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राज्य की पारिवारिक अदालतों में प्रलंबित मामलों की जानकारी मंगाई
डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने प्रशासन से राज्य की पारिवारिक अदालतों में प्रलंबित मामलों की जानकारी मंगाई है। कोर्ट ने एक जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान यह जानकारी मंगाई है। याचिका में मुख्य रुप से राज्य भर में और पारिवारिक अदालते स्थापित करने का निर्देश देने की मांग की गई है। वर्तमान में राज्य भर में 19 पारिवारिक अदालते है।जबकि कानून के अनुसार इसकी संख्या 39 होनी चाहिए। याचिका के मुताबिक फैमली कोर्ट एक्ट(एफसीए) 1984 में पारित किया गया था। ताकि पारिवारिक व वैवाहिक विवादो का निपटारा शीघ्रता से किया जा सके। इस कानून के बाद विवाह से जुड़े विवाद पारिवारिक अदालतों को स्थनांतरित कर दिए गए थे। एफसीए की धारा 3 के प्रावधान के तहत राज्य सरकार हाईकोर्ट से परामर्श लेकर ऐसे शहर व इलाके में पारिवारिक अदालत स्थापित कर सकती है। जहां की आबादी दस लाख से अधिक है।
न्यायमूर्ति एए सैय्यद व न्यायमूर्ति अभय अहूजा की खंडपीठ के सामने याचिका पर सुनवाई हुई। इस दौरान याचिकाकर्ता की ओर से पैरवी कर रही अधिवक्ता मिनाज ककालिया ने कहा कि वर्तमान में मुंबई में सिर्फ एक पारिवारिक अदालत है। जहां पर सात न्यायाधीश है। जो कि मामलों की सुनवाई के लिए पर्याप्त नहीं है। याचिका में सूचना के अधिकार के तहत मिली जानकारी के अनुसार दावा किया गया है कि साल 2011 की जनगणना के मुताबिक राज्य की कुल आबादी 11.24 करोड है। जबकि राज्य भर में सिर्फ 19 पारिवारिक आदलते है। जबकि कानून के अनुसार राज्य में 39 पारिवारिक अदालतों की जरुरत है। एक कारोबारी की ओर से दायर याचिका में कहा गया है तलाक से जुड़े मामले की सुनवाई लंबी व तनावपूर्ण होती है। ऐसे में यदि पर्याप्त अदालते होगी तो ऐसे मामलों की सुनवाई को शीघ्रता से पूरा किया जा सकेगा। क्योंकि अक्सर तलाक से जुड़े मामलों में महिलाओं को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है। याचिका में दावा किया गया है कि सरकार पर्याप्त पारिवारिक अदालते स्थापित करने के अपने दायित्व के निर्वहन करने में विफल रही है। कोर्ट ने तीन सप्ताह के बाद इस याचिका पर सुनवाई रखी है।
Created On :   29 March 2022 9:19 PM IST