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घर के लिए नाना की हत्या करने वाले नाती की सजा बरकार, अदालत ने कहा - इंसान के लालच की कोई सीमा नहीं
डिजिटल डेस्क, मुंबई। ‘मनुष्य की जरुरत को पूरा करने के लिए पर्याप्त चीजे उपलब्ध हैं किंतु इंसान के लालच की कोई सीमा नहीं है।’ राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के इस कथन का उल्लेख करते हुए बांबे हाईकोर्ट ने एक घर के लालच में अपने नाना की हत्या करनेवाले आरोपी नाती की आजीवन कारावास की सजा को बरकरार रखा है। मामले से जुड़े आरोपी महेंद्र जाधव को मुंबई सत्र न्यायालय ने भारतीय दंड संहिता की धारा 302 के तहत दोषी ठहराते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। जबकि इस मामले से दो आरोपियों को बरी कर दिया था। इसमे से एक मृतक की बेटी और उसका दूसरा आरोपी का भाई था।
निचली अदालत के फैसले के खिलाफ जाधव ने हाईकोर्ट में अपील की थी। न्यायमूर्ति पीबी वैराले व न्यायमूर्ति एनआर बोरकर की खंडपीठ के सामने सुनवाई हुई। अपील में आरोपी ने दावा किया था कि उसे इस मामले में फंसाया गया है। मेरे नाना के बेटे ने अपने पिता दत्तराम मोरजकर की हत्या की है। क्योंकि वे घर को अपने नाम कराना चाहते थे। वहीं अभियोजन पक्ष ने निचली अदालत के फैसले को कायम रखने का आग्रह किया। खंडपीठ ने मामले से जुड़े तथ्यों पर गौर करने के बाद पाया कि मोरजकर का मलाड इलाके में स्थित चाल में एक रुम था। जिसे उसकी बेटी लेना चाहती थी लेकिन मोरजकर का बेटा इसके लिए राजी नहीं था। इसलिए घर को लेकर आए दिन झगड़े होते रहते थे। एक दिन झगड़ा इतना बढ गया कि नाती ने मोरजकर की धारदार हथियार व सिर पर हाकी से मारकर हत्या कर दी गई।
खंडपीठ ने मामले से जुड़े तथ्यों व खास तौर से प्रत्यक्षदर्शी गवाहों के बयान तथा पोस्टमार्टम रिपोर्ट पर गौर करने के बाद कहा कि जाधव ने ही इस मामले से जुड़े अपराध को अंजाम दिया है। खंडपीठ ने प्रकरण से जुड़े लोगों के मृतक के साथ संबंधों को देखते हुए राष्ट्र पिता महात्मा गांधी के उस कथन का जिक्र किया जिसमें राष्ट्रपिता ने कहा था कि मनुष्य की जरुरत को पूरा करने के लिए पर्याप्त चीजे उपलब्ध है किंतु इंसान की लालच की कोई सीमा नहीं है। खंडपीठ ने आरोपी की सजा को कायम रखा और उसकी अपील को खारिज कर दिया।
Created On :   7 Feb 2022 8:50 PM IST