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हाईकोर्ट ने पूछा- प्रदेश में क्यों नहीं है फायर सेफ्टी एवं इमरजेन्सी सर्विस एक्ट
डिजिटल डेस्क जबलपुर । मप्र हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस मोहम्मद रफीक और जस्टिस विजय कुमार शुक्ला की डिवीजन बैंच ने राज्य सरकार को नोटिस जारी कर 6 सप्ताह में पूछा है कि प्रदेश में फायर सेफ्टी एवं इमरजेन्सी सर्विस एक्ट क्यों नहीं है। इसके साथ ही डिवीजन बैंच ने राज्य सरकार को इस संबंध में भी जवाब पेश करने के निर्देश दिए हैं कि प्रदेश में बहुमंजिला इमारतों, हास्पिटल्स और होटल्स में अग्नि दुर्घटना रोकने के लिए क्या उपाय किए जा रहे हैं। मामले की अगली सुनवाई 8 मई को होगी।
यह है मामला
यह जनहित याचिका जबलपुर के रामपुर निवासी राम उर्फ नीलू कुशवाहा ने दायर की है। याचिका में कहा गया है कि देश के 24 राज्यों में फायर सेफ्टी एवं इमरजेन्सी एक्ट लागू किया जा चुका है, लेकिन अभी तक मप्र में यह एक्ट लागू नहीं किया गया है। याचिका में नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के 10 साल के आँकड़े पेश कर कहा गया है कि मप्र में अन्य राज्यों की तुलना में अग्नि दुर्घटना में मरने वालों की संख्या अधिक है। इसके बाद भी मप्र में फायर सेफ्टी और इमरजेन्सी सर्विस एक्ट लागू नहीं किया गया है।
केन्द्र सरकार के निर्देश के बाद भी लागू नहीं किया एक्ट
याचिकाकर्ता के अधिवक्ता मनोज कुशवाहा ने कहा कि केन्द्र सरकार ने 16 सितंबर 2019 को मॉडल फायर सेफ्टी एवं इमरजेन्सी एक्ट जारी कर देश के सभी राज्यों के प्रमुख सचिवों को निर्देश दिया था, इस मॉडल एक्ट को लागू किया जाए। केन्द्र सरकार के निर्देश का भी पालन नहीं किया गया। यही वजह है कि प्रदेश में अग्नि दुर्घटनाएँ हो रही हैं।
विशालकाय पंडालों में भी अग्नि हादसे रोकने के इंतजाम नहीं
याचिका में कहा गया कि सामाजिक, राजनीतिक और धार्मिक आयोजनों के लिए विशालकाय पंडाल लगाए जाते हैं। किसी भी पंडाल में अग्नि हादसे रोकने के लिए इंतजाम नहीं किए जाते हैं। स्कूल, कॉलेजों, सरकारी और गैर सरकारी इमारतों में भी अग्नि दुर्घटना रोकने के लिए कोई व्यवस्था नहीं है। प्रारंभिक सुनवाई के बाद राज्य सरकार को नोटिस जारी किया गया है।
Created On :   24 March 2021 2:17 PM IST