चेक बाउंस मामले में पार्षद गवई की याचिका हुई खारिज, अनियमितता पर एन.एन.पुगलिया कंपनी को भी झटका
डिजिटल डेस्क, नागपुर। बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ से नगरसेवक संदीप गवई और उनके भाई हरीश गवई को झटका लगा है। उन्होंने चेक बाउंस प्रकरण में बुलढाणा निवासी प्रतिभा प्रभाकर तायड़े के खिलाफ जो याचिका दायर की थी, हाईकोर्ट ने उसे कायम रखा है। इसके पूर्व निचली अदालत ने भी गवइ बंधुओं की शिकायत खारिज कर दी थी। दरअसल संदीप और हरीश गवई ने प्रतिभा प्रभाकर तायडे के साथ मिल कर वानयरी में पार्टनरशिप करने का निर्णय लिया था। दहीद (जि.बुलढाणा) स्थित अमरोशिया वायनरी में दोनों पक्षों ने मिलकर 80-80 लाख रुपए के निवेश का निर्णय लिया था। गवई बंधुओं ने इस प्रोजेक्ट के लिए तायडे को 55 लाख रुपए दिए, शेष रकम नहीं दे पाए, तो दोनों पक्षों ने पार्टरशिप रद्द करने का निर्णय लिया। गवई बंधु अपनी रकम लेने जब प्रतिभा तायडे के पास पहुंचे, तो प्रतिभा के पति ने तायडे बंधुओं को 55 लाख रुपए के कुल 5 चेक दिए। तायडे बंधुओं ने कुछ चेक बैंक में डाल कर 15 लाख रुपए वापस प्राप्त किए। शेष रकम के जो चेक थे वो बाउंस हो गए। ऐसे में गवई बंधुओं ने प्रतिभा तायडे के खिलाफ निगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट एक्ट के तहत शिकायत कर दी, लेकिन इस मामले में सभी पक्षों को सुनने के बाद कोर्ट ने उनकी शिकायत खारिज की और प्रतिभा तायडे को दोषमुक्त किया। इसके खिलाफ गवई ने हाईकोर्ट में अपील दायर की। हाईकोर्ट ने भी मामले के सभी पक्षों को सुनकर निचली अदालत का निर्णय कायम रखा और प्रतिभा तायडे को राहत दी। तायडे की ओर से एड. प्रदीप वाठोरे ने पक्ष रखा।
एन.एन.पुगलिया कंपनी को झटका, खारिज की याचिका
वहीं बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ से एन.एन. पुगलिया इंजीनियर एंड कांट्रैक्टर्स कंपनी को झटका लगा है। यवतमाल जिले में एक सड़क के कामकाज से जुड़ी टेंडर प्रक्रिया में अनियमितता का मुद्दा उठाती कंपनी की दो याचिकाओं को हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया। दरअसल अमरावती सार्वजनिक निर्माणकार्य विभाग (पीडब्ल्यूडी) ने इसी साल 10 फरवरी को यवतमाल में खैरी मर्डी-वणी की सड़क सुधार के कार्य के लिए टेंडर प्रक्रिया आयोजित की थी। याचिकाकर्ता एन.एन. पुगलिया इंजीनियर एंड कांट्रैक्टर्स के साथ प्रतिवादी जेओसीपीएल व एसीपीएल (जेवी) पार्टनरशिप फर्म ने भी इस प्रक्रिया में हिस्सा लिया था। पीडब्ल्यूडी ने याचिकाकर्ता के टेंडर को तकनीकी पात्रता के आधार पर रिजेक्ट कर दिया, जबकि जेओसीपीएल व एसीपीएल (जेवी) को तकनीकी रूप से पात्र करार दिया। इसलिए पीडब्ल्यूडी ने जेओसीपीएल व एसीपीएल (जेवी) का ही टेंडर खोला, तो उसमें काम का मूल्य 47 करोड़ 8 लाख 85 हजार 933 रुपए बताया गया था। याचिकाकर्ता का दावा है कि, उन्होंने अपने टंेडर मंे इसी काम के लिए 2 करोड़ 70 लाख 24 हजार 105 रुपए कम लागत बताई थी। याचिकाकर्ता का दावा है कि, विभाग ने जानबूझकर जेओसीपीएल व एसीपीएल के पक्ष मंे फैसले लिया। आरोप है कि, प्रतिस्पर्धी कंपनी के पास तकनीकी पात्रता नहीं थी। अनियमितता करके उन्हें टेंडर के लिए पात्र करार दिया गया। हाईकोर्ट ने इस मामले मंे सभी पक्षों को सुनने के बाद तय किया कि, पीडब्ल्यूडी विभाग का निर्णय सही है। ऐेसे में हाईकोर्ट ने याचिका रद्द कर दी। साथ ही पूर्व में सड़क के कामकाज पर लगाई गई रोक को भी हाईकोर्ट ने हटा दिया।
Created On :   26 Jun 2019 11:35 AM GMT