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हाईकोर्ट : ठाणे मेट्रो कार्य पर लगी रोक हटाई, कांग्रेस नगरसेवक की हत्या के आरोपी को जमानत
डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने जनहित से जुड़े प्रोजेक्ट के लिए मुंबई मेट्रो रेल कार्पेरेशन व ठाणे महानगरपालिका को वृक्षों को काटने अथवा पुनररोपित करने की अनुमति प्रदान कर दी है। इसके साथ ही मेट्रो के कार्य पर लगी रोक को हटा दिया है। न्यायमूर्ति एससी धर्माधिकारी व न्यायमूर्ति रियाज छागला की खंडपीठ ने कहा कि बुनियादि सुविधाओं से जुड़े इन प्रोजेक्ट से व्यापक जनहित जुड़ा है। इसलिए पेड़ो को काटने व पुनररोपित करने की अनुमति प्रदान की जाती है। मेट्रो चार प्रोजेक्ट के लिए ठाणे महानगरपालिका ने 36 पेड़ो को काटने व 900 वृक्षों को पुनरारोपित करने की अनुमति दी थी। जिसके खिलाफ हाईकोर्ट में जनहित याचिकाए दायर की गई थी। याचिका में ठाणे मेट्रो के अलावा सड़क चौड़ीकरण के लिए पेड़ो काटने को लेकर दी गई अनुमति पर आपत्ति जताई गई थी। मामले से जुड़ी याचिकाओं पर सभी पक्षों को सुनने के बाद खंडपीठ ने कहा कि मेट्रो प्रोजेक्ट, सड़क चौड़ीकरण व ठाणे जिला न्यायालय का जीर्णोध्दार सभी प्रोजेक्ट जनहित से जुड़े है। इसलिए कार्य शुरु करने की इजाजत दी जाती है। खंडपीठ ने कहा कि हम इस मामले को लेकर अगली सुनवाई 21 जनवरी 2020 को करेगे।
कांग्रेस नगरसेवक की हत्या के मामले में आरोपी को हाईकोर्ट ने दी जमानत
बांबे हाईकोर्ट ने कांग्रेस नगरसेवक प्रफुल्ल पाटील की हत्या के मामले में दोषी पाए गए आरोपी विशाल म्हात्रे को 25 हजार रुपए के मुचलके पर जमानत प्रदान कर दी है। और म्हात्रे को सुनाई गई अजीवन कारावास की सजा पर रोक लगा दी है। मीरा-भायंदर महानगरपालिका के नगरसेवक पाटील की साल 2010 में जमीन से जुड़े कथित विवाद को लेकर चाकू से हमला कर गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। इस घटना के बाद पुलिस ने चार आरोपियों को गिरफ्तार किया था और इनके खिलाफ कोर्ट में आरोप पत्र दायर किया था। चार आरोपियों में से एक आरोपी म्हात्रे भी था। जिस पर आपराधिक षडयंत्र का आरोप था। न्यायमूर्ति आरी मोरे व न्यायमूर्ति सुरेंद्र तावडे के सामने म्हात्रे के आवेदन पर सुनवाई हुई। इस दौरान म्हात्रे के वकील आबाद पोंडा ने कहा कि मेरे मुवक्किल इस मामले की निचली अदालत में सुनवाई के दौरान जमानत पर थे। मेरे मुवक्किल की इस मामले में कोई भूमिका नहीं है। पुलिस ने मेरे मुवक्किल के खिलाफ कोई ठोस सबूत नहीं पेश किया है। इसलिए उन्हें सजा के खिलाफ की गई अपील के प्रलंबित रहते जमानत प्रदान की जाए। अतिरिक्त सरकारी वकील अरुणा पई ने आरोपी म्हात्रे की जमानत का विरोध किया। उन्होंने कहा कि आरोपी इस मामले में मुख्य साजिशकर्ता था। उन्होंने कहा कि आरोपी की इस प्रकरण में भूमिका दर्शानेवाला एक सीडीआर भी मौजूद है। घटना के बाद से आरोपी फरार था। उसे काफी समय बाद पुलिस ने लखनउ से गिरफ्तार किया था। मामले से जुड़े दोनों पक्षों को सुनने के बाद खंडपीठ ने कहा कि आरोपी पहले से जमानत पर था। इसलिए हम उसे सुनाई गई सजा पर रोक लगाते है और उसे जमानत पर रिहा करते है। खंडपीठ ने आरोपी को हर दो महीने में एक बार सत्र न्यायालय के रजिस्ट्रार के सामने हाजिर होने को कहा है। यदि वह जमानत से जुड़ी शर्तों का उल्लंघन करता है तो पुलिस उसे हिरासत में लेने के लिए स्वतंत्र रहेगी।
मैट के चेयरमैन की नियुक्ति से जुडे प्रस्ताव को एक सप्ताह में मुख्य न्यायाधीश के सामने रखेंगे
केंद्र सरकार के कार्मिक व प्रशिक्षण विभाग ने बांबे हाईकोर्ट को सूचित किया है कि महाराष्ट्र प्रशासकीय पंचाट(मैट) के चेयरमैन के नियुक्ति से जुड़े प्रस्ताव को वह एक सप्ताह के भीतर भारत के मुख्य न्यायाधीश के समक्ष परामर्श के लिए रखेगा। मैट में 6 महीने से चेयरमैन का पद रिक्त है। इस पद को भरे जाने की मांग को लेकर सामाजिक कार्यकर्ता कन्हैंया महामुनि की ओर से दायर जनहि याचिका पर कोर्ट में सुनवाई चल रही है।
न्यायमूर्ति एससी धर्माधिकारी व न्यायमूर्ति रियाज छागला की खंडपीठ ने सरकारी वकील वाई.आर मिश्रा की ओर से मिली जानकारी के बाद मामले की अगली सुनवाई के दौरान सरकारी वकील को इस विषय पर उठाए गए अन्य कदमो की जानकारी देने का निर्देश दिया। इस दौरान खंडपीठ ने राज्य सरकार को भी स्पष्ट करने को कहा है कि मैट में रिक्त पडे न्यायिक व प्रशासकीय सदस्य के रुप में नियुक्ति के लिए आए प्रस्ताव के परीक्षण व सत्यापन के लिए उसने कौन से कदम उठाए है। मैट में चेयरमैन के अलावा वहां न्यायिक व प्रशासकीय सदस्य के दो –दो पद रिक्त है। जिससे वहां का कामकाज प्रभावी ढंग से नहीं हो पा रहा है। मामले की पिछली सुनवाई के दौरान खंडपीठ ने मैट के चेयरमैन की नियुक्ति को लेकर सरकार के रुख को लेकर अप्रसन्नता व्यक्त की थी। इसके साथ ही कहा था कि उसे चेयरमैन की नियुक्ति के लिए कितना समय चाहिए। इसके बाद केंद्र सरकार की ओर से पैरवी कर रहे अधिवक्ता मिश्रा ने खंडपीठ को उपरोक्त जानकारी दी है। मैट की मुंबई,औरंगाबाद व नागपुर में पीठ है। मैट में मुख्य रुप से सरकारी कर्मचारियों की नियुक्ति व सेवा शर्तों से जुड़े मामले सुने जाते है। खंडपीठ ने फिलहाल इस मामले की सुनवाई 10 जनवरी 2020 तक के लिए स्थगित कर दी है।
Created On :   20 Dec 2019 10:14 PM IST