दृष्टिदोष से ग्रसित छात्र को हाईकोर्ट ने दी राहत, जेजे अस्पताल की कमेटी ने प्रवेश के लिए ठहराया था अपात्र  

High court gives relief to the student suffering from sight loss
दृष्टिदोष से ग्रसित छात्र को हाईकोर्ट ने दी राहत, जेजे अस्पताल की कमेटी ने प्रवेश के लिए ठहराया था अपात्र  
दृष्टिदोष से ग्रसित छात्र को हाईकोर्ट ने दी राहत, जेजे अस्पताल की कमेटी ने प्रवेश के लिए ठहराया था अपात्र  

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने दृष्टिदोष से ग्रसित एक छात्र को राहत दी है। 40 प्रतिशत दृष्टिदोष का सामना कर रहे इस छात्र को जेजे अस्पताल की मेडिकल काउंसिलिंग कमेटी (एमसीसी) ने दिव्यांग कोटे की आरक्षित सीट में प्रवेश के लिए अपात्र ठहरा दिया है लेकिन मेडिकल-डेंटल पाठ्यक्रम में एडमिशन के लिए पात्र माना है। इससे परेशान छात्र यश पाटील ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की है। याचिका पर सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने अब पाटील की दोबारा जांच के लिए उसे नागपुर के एम्स अस्पताल में भेजा है। पाटील ने याचिका में दावा किया है कि सोलापुर की मेडिकल अथारिटी ने उसे 19 सितंबर 2020 को सर्टिफिकेट जारी किया था जिसके आधार उसने दिव्यांग कोटे के तहत प्रवेश के लिए आवेदन किया था लेकिन अब जेजे अस्पताल में दिव्यांग कोटे के लिए अपात्र ठहरा दिया है। इसलिए  उसे अब मेडिकल की पढाई से वंचित होने की चिंता सता रही है। मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता व न्यायमूर्ति गिरीष कुलकर्णी की खंडपीठ के सामने याचिका पर सुनवाई हुई। इस दौरान सरकारी वकील पूर्णिमा कंथारिया ने कहा कि  जेजे अस्पताल की एमसीसी दिव्यांगता को लेकर प्रमाणपत्र जारी करने के लिए अधिकृत की गई है। एमसीसी ने याचिकाकर्ता को दिव्यांग कोटे की सीट के लिए अपात्र माना है। इसलिए एमसीसी के प्रमाणपत्र पर अदालत का हस्तक्षेप करना उचित नहीं होगा।इस दौरान खंडपीठ ने मामले में दूसरा मत जानने के लिए याचिकाकर्ता को नागपुर स्थिति एम्स अस्पताल की एमसीसी कमेटी के पास भेजने का सुझाव दिया। खंडपीठ के इस आग्रह पर सहमति जाहिर करते हुए सरकारी वकील इसके लिए राजी हो गई। इसके बाद खंडपीठ ने याचिकाकर्ता को एक दिसंबर 2020 को नागपुर स्थित एम्स अस्पताल के अधिष्ठता के पास जाने को कहा और अधिष्ठता को याचिकाकर्ता की जांच के लिए नेत्रचिकित्सकों का मेडिकल बोर्ड गठित करने का निर्देश दिया। खंडपीठ ने बोर्ड को 3 दिसंबर को अपनी रिपोर्ट पेश करने को कहा है। इस दौरान खंडपीठ ने कहा कि हमारे इस आदेश को भविष्य के मामलों को लेकर मिसाल के तौर पर न लिया जाए।

लक्ष्मी विलास बैंक के विलय पर रोक लगाने से हाईकोर्ट का इंकार

बांबे हाईकोर्ट ने गुरुवार को लक्ष्मी विलास बैंक (एलवीबी) के डीबीएस बैंक में विलय के निर्णय पर रोक लगाने से इंकार कर दिया है। यह विलय 27 नवंबर 2020 से प्रभावी हो जाएगा। एलवीबी के विलय को उसके प्रमोटरो व इंडिया बुल्स हाउसिंग फाइनेंस लिमिटेड ने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। न्यायमूर्ति नीतिन जामदार की खंडपीठ के सामने याचिका पर सुनवाई हुई। सुनवाई के बाद खंडपीठ ने कहा कि हम इस मामले में याचिकाकर्ता की बैंक के विलय पर रोक लगाने से जुड़ी अंतरिम मांग को अस्वीकार करते हैं। फिलहाल हम इस मामले में अंतरिम राहत नहीं देंगे। यह कहते हुए खंडपीठ ने मामले की सुनवाई 14 दिसंबर 2020 तक के लिए स्थगित कर दी और अगली सुनवाई के दौरान एलवीबी, रिजर्व बैंक आफ इंडिया व डीबीएस को याचिका पर जवाब देने को कहा। गौरतलब है कि हाल ही में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने खाताधारकों व कर्मचारियों के हित को सुरक्षित करने के लिए लक्ष्मी विलास बैंक के डीबीएस बैंक के साथ विलय को मंजूरी दी थी। 

 
 
 

Created On :   26 Nov 2020 1:58 PM GMT

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