पंचायत चुनाव पर हस्तक्षेप से हाईकोर्ट का इनकार

High Court refuses to interfere in Panchayat elections
पंचायत चुनाव पर हस्तक्षेप से हाईकोर्ट का इनकार
याचिकाकर्ताओं ने अब सुप्रीम कोर्ट जाने की बात कही पंचायत चुनाव पर हस्तक्षेप से हाईकोर्ट का इनकार

डिजिटल डेस्क जबलपुर। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने राज्य में होने जा रहे पंचायत चुनाव पर हस्तक्षेप से इनकार कर दिया। चीफ जस्टिस रवि मलिमठ एवं जस्टिस विजय शुक्ला की खंडपीठ ने पंचायत चुनाव की अधिसूचना और सरकार के अध्यादेश पर अंतरिम रोक लगाने से इनकार कर दिया। हाईकोर्ट ने कहा िक संविधान के अनुच्छेद 243 (ओ) में निहित प्रावधान के तहत चुनाव की अधिसूचना जारी हो जाने के बाद अदालत को उसमें हस्तक्षेप का अधिकार नहीं रहता। खंडपीठ ने कहा िक इसके पहले 7 दिसंबर 2021 को समान मामले में ग्वालियर खंडपीठ ने भी अंतरिम राहत का आवेदन निरस्त कर दिया था, इसलिए ऐसी स्थिति में राहत नहीं दी जा सकती। हालाँकि याचिकाकर्ताओं ने अब सुप्रीम कोर्ट जाने की बात कही है। कोर्ट ने इस मामले में पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के प्रमुख सचिव, पंचायत राज संचालनालय के आयुक्त सह संचालक एवं राज्य चुनाव आयोग से जवाब माँगा है।
दरअसल, 21 नवंबर 2021 को राज्य सरकार ने अध्यादेश जारी कर आगामी पंचायत चुनाव में 2014 के आरक्षण रोस्टर और परिसीमन के आधार पर चुनाव कराए जाने की घोषणा की है। इसके बाद राज्य सूचना आयोग ने पंचायत चुनाव के लिए 4 दिसंबर 2021 को अधिसूचना जारी कर दी। प्रदेश में पंचायत चुनाव के पहले चरण में 6 जनवरी को मतदान होगा। राजेश वैश्य, राजेश पटेरिया समेत एक दर्जन से अधिक दायर याचिकाओं में उक्त अध्यादेश और अधिसूचना पर अंतरिम रोक लगाने की माँग की गई थी, जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया।
ये थीं दलीलें
संविधान का उल्लंघन-
याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता विवेक कृष्ण तन्खा, अधिवक्ता महेन्द्र पटेरिया ने दलील दी िक पुराने रोस्टर और परिसीमन के तहत चुनाव कराना संविधान की मंशा के विपरीत है। संविधान के अनुच्छेद (डी) के अनुसार कार्यकाल समाप्त होने के बाद आरक्षण रोस्टर बदलना जरूरी है। जिला, जनपद और ग्राम पंचायतों के उम्मीदवारों ने नए रोस्टर के तहत इसकी तैयारी कर ली थी। अब पुराने रोस्टर से चुनाव कराने से सभी समीकरण बदलने होंगे।
तो चुनाव होगा प्रभावित-
राज्य निर्वाचन आयोग की ओर से अधिवक्ता सिद्धार्थ सेठ ने दलील दी िक संविधान के अनुच्छेद 243 (ओ) के अनुसार चुनाव की घोषणा के बाद कोर्ट को हस्तक्षेप का अधिकार नहीं है। कार्यकाल मार्च 2020 में पूरा हो चुका है। कोविड के कारण चुनाव में देरी हो चुकी है, तैयारी पूरी हो गई है और वोटर लिस्ट तैयार है। अब चुनाव टलेगा तो नए सिरे से वोटर लिस्ट व अन्य प्रक्रिया करनी होगी, जिससे पूरा चुनाव प्रभावित होगा।

 

Created On :   9 Dec 2021 10:27 PM IST

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