हाईकोर्ट : इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल की प्रक्रिया पर सरकार से मांगा जवाब, महिला आयोग को भी अपरोक्ष सलाह 

High Court: Seeks response on process of International Film Festival
 हाईकोर्ट : इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल की प्रक्रिया पर सरकार से मांगा जवाब, महिला आयोग को भी अपरोक्ष सलाह 
 हाईकोर्ट : इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल की प्रक्रिया पर सरकार से मांगा जवाब, महिला आयोग को भी अपरोक्ष सलाह 

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार से जानना चाहा है कि मुंबई इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल की चयन कमेटी ने तीन डाक्युमेट्री फिल्म (वृत्त चित्र) को अस्वीकार करने के संबंध में कौन सी प्रक्रिया अपनाई है। न्यायमूर्ति एससी धर्माधिकारी व न्यायमूर्ति रियाज छागला की खंडपीठ ने फिल्मकार आनंद पटवर्धन व पंकज कुमार की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई के बाद केंद्र सरकार से यह जवाब मांगा है। दोनों फिल्मकारों की फिल्मों का प्रदर्शन फिल्म फेस्टिवल के दौरान करने से इंकार किया गया है। इससे पहले याचिकाकर्ता के वकील मिहीर देसाई ने कहा कि फिल्मे क्यों नहीं दिखाई जाएगी इसकों लेकर फिल्म फेस्टिवल के आयोजकों ने कोई आधिकारिक कारण नहीं बताया है। उन्होंने कहा कि याचिकाकर्ता को आशंका है कि उनकी फिल्म मौजूदा राजनीतिक माहौल की अलोचना करती है इसलिए उनकी फिल्मों को फिल्म फेस्टिवल में दिखाने से इंकार किया गया है। उन्होंने कहा कि याचिकाकर्ताओं की फिल्म को किस आधार व स्तर पर खारिज किया गया है इसकी जानकारी भी उन्हें नहीं दी गई है। पांच दिवसीय मुंबई फिल्म फेस्टिवल की शुरुआत 28 जनवरी से होनी है। केंद्र सरकार के सूचना व  प्रसारण मंत्रालय का फिल्म विभाग इस फिल्म फेस्टिवल का आयोजक है। इस फिल्म फेस्टिवल का उद्देश्य दुनिया भर की डाक्युमेंट्री व एनिमेशन फिल्म निर्माताओं को एक मंच प्रदान करना है। जिससे इस तरह कि फिल्मों का प्रचार-प्रसार हो सके। याचिका पर गौर करने के बाद खंडपीठ ने एडिशनल सालिसिटर जनरल अनिल सिंह को सोमवार को याचिकाकर्ता की फिल्म को खारिज करने के संबंध में अपनाई गई प्रक्रिया से जुड़े रिकार्ड कोर्ट में पेश करने का निर्देश दिया। खंडपीठ ने कहा कि याचिकार्ताओं ने अपनी फिल्म को लेकर आशंका जाहिर की है इसलिए हम मामले से जुड़े रिकार्ड को देखना चाहते हैं, साथ हम आश्वस्त करना चाहते हैं कि हम चयन कमेटी की स्वतंत्रता में दखल नहीं देगे। याचिका में दावा किया गया है कि कमेटी ने मनमाने तरीके से उनकी फिल्मों को खारिज किया है। उनकी फिल्म सामाजिक कार्यकर्ता नरेद्र दाभोलकर, गोविंद पानसरे, एमएम कलबुर्गी, पत्रकार गौरी लंकेश की हत्या पर आधारित है। एक फिल्म गौरक्षा के नाम पर दलित व मुस्लिमों पर हुए हमलों पर आधारित है। जबकि एक फिल्म आरक्षित वर्ग के छात्र नेता रोहित वेमुला को लेकर बनी। 

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बांबे हाईकोर्ट ने कहा है कि किसी को पद पर नियुक्ति करना और हटाना अदालत का काम नहीं है। हाईकोर्ट ने कहा कि हम सरकारी वकील से अपेक्षा करते हैं कि वे कानून की इस बात को संबंधित लोगों को समझाएंगी की आयोग का पुराना चेयरमैन बदली राजनीतिक व्यवस्था में अपने पद पर कायम नहीं रह सकता, खास तौर से तब जब नई सरकार अपने पसंद के व्यक्ति को आयोग का चेयरमैन बनाना चाह रही है। इससे पहले सहायक सरकारी वकील निशा मेहरा ने कहा कि अभी तक आयोग की मौजूदा चेयरमैन विजया रहाटकर ने अपने पद से त्यागपत्र नहीं दिया है। जबकि वे इस बात को जानती है कि वे सरकार की खुशी से ही अपने पद पर कायम रह सकती हैं। उनकी नियुक्ति पिछली सरकार ने की थी। उन्होंने कहा कि सरकार की ओर से जल्द ही नए आयोग के अध्यक्ष की नियुक्ति की दिशा में कदम उठाए जाएंगे। सरकारी वकील से मिली इस जानकारी के बाद न्यायमूर्ति एससी धर्माधिकारी व न्यायमूर्ति रियाज छागला की खंडपीठ ने कहा कि हम अपेक्षा करते हैं कि हम अगली सुनवाई के दौरान आयोग के नए अध्यक्ष की नियुक्ति के बारे में जानकारी दी जाएगी। इस दौरान खंडपीठ ने कहा कि हम यह भी जानना चाहते हैं कि आयोग के दो सलाहकार सदस्यो की नियुक्ति से जुड़ा प्रस्ताव प्रलंबित क्यों है और रिक्त पदों को भरने के लिए अदालत के हस्तक्षेप की जरुरत क्यों पड़ती है। इसलिए हमे उम्मीद है कि राज्य का महिला व बाल विकास विभाग आयोग को वह सभी जरुरी सहयोग प्रदान करेगा जो महिलाओं के हित में कार्य करने के लिए जरुरी है। खंडपीठ ने कहा कि यह बात हमे आहत करती है कि कोर्ट के हस्तक्षेप से ही आयोग का कामकाज हो रहा है। क्योंकि यह हाईकोर्ट का काम नहीं है कि आयोग सुचारु रुप से अपना काम करे। आयोग में किसी की नियुक्ति करना व पद से हटाना कोर्ट का काम नहीं है। इस विषय पर निर्णय लेना सरकारी तंत्र की जिम्मेदारी है। प्रत्येक नई सरकार को इस बात को समझना होगा। खंडपीठ के सामने आरटीआई कार्यकर्ता विहार ध्रुर्वे की ओर से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई चल रही है। याचिका में आयोग को जरुरी सुविधाएं व संसाधन उपलब्ध कराने की मांग की गई है। खंडपीठ ने फिलहाल मामले की सुनवाई 5 फरवरी तक के लिए स्थगित कर दी है। 
 

Created On :   24 Jan 2020 2:51 PM GMT

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