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हाईकोर्ट : महाराष्ट्र में भीलवाडा पैटर्न लागू करने दायर याचिका खारिज, बगैर राशन कार्ड वालों को अनाज नहीं देगी सरकार
डिजिटल डेस्क, मुंबई। बॉम्बे हाईकोर्ट ने मुंबई में घर घर जाकर राजस्थान के भीलवाड़ा मॉडल के तर्ज पर लोगों की कोरोना की स्क्रिनिंग किए जाने की मांग को लेकर दायर जनहित याचिका को खारिज कर दी है। यह याचिका आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने दायर की थी। अधिवक्ता अरविंद तिवारी व अटल बिहारी दुबे के मध्यम से दायर की गई याचिका में दावा किया गया था कि तमाम प्रयासों के बावजूद मुंबई में कोरोना के मामले बढ़ रहे हैं। इसलिए भीलवाड़ा व वरली कोलीवाड़ा के मॉडल को पूरे मुंबई में लागू कर लोगों की घर-घर जाकर कोरोना की स्क्रिनिंग कराई जाए। मंगलवार को यह याचिका मुख्य न्यायाधीश दीपंकर दत्ता की खंडपीठ के सामने सुनवाई के लिए आयी। इस दौरान सरकारी वकील ने इसका विरोध करते हुए कहा कि मुंबई में काफी घनी आबादी है। इसलिए यहां पर घर-घर जाकर लोगों की स्क्रिनिंग संभव नहीं है। इन दलीलों व याचिका पर गौर करने के बाद खंडपीठ ने कहा कि याचिका में भीलवाड़ा मॉडल के बारे मे विस्तार से जानकारी नहीं दी गई है। इस संबंध मे विश्व स्वास्थ्य संगठन व इंडियन मेडिकल काउंसिल फॉर मेडिकल रिसर्च के दिशा निर्देश भी हमारे सामने नहीं पेश किए गए हैं। याचिका में जानकारी का अभाव नजर आ रहा है लिहाजा इसे खारिज किया जाता है।
बगैर राशन कार्ड वालों को अनाज नहीं देगी सरकार
राज्य सरकार बिना राशन कार्ड वाले घुमंतू आदिवासियों को अनाज नहीं देगी। सरकार ने कई राज्यों के साथ समन्वय बनाया है। जहां के प्रवासी मजदूरों को पोर्टेबिलिटी सुविधा के तहत यहां की राशन की दुकानों से अनाज लेने की सुविधा दी गई है। जिन आदिवासियों व प्रवासी मजदूरों के पास राशनकार्ड नहीं है सरकार की ओर से ऐसे लोगों को तैयार भोजन, अनाज के पैकेट व शिवभोजन दिया जाएगा। मंगलवार को राज्य सरकार की तरफ से बॉम्बे हाईकोर्ट को यह जानकारी दी गई। हाईकोर्ट में पुणे निवासी वनीता चव्हाण की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई चल रही है।
याचिका में लॉकडाउन के चलते फंसे प्रवासी मजदूरों व घुमंतू आदिवासियों को बिना राशनकार्ड के अनाज देने का निर्देश देने का आग्रह किया गया है। इस माामले को लेकर दायर हलफनामे के मुताबिक खाद्य सुरक्षा कानून के मुुुताबिक सिर्फ टार्गेटेड पब्लिक डिस्ट्रीब्यूशन का प्रावधान किया गया है। इसके तहत सिर्फ राशनकार्ड धारक को ही अनाज मिलेगा। जिनके पास राशन कार्ड नहीं है उन मजदूरो को अनाज देने के लिए सरकार ने कई कदम उठाए हैं।
याचिकाकर्ता ने अनाज वितरण को लेकर पिछली सुनवाई के दौरान सरकार के परिपत्र की गलत व्याख्या की थी और यह बताने की कोशिश की थी कि बिना राशनकार्ड वाले भी अनाज पाने के पात्र है। पर वास्तव में ऐसा नहीं है। अदालत का इस मामले में दिया गया आदेश खामीपूर्ण हैै। पिछली सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को केंद्र सरकर की एक सुविधा व एक योजना के तहत खाद्य निगम आयोग से अतिरिक्त अनाज लेने के बारे निर्णय लेने को कहा था ताकि बिना राशनकार्ड वालो को भी अनाज मिल सके। मंगलवार को हाईकोर्ट ने इस मामले की गली सुनवाई 18 मई को करने की बात कही है।
Created On :   12 May 2020 10:20 PM IST