पिता से दुर्व्यवहार करने वाली बेटी को घर से निकलने का आदेश

High Court - Order to leave the house for the daughter misbehaved with the father
पिता से दुर्व्यवहार करने वाली बेटी को घर से निकलने का आदेश
हाईकोर्ट पिता से दुर्व्यवहार करने वाली बेटी को घर से निकलने का आदेश

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने एक बुजुर्ग पिता की उस इच्छा को पूरा कर दिया है जिसके तहत वह चाहता था कि उसकी अशिष्ट व आक्रामक स्वभाव वाली बेटी को उसके घर से बाहर निकाल दिया जाए। जर्मनी से साल 2015 में पिता के पास रहने आयी बेटी के उत्पीड़न व रुखे स्वभाव से परेशान होकर पिता ने बेटी के खिलाफ वरिष्ठ नागरिकों से जुड़े मुद्दे को देखने के लिए गठित की गई वेलफेयर ट्रिब्यूनल में आवेदन दायर किया था। 

आवेदन में बुजुर्ग पिता ने दावा किया था कि उनकी बेटी कह रही है कि जब तक उसे उसका हिस्सा नहीं मिलेगा तब तक वह फ्लैट खाली नहीं करेंगी। जबकि फ्लैट का मालिकाना हक मेरे (पिता) पास है। आवेदन में पिता ने कहा था कि वे कई बीमारियों से जूझ रहे हैं। दो सेविकाओं के सहारे वे अपना जीवन व्यतीत कर रहे हैं। ये दो सेविकाए उनके साथ गत 26 सालों से है। किंतु उनकी बेटी मेरे साथ ही नहीं मेरी दो सेविकाओं के साथ भी असभ्य बर्ताव कर रही है। 

ट्रिब्यूनल ने पिता की शिकायत पर गौर करने के बाद बेटी को 27 नवंबर 2020 को दक्षिण मुंबई स्थित फ्लैट खाली करने का निर्देश दिया था। बेटी ने ट्रिब्यूनल के आदेश को याचिका दायर कर हाईकोर्ट में चुनौती दी। 

न्यायमूर्ति गौतम पटेल व न्यायमूर्ति माधव जामदार के सामने बेटी की याचिका पर सुनवाई हुई। पिता की ओर से पैरवी कर रहे अधिवक्ता डॉ सुजय कांटावाला ने याचिका का विरोध किया और ट्रिब्यूनल के आदेश को सही बताया और खंडपीठ से इसे कायम रखने का आग्रह किया। वहीं इस दौरान बेटी की ओर से पैरवी कर रहे अधिवक्ता प्रदीप थोरात ने दावा किया कि ट्रिब्यूनल का आदेश खामीपूर्ण है। क्योंकि ट्रिब्यूनल ने अपने अधिकार क्षेत्र के बाहर जाकर फैसला दिया है। ट्रिब्यूनल का काम सिर्फ वरिष्ठ नागरिकों के कल्याण को देखने का है, घर को खाली कराने से जुड़ा आदेश देना नहीं है। घर से निष्कासन से जुड़ा मुद्दा सिविल कोर्ट के दायरे में आता है। जिसके लिए दावा दायर किया जाना चाहिए। इसलिए ट्रिब्यूनल के आदेश को रद्द किया जाए। 

खंडपीठ ने मामले से जुड़े दोनों पक्षों को सुनने के बाद कहा कि हमे ट्रिब्यूनल के आदेश में कुछ गलत नजर नहीं आ रहा है। खंडपीठ ने कहा कि हमारा अनुभव हमे बताता है कि मुंबई शहर में खास तौर से समृद्धिशाली बुजुर्ग व वरिष्ठ नागरिक अपने जीवन के अंतिम पडाव में अपने बच्चों के उत्पीड़न का सामना करते हैं। हमने कई मामले ऐसे देखे हैं जिसमें बच्चे अपने माता-पिता की संपत्ति हड़पने के लिए उन्हे परेशान करते हैं। मौजूदा मामला भी हमे ऐसा ही नजर रहा है। खंडपीठ ने बेटी को फ्लैट से अपनी चीजे लेकर तुरंत बाहर निकलने का निर्देश दिया और याचिका को खारिज कर दिया। 
 

Created On :   30 Nov 2021 9:38 PM IST

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