हाईकोर्ट ने पूछा - वैक्सीन की दोनों खुराक लेने के बाद तीसरी की भी पड़ेगी जरुरत और लोकल ट्रेन में यात्रा की अनुमति क्यों नहीं?

High Court asked - taking both doses of the vaccine not allowed to travel in the local train
हाईकोर्ट ने पूछा - वैक्सीन की दोनों खुराक लेने के बाद तीसरी की भी पड़ेगी जरुरत और लोकल ट्रेन में यात्रा की अनुमति क्यों नहीं?
हाईकोर्ट ने पूछा - वैक्सीन की दोनों खुराक लेने के बाद तीसरी की भी पड़ेगी जरुरत और लोकल ट्रेन में यात्रा की अनुमति क्यों नहीं?

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा है कि क्या जिन लोगों ने कोरोना के टीके की दोनों खुराक ले ली है तो क्या उन्हें भविष्य में तीसरे डोज की जरुरत है या फिर अतिरिक्त खुराक लेने की आवश्यक्ता है। इसके अलावा कोर्ट ने दोनों टीके लेने के बाद जारी किए जानेवाले प्रमाणपत्र में नाम की गलती सुधारने की व्यवस्था पर केंद्र व राज्य सरकार से जवाब मांगा है। मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता व न्यायमूर्ति गिरीष कुलकर्णी की खंडपीठ ने राज्य के महाधिवक्ता आशुतोष कुंभकोणी से कहा कि हाल ही में राज्य सरकार की कोविड टास्क फोर्स के साथ जो बैठक हुई थी उसमें कहा गया कि कोविशील्ड व कोवैक्सीन की दोनों डोज लेने के बावजूद लोगों को कोविड के अलग वैरिएंट से खुद को बचाने के लिए तीसरी डोज अथवा अतिरिक्त लेना खुराक लेना पड़ेगा। इसलिए सरकार इसका पता लगाए कि तीसरी खुराक कहा तक जरुरी है। क्योंकि टास्क फोर्स ने कहा है कि कोविशील्ड की दोनों खुराक लेने के दस महीने बाद और कोवैक्सीन की दोनों खुराक लेने के 6 माह बाद तीसरी खुराक की जरुरत पड़ सकती है। क्या यह सही हैॽ खंडपीठ के सामने कोविड के उपचार के लिए प्रभावी व्यवस्था बनाने, तीसरी लहर के मुकबले की तैयारी करने व कोविन पोर्टल से जुड़ी परेशानियों को लेकर दायर जनहित याचिकाओं पर सुनवाई चल रही है। इससे पहले खंडपीठ को बताया गया कि राज्य में 12 करोड़ 23 लाख में से तीन करोड़ 35 लाख लोगों ने कोरोनारोधी टीके का पहला डोज ले लिया है। जबकि  एक करोड़ 13 लाख लोगों ने कोविड के टीके की दोनों खुराक ली है। राज्य सरकार के पास अभी भी कोविड के टीके की कमी है। अकेले में मुंबई में 20 लाख लोगों को कोविड के दूसरे टीके का इंतजार है। लेकिन मुंबई महानगरपालिका को टीके की रोजाना पांच से सात लाख डोज मिल रही है। 

प्रमाणपत्र पर दर्ज हो रहे गलत नाम

सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के वकील जे मास्टर ने खंडपीठ को बताया कि काफी लोगों को टीके का प्रमाणपत्र गलत नाम से जारी किया गया है। फिलहाल नाम को सुधारने की कोई व्यवस्था नहीं है। उन्होंने कहा कि जिन्हें दोनों टीके लग चुके है, उनको प्लेटफार्म टिकट खरीदने के लिए अलग से खिड़की बनाई जाए। इस पर खंडपीठ ने राज्य व केंद्र सरकार को इस बारे में हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया। खंडपीठ ने अब 23 अगस्त को इन याचिकाओं पर सुनवाई रखी है। 

लोकल ट्रेन में यात्रा की अनुमति क्यों नहीं?

बांबे हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा है कि जिन लोगों ने कोरोनारोधी टीके की दोनों खुराक ले ली हैं, ऐसे लोगों को लोकल ट्रेन में यात्रा की अनुमति क्यों नहीं दी जानी चाहिए। दो टीके लेने के बाद लोगों का घर में बैठना अपेक्षित नहीं है। यदि टीके लेने के बाद भी लोग काम पर न जा सके तो टीका लेने का क्या लाभ। अदालत ने कहा कि कोरोना की पहली लहर की अपेक्षा दूसरी लहर में टीके के चलते काफी सुधार है। जिन्होंने कोविड के दोनों टीके लिए है, उनको यात्रा अनुमति देने के बारे में फैसला लिया जाए। अदालत ने यह भी पूछा कि क्या सकार की कोविड का दोनों टीका ले चुके लोगों के लिए कोई व्यापक योजना है। हमे अब आगे बढने की शुरुआत करनी होगी। यात्रा से जुड़ी शिथिलता सिर्फ वकीलों के लिए नहीं सभी क्षेत्र के लोगों के लिए होनी चाहिए।आप सड़कों की हालत देखिए। यदि किसी को सड़क के रास्ते दहिसर जाना हो तो एक बार में तीन घंटे लगते है। मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता व न्यायमूर्ति गिरीष कुलकर्णी की खंडपीठ ने राज्य के महाधिवक्ता आशुतोष कुंभकोणी से यह सवाल किया। इससे पहले श्री कुंभकोणी ने कहा कि राज्य का आपदा प्रबंधन प्राधिकरण सभी वकीलों, क्लर्क व कोर्ट स्टाफ को लोकल ट्रेन से यात्रा की अनुमति देने में हिचकिचाहट दिखा रहा है। वैसे इस बारे में बार काउंसिल आफ महाराष्ट्र एंड गोवा की बैठक के दौरान जिन वकीलों ने कोरोना का एक अथवा दोनों टीका लिया है, उन्हें लोकल ट्रेन से यात्रा करने की इजाजत देने को लेकर चर्चा हुई है। अभी आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने इस बारे में अंतिम निर्णय नहीं लिया है। गुरुवार तक इस विषय पर अंतिम निर्णय लिया जा सकता है। शीघ्र ही मुख्यमंत्री की प्राधिकरण के साथ बैठक होगी और वे इस बारे में निर्णय करेंगे। फिलहाल फ्रंटलाईन कर्मचारियों को ट्रेन से यात्रा की इजाजत है। हाईकोर्ट में वकीलों को और कोरोनो के दोनों टीका ले चुके लोगों को लोकल ट्रेन से इजाजत दिए जाने की मांग को लेकर दायर कई जनहित याचिकाओं पर सुनवाई चल रही है। 

रेलवे तैयार, राज्य सरकार दे अनुमति

सुनवाई के दौरान वरिष्ठ अधिवक्ता मिलिंद साठे ने कहा कि चूंकि अब हाईकोर्ट व निचली अदालतों में प्रत्यक्ष सुनवाई शुरु हो चुकी है। इसलिए वकीलों को लोकल ट्रेन से यात्रा की इजाजत दी जाए। वहीं रेलवे की ओर से पैरवी कर रहे एडिशनल सॉलिसिटर जनरल अनिल सिंह ने कहा कि मध्य, पश्चिम रेलवे व हार्बर लाइन से जुड़े अधिकारी  वकीलों व कोर्ट स्टाफ को मासिक, तिमाही व छमाही पास देने को तैयार है। किंतु रेलवे को इससे पहले राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण व बार काउंसिल के पत्र की जरुरत पड़ेगी। खंडपीठ ने अब 5 अगस्त को याचिका पर सुनवाई रखी है।  
 

Created On :   2 Aug 2021 6:07 PM IST

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