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हाईकोर्ट: 11 साल की बच्ची को हाईकोर्ट ने दी गर्भपात की इजाजत, बच्ची की मां की याचिका पर फैसला
डिजिटल डेस्क जबलपुर।अपने ही चाचा द्वारा किए गए दुष्कर्म के बाद गर्भवती हुई 11 साल की बच्ची को हाईकोर्ट ने सरकारी मेडिकल अस्पताल में गर्भपात कराने की इजाजत दे दी है। बच्ची के पेट में अभी करीब साढ़े सात माह का गर्भ है। बच्ची की माँ द्वारा दी गई अंडरटेकिंग के मद्देनजर जस्टिस नंदिता दुबे की एकलपीठ ने उक्त फैसला दिया। हालांकि अदालत ने कहा है कि विशेषज्ञ चिकित्सकों द्वारा पूरी सावधानी बरतकर जल्द से जल्द बच्ची का गर्भपात किया जाए। इन निर्देशों के साथ अदालत ने मामले का निराकरण कर दिया।
गौरतलब है कि निवाड़ी जिले में रहने वाली महिला ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर कहा था कि वो और उसके पति अप्रैल माह की शुरूआत में काम के लिए बानमौर चले गये थे। बच्चों की पढ़ाई प्रभावित न हो इसलिए उसने अपने देवर पर भरोसा करके अपनी 11 साल की बच्ची और छोटे बेटे को उसके पास छोड़ दिया। सितम्बर माह के अंत में जब महिला वापस गांव लौटी तो उसे बच्ची बेटी का पेट उभरा हुआ लगा। पूछताछ करने पर बच्ची ने पूरा घटनाक्रम बताते हुए कहा कि चाचा उसके साथ गलत काम करता था और किसी को बताने पर छोटे भाई को जान से मारने की धमकी भी देता था। इसके बाद महिला ने कोतवाली थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई थी।
यह कहा गया याचिका में-
याचिका में कहा गया है कि बेटी के गर्भपात की अनुमति टीकमगढ़ की जिला न्यायालय से न मिलने पर यह मामला हाईकोर्ट में दायर किया और अपनी 11 साल की बच्ची का गर्भपात कराने की इजाजत मांगी। याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता कबीर पॉल और शासन की ओर से शासकीय अधिवक्ता अभय पाण्डेय ने पैरवी की। दो बार कराई गई जांच: कोर्ट के आदेश के पर बच्ची का मेडिकल परीक्षण दो बार कराया गया। बीते 15 अक्टूबर के आदेश पर पहली जांच की गई। 17 अक्टूबर को रिपोर्ट पर असहमति जताते हुए हाईकोर्ट ने विशेषज्ञ चिकित्सकों की टीम गठित करके फिर से बच्ची का मेडिकल परीक्षण करने के आदेश दिए थे। मेडिकल बोर्ड ने कहा- नहीं हो सकता गर्भपात: अपने फैसले में अदालत ने बच्ची की जांच करने वाले मेडिकल बोर्ड की रिपोर्ट का हवाला दिया। बोर्ड का कहना था कि 11 साल की गर्भवती बच्ची का गर्भपात नहीं कराया जा सकता। हालांकि रिपोर्ट में इस बारे में जिक्र नहीं किया गया कि गर्भपात कराने के क्या दुष्परिणाम होंगे।
माँ ने दी अंडरटेकिंग- "पूरी रिस्क हमारीÓ-
सुनवाई के दौरान अदालत ने याचिकाकर्ता के पैरोकार से जानना चाहा कि उसकी गर्भवती बेटी खुद अभी बच्ची है। गर्भपात कराए जाने पर उसकी जान को खतरा है। अधिवक्ता श्री पॉल ने अदालत को बताया कि उनकी मुवक्किल पूरे खतरे से वाकिफ है। अपनी बच्ची के भविष्य को देखकर ही वह गर्भपात कराने तैयार है। उसने अंडरटेकिंग दी है कि गर्भपात के संभावित दुष्परिणामों की पूरी रिस्क उसकी ही होगी। संभालकर रखा जाए डीएनए सैम्पल अदालत ने यह निर्देश भी दिए हैं कि भ्रूण का डीएनए सैम्पल संभालकर रखा जाए। ऐसा इसलिए, क्योंकि बच्ची और उसकी मां ने रेपिस्ट के खिलाफ दुष्कर्म की रिपोर्ट दर्ज कराई है और भविष्य में उसका (रिपोर्ट का) इस्तेमाल संबंधित कोर्ट में किया जा सके।
Created On :   21 Oct 2019 9:40 PM IST