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अवैध होर्डिंग के खिलाफ क्या किया, सरकार और मनपा-नगरपालिका से मांगी रिपोर्ट
डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने अवैध होर्डिंग व बैनर के खिलाफ की गई कार्रवाई को लेकर राज्य सरकार, सभी महानगरपालिकाओं के आयुक्त व नगरपरिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारियों को रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया है। जबकि याचिकाकर्ता को इस सिलसिले में राजनीतिक दलों को नोटिस जारी करने को कहा है। हाईकोर्ट ने साल 2016 में राज्य सरकार व सभी स्थानिय निकायों को निर्देश दिया था कि वे सुनिश्चित करें की सार्वजनिक स्थानों पर अवैध होर्डिंग न लगे और ऐसी होर्डिंग के खिलाफ की गई कार्रवाई के खिलाफ की कार्रवाई के संबंध में रिपोर्ट सौपने को कहा था। सोमवार को जब इस मामले से जुड़ी जनहित याचिका मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता व न्यायमूर्ति वीजी बिष्ट की खंडपीठ के सामने सुनवाई के लिए आयी तो खंडपीठ ने पाया कि इस विषय पर अंतिम रिपोर्ट साल 2018 में दी गई थी। इसके बाद से कोई रिपोर्ट नहीं पेश की गई। याचिका में मुख्य रुप से राज्यभर में नेताओं व राजनीतिक दलों की ओर से लगाई जानेवाली अवैध होर्डिंग के मुद्दे को उठाया गया है। याचिका के मुताबिक इस तरह की अवैध होर्डिंग सार्वजनिक स्थलों को कुरुप बनाती हैं।
खंडपीठ ने कहा कि चार साल का वक्त बीत गया है। हम अवैध होर्डिंग को लेकर की गई कार्ऱवाई के संबंध में ताजा रिपोर्ट चाहते हैं। इसलिए 30 जून से पहले हमे सभी महानगरपालिकाओं के आयुक्त व नगरपरिषद के मुख्य अधिकारी अवैध होर्डिंग के खिलाफ की गई कार्रवाई की रिपोर्ट सौपें। इससे पहले याचिकार्ता के वकील ने खंडपीठ को बताया कि कोर्ट ने सरकार को अवैध होर्डिंग पर लगाम लगाने के लिए नोडल अधिकारी की नियुक्ति करने को कहा था। इसके साथ ही सरकार को इस विषय पर एक नीति बनाने के लिए निर्देश दिया गया था। लेकिन अब तक कोर्ट के इस निर्देश का पालन नहीं हुआ है। इससे नाराज खंडपीठ ने राज्य के महाधिवक्ता आशुतोष कुंभोकणी को पैरवी के लिए बुलाया। इसके बाद महाधिवक्ता कुंभकोणी ने खंडपीठ के सामने कहा कि उन्हें निर्देश लेने के लिए समय दिया जाए।
होर्डिंग की वजह से पुलिस नहीं सुलझा सकी केस
इस पर खंडपीठ ने प्रसंगवश एक किस्से का जिक्र करते हुए कहा कि वे एक फिल्म देख रहे थे जिसमें पुलिस सीसीटीवी फुटेज की मदद से अपराध की गुत्थी सुलझा रही थी लेकिन जैसे ही पुलिस अपराधी के करीब पहुंचाने वाली थी की सीसीटीवी कैमरे में एक शख्स होर्डिंग लेकर खड़ा नजर आता है। खंडपीठ ने प्राधिकारियों से जानना चाहा है कि वे वैध व अवैध होर्डिंग की पहचान कैसे करते हैं और वैध होर्डिंग से कितनी कमाई होती है।
Created On :   2 May 2022 8:09 PM IST