास क्यों भेजती है। इस दौरान हाईकोर्ट ने कहा कि एनबीएसए भले निजी संस्था है पर उसके दिशा निर्देशों को अधिक कठोर व शक्तिशाली क्यों नहीं बनाया जाना चाहिए।  एडिशनल सालिसिटर जनरल अनिल सिंह को इस बारे में बुधवार को अपना रुख स्पष्ट करने के लिए कहा है। हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार को स्पष्ट करने को कहा है कि सरकार एनबीएसए के निर्देशों में सुधार क्यों नहीं करती जिससे न्यूज चैनल में प्रसारित की जानेवाली समाग्री का नियमन किया जा सके। मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता की खंडपीठ ने कहा कि एनबीएसए के पास काफी विस्तृत कोड आफ इथिक्स व दिशा-निर्देश हैं। बस सरकार को इसे शक्ति देकर अधिक प्रभावशाली बनाकर इसे लागू करने की जरुरत है। खंडपीठ ने कहा कि क्या हम सरकार से आग्रह नहीं कर सकते है कि वह उपलब्ध दिशा-निर्देशों को मंजूरी देते हुए उसे लागू करे। इस दौरान एनबीएसए की ओर से पैरवी कर रहे अधिवक्ता नीला गोखले ने कहा कि एनबीएसए भले निजी संस्था है पर उसने कई चैनलों के खिलाफ कार्रवाई की है। अतीत में इस संस्था ने चैनलों पर एक लाख रुपए तक का जुर्माना भी लगाया है। कई चैनलों ने इसका भुगतान भी किया है और माफी भी मांगी है। 

रिपब्लिक टीवी ने बनाया अलग संगठन 

गोखले ने कहा कि रिपब्लिक टीवी चैनल ने ऐसा नहीं किया है। इस चैनल ने अपना एक अलग एसोसिएशन बना लिया है। इस पर खंडपीठ ने कहा कि यदि कोई चैनल एनबीएसए के निर्देशों का पालन नहीं करता है और आत्मअनुशासन का भी उल्लंघन करता तो क्या किया जाता हैॽ खंडपीठ ने कहा कि जब डाक्टर स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम में प्रवेश लेते है तो उसने दो साल तक ग्रामीण इलाके में सेवा देने का बांड लिया जाता है। इसका उल्लंघन करने पर उन्हें उनकी मार्कसीट नहीं दी जाती। इसके साथ ही सेवा न देने पर कड़ा जुर्माना भी लगाया जाता है। आपके पास ऐसे दिशा-निर्देश क्यों नहीं हैं। इस पर न्यूज ब्राडकास्टर एसोसिएशन के वकील ने कहा कि जब एनबीएसए के निर्देशों का पालन नहीं होता तो सूचना प्रसारण मंत्रालय इसमें हस्तक्षेप करता है।

Created On :   19 Oct 2020 8:51 PM IST

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