हाईकोर्ट : भंसाली को 19 लाख का भुगतान करे इरोस, प्रवासी मजदूरों के मामले में राज्य सरकार से मांगा जवाब 

High court: Seeks response from government in case of migrant laborers
हाईकोर्ट : भंसाली को 19 लाख का भुगतान करे इरोस, प्रवासी मजदूरों के मामले में राज्य सरकार से मांगा जवाब 
हाईकोर्ट : भंसाली को 19 लाख का भुगतान करे इरोस, प्रवासी मजदूरों के मामले में राज्य सरकार से मांगा जवाब 

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बॉम्बे हाईकोर्ट ने इरोस इंटरनेशनल  मीडिया लिमिटेड को भंसाली प्रोडक्शन को 19.30 लाख रुपये का भुगतान करने का निर्देश दिया है। मामला साल 2013 में बनाई गई फिल्म "गोलियों की रासलीला -रामलीला" के अधिकार से जुड़ा है। जिसको लेकर भंसाली प्रोडक्शन ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। याचिका में कहा गया है कि इरोस इंटरनेशनल मीडिया लिमिटेड का यूएस व यूके की दो विदेशी कंपनियों के साथ विलय होने वाला हैं ।इससे  भंसाली प्रोडक्शन का फिल्म से जुडा अधिकार प्रभावित होगा। लिहाजा इरोस इंटरनेशनल  मीडिया लिमिटेड  को भंसाली प्रोडक्शन की बकाया राशि का भी भुगतान करने का निर्देश दिया जाए। यह विलय 30 जून 2020 तक होगा। न्यायमूर्ति बी पी कुलाबावाला के सामने याचिका पर सुनवाई हुई। याचिका पर गौर करने के बाद न्यायमूर्ति ने कहा कि यह मामला दो विदेशी कंपनियों से जुड़ा है। जो कोर्ट के अधिकार क्षेत्र में नहीं आती है। याचिका में विस्तार से सुनवाई की जरूरत है। इसलिए फिलहाल भंसाली प्रोडक्शन को उसकी बकाया राशि का भुगतान किया जाए। 

 

प्रवासी मजदूरों के मामले में राज्य सरकार से मांगा जवाब

वहीं बॉम्बे हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को प्रवासी मजदूरों के परिवहन व मेडिकल स्क्रीनिंग के लिए उठाए गए कदमों व अपनाई गई नीति की जानकारी देने को कहा है। हाईकोर्ट में प्रवासी मजदूरों के मुद्दों को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई चल रही है। मंगलवार को यह याचिका न्यायमूर्ति एस सी गुप्ते के सामने सुनवाई के लिए आयी। इस दौरान याचिकर्ता की ओर से पैरवी कर रही अधिवक्ता रोनिता ने न्यायमूर्ति के सामने कहा कि कांग्रेस पार्टी की ओर से घोषणा की गई है कि प्रवासी मजदूरों के किराए का खर्च वह वहन करेगी। जिस राज्य में कांग्रेस की सरकार हैं वहां के मजदूरों के किराए का खर्च राज्य सरकार वहन करेगी। इधर केंद्र सरकार ने कहा है कि उसकी ओर से मजदूरों को 85 प्रतिशत किराए में छूट दी जाएगी। राज्य सरकार को सिर्फ 15 प्रतिशत किराए का भुगतान करना होगा। चूंकि महाराष्ट्र में तीन राजनीतिक दलों की सरकार है इसलिए प्रवासी मजदूरों के किराए को लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं है। इसके अलावा गांव जाने के इच्छुक मजदूरों की डॉक्टर से स्क्रीनिंग कराने के लिए कहा गया है। जिसके लिए मजदूरों को भुगतना करना पड़ रहा है। वर्तमान में मजदूरों की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है। इसलिए उनसे मेडिकल स्क्रीनिंग का शुल्क न लिया जाए। उन्होंने कहा कि क्या सरकार गांव जाने वाले मजदूरों को खाने के पैकेट देगी? इसको लेकर भी राज्य सरकार ने कुछ नहीं कहा है। इस दौरान उन्होंने कहा कि सरकार की ओर से अनाज के वितरण अन्य सुविधाओं को लेकर घोषणाए की जा रही पर इन्हें लागू नहीं किया जा रहा है। 

वहीं सरकारी वकील ने कहा कि उन्हें याचिकाकर्ता की ओर से उठाए गए मुद्दे को लेकर निर्देश लेने के लिए समय दिया जाए। उन्होंने कहा कि जो मजदूर यहां है उन्हें भोजन दिया जा रहा है। मामले से जुड़े दोनों पक्षों को सुनने के बाद न्यायमूर्ति ने मामले की सुनवाई 8 मई तक के लिए स्थगित कर दी और अगली सुनवाई के दौरान प्रवासी मजदूरों के परिवहन व मेडिकल स्क्रीनिंग को लेकर अपनाई गई नीति का खुलासा करने को कहा। 

 
 

Created On :   5 May 2020 6:35 PM IST

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