पूर्व जज के बेटे की उम्रकैद पर रोक लगाने से हाईकोर्ट का इंकार

High court refuses to ban former judges life imprisonment
 पूर्व जज के बेटे की उम्रकैद पर रोक लगाने से हाईकोर्ट का इंकार
 पूर्व जज के बेटे की उम्रकैद पर रोक लगाने से हाईकोर्ट का इंकार

भूमि विवाद पर 17 साल पहले हुई पचमढ़ी रोड पर हत्या के आरोप में पूर्व जज को भी हुई है उम्रकैद
डिजिटल डेस्क जबलपुर ।
पचमढ़ी रोड पर 17 साल पहले हुई हत्या के आरोप में रिटायर्ड एडीजे के पुत्र को दी गई उम्रकैद की सजा पर रोक लगाने से हाईकोर्ट ने इंकार कर दिया है। जस्टिस सुजय पॉल और जस्टिस राजेन्द्र कुमार श्रीवास्तव की युगलपीठ ने गवाहों के बयानों और मृतक को पहुंचाई गईं चोटों को मद्देनजर रखते हुए आरोपी की ओर से दायर अर्जी खारिज कर दी। इस मामले में रिटायर्ड जज हनुमान दत्त मिश्रा को भी होशंगाबाद जिले की पिपरिया जिला अदालत ने उम्रकैद की सजा सुनाई थी।
अभियोजन के अनुसार भूमि विवाद में 29 अप्रैल 2003 की रात 9 बजे पचमढ़ी रोड पर स्थित आइसक्रीम कारखाने के पास पूर्व अपर सत्र न्यायाधीश हनुमान दत्त मिश्रा, उसके पुत्र सुनील दत्त मिश्रा और विजय दत्त मिश्रा ने पनारी गांव निवासी रमाकांत पुर्विया की हत्या कर दी थी। मामले के विचाराधीन रहते हत्याकांड में शामिल विजयदत्त की मृत्यु हो गई थी। पिपरिया के एडीजे आदेश कुमार जैन की अदालत ने 3 नवम्बर 2018 को आरोपी पूर्व जज और उसके पुत्र सुनील दत्त को उम्रकैद की सजा सुनाई थी। निचली अदालत द्वारा  दी गई सजा पर रोक लगाए जाने की प्रार्थना करते हुए यह अर्जी हाईकोर्ट में दायर की गई थी।
सुनवाई के दौरान आरोपी की ओर से कहा गया कि गवाहों के बयानों में काफी विरोधाभास हैं, इसलिए आवेदक की सजा स्थगित की जाए। वहीं शासन की ओर से पैनल अधिवक्ता अक्षय पवार ने युगलपीठ को बताया कि जिस बके से मृतक को चोटें पहुंचाई गईं थीं, वो सुनील दत्त मिश्रा के पास से ही बरामद हुआ था और एफएसएल रिपोर्ट भी उसके खिलाफ है, इसलिए उसको जमानत का लाभ देना अनुचित है।
 

Created On :   20 Aug 2020 8:41 AM GMT

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