हाईकोर्ट ने कहा - मजदूरों के किराए के बारे में जल्द लें फैसला, घर वापसी को लेकर दायर हुई है जनहित याचिका 

High court said - decide soon about the fares of outsider laborers
हाईकोर्ट ने कहा - मजदूरों के किराए के बारे में जल्द लें फैसला, घर वापसी को लेकर दायर हुई है जनहित याचिका 
हाईकोर्ट ने कहा - मजदूरों के किराए के बारे में जल्द लें फैसला, घर वापसी को लेकर दायर हुई है जनहित याचिका 

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बॉम्बे हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को प्रवासी मजदूरों के किराए के विषय में निर्णय लेने को कहा है। इससे पहले  सरकारी वकील ने अदालत को बताया कि सरकार ने अब तक किराए के भुगतान की अपनी हिस्सेदारी के विषय में निर्णय नहीं लिया है। जबकि गांव जाने के इच्छुक मजदूरों के लिए मेडिकल स्क्रीनिंग को निशुल्क कर दिया है। यह स्क्रीनिंग सरकार व स्थानीय निकाय द्वारा नियुक्त किए गए डॉक्टर अथवा स्थानीय निकाय द्वारा स्क्रीनिंग के लिए तैनात किए गए पंजीकृत चिकित्सक से कराई जा सकती है। सरकार ने स्क्रीनिंग से जुड़े अपने आदेश में गुरुवार को बदलाव किया है। जिसके तहत कोरोना से जुड़े लक्षणो की जांच निशुल्क करने का निर्णय किया गया है। 

हाईकोर्ट में कोरोना के चलते फंसे प्रवासी मजदूरों को बुनियादी सुविधाएं दिए जाने के मुद्दे पर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई चल रही है। यह याचिका सर्वहारा जन आंदोलन नामक गैर सरकारी संस्था ने दायर की है। मामले की पिछली सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से जानना चाहा था कि प्रवासी मजदूरों के किराए व मेडिकल स्क्रीनिंग का खर्च कौन वहन करेगा। सरकार की मजदूरों के परिवहन से जुड़ी नीति क्या है ? इसके तहत सरकारी वकील ने अदालत को उपरोक्त जानकारी दी और कहा कि सरकार मजदूरों के परिवहन के बारे में उचित निर्णय ले रही हैं। शुक्रवार को यह याचिका न्यायमूर्ति एस सी गुप्ते के सामने सुनवाई के लिए आयी। 

इस दौरान याचिकाकर्ता की ओर से पैरवी कर रही वकील रोनिता बेक्टर ने कहा कि सरकार की ओर से मेडिकल स्क्रीनिंग के बारे में लिए गए निर्णय के बारे मजदूरों व लोगों को जानकारी नहीं है। इसके चलते लोगों को और परेशानी हो रही है। इस दौरान उन्होंने औरंगाबाद में पटरी पर सोए मजदूरों के साथ हुए रेल हादसे की जानकारी भी न्यायमूर्ति को दी। उन्होंने कहा कि मजदूरों के परिवहन के किराए के बारे में अभी भी स्पष्टता नहीं है। इस बीच एडिसनल सालिसिटर अनिल सिंह ने मजदूरों को केंद्र सरकार की ओर से रेलवे के किराए में 85 फीसदी रियायत दिए जाने की पुष्टि की।    

मामले से जुड़े सभी पक्षों को सुनने के बाद न्यायमूर्ति ने कहा कि राज्य सरकार मेडिकल स्क्रीनिंग से जुड़े अपने निर्णय को लोगों तक पहुचाए और उन्हें जागरूक करे। इसके साथ ही मजदूरों के परिवहन से जुड़े किराए के विषय में जरुर उचित निर्णय ले। ताकि इस बारे में भी स्पष्टता आ सके। यह कहते हुए न्यायमूर्ति ने मामले की सुनवाई स्थगित कर दी।  

Created On :   8 May 2020 8:25 PM IST

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