हाईकोर्ट : तबेलों की समस्या के समाधान के लिए मंत्रालय में हो बैठक, आदिवासी विभाग घोटाले में निष्क्रियता से नाराजगी

High Court: Meeting should be held in ministry to solve problem of tabelas
हाईकोर्ट : तबेलों की समस्या के समाधान के लिए मंत्रालय में हो बैठक, आदिवासी विभाग घोटाले में निष्क्रियता से नाराजगी
हाईकोर्ट : तबेलों की समस्या के समाधान के लिए मंत्रालय में हो बैठक, आदिवासी विभाग घोटाले में निष्क्रियता से नाराजगी

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने मुंबई के तबेले वालों से जुड़े मुद्दे को लेकर सरकार को मंत्रालय में 26 दिसंबर को बैठक बुलाने का निर्देश दिया है। हाईकोर्ट ने यह निर्देश दूध उत्पादकों व तबेले वालों की ओर से दायर की गई याचिका पर सुनवाई के बाद दिया है। दरअसल राज्य सरकार ने प्रदूषण के चलते मुंबई के तबेले वालों के लिए पालघर जिले के दापचरी इलाके में जमीन आवंटित की है। लेकिन वहां पर सुविधाएं नहीं हैं, जिसके चलते तबेले वाले वहां जाने के इच्छुक नहीं है। उनकी इच्छा है कि आरे इलाके में उनके लिए जगह की व्यवस्था की जाए। सोमवार को न्यायमूर्ति एससी धर्माधिकारी व न्यायमूर्ति रियाज छागला की खंडपीठ के सामने याचिका पर सुनवाई हुई। इस दौरान खंडपीठ ने तबेले वालों से जुड़े मुद्दो के लेकर मंत्रालय में बैठक लेने का निर्देश दिया। बैठक में तबेले वालों व दुध उत्पादकों के प्रतिनिधियों के अलावा डेयरी डेवलपमेंट व राजस्व विभाग के अधिकारियों को उपस्थित रहने को कहा गया है। मामले की पिछली सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने इस मामले में कुछ न करने के लिए सरकार के रुख पर नाराजगी जाहिर की थी। 

आदिवासी विभाग के घोटाले में सरकार की निष्क्रियता से हाईकोर्ट नाराज

आदिवासी विभाग में साल 2005 से 2010 के बीच हुए 6 हजार रुपए करोड़ रुपए के कथित घोटाले के मामले में हाईकोर्ट ने राज्य सरकार की निष्क्रियता पर कड़ी नारजगी जाहिर की है। हाईकोर्ट ने कहा कि इस मामले से जुड़े किसी अधिकारी को अब तक निलंबित क्यों नहीं किया गया है? इनके खिलाफ भ्रष्टाचार प्रतिबंधक कानून के तहत मामला क्यों नहीं दर्ज किया गया है? सोमवार को हाईकोर्ट ने एक जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान यह सवाल किए। न्यायमूर्ति एससी धर्माधिकारी व न्यायमूर्ति रियाज छागला की खंडपीठ  ने इस मामले में सरकार की ओर से की गई कार्रवाई की रिपोर्ट आठ जनवरी तक मांगी है। हाईकोर्ट में बहीराम मोतीराम की ओर से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई चल रही है। इससे पहले याचिकाकर्ता के वकील राजेंद्र रघुवंशी ने खंडपीठ को बताया कि पूर्व मंत्री विजय कुमार गावित व बबनराव पाचपुते के कार्यकाल के दौरान आदिवासी विभाग में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी हुई है। चूंकी ये दोनों मंत्री बाद में सत्ताधारी दल (भाजपा) से जुड़े गए थे इसलिए इनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई । हाईकोर्ट के निर्देश के बाद इस पूरे मामले की जांच के लिए सेवानिवृत्त न्यायाधीश एम जी गायकवाड की अध्यक्षा में कमेटी गठित की गई थी। इस रिपोर्ट में सरकारी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की सिफारिश की गई थी। उन्होंने बताया कि कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में 323 अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की सिफारिश की थी। लेकिन सरकार ने सिर्फ 100 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया है। लेकिन इसमें से भी कई लोगों को गिरफ्तार नहीं किया गया है। हालांकि सरकारी वकील ने खंडपीठ के सामने कहा कि सरकार इस मामले में कार्रवाई कर रही है। इन दलीलों को सुनने के बाद खंडपीठ ने कहा कि सेवा से जुड़े नियमों के मुताबितक सरकार ने गड़बड़ी करने के मामले से जुड़े आरोपियों को निलंबित क्यों नहीं किया है? प्रकरण से संबंधित सभी अधिकारियों के खिलाफ गिरफ्तारी की कार्रवाई क्यों नहीं की गई? खंडपीठ ने मामले की अगली सुनवाई के दौरान सरकार से इस पूरे मामले में कार्रवाई का ब्यौरा पेश करने का निर्देश दिया। 
 

Created On :   9 Dec 2019 8:02 PM IST

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