हाईकोर्ट: एडवोकेट प्रोटेक्शन एक्ट पर राज्य सरकार स्पष्ट करे अपना रुख

High Court: State government should clarify its stand on Advocate Protection Act
हाईकोर्ट: एडवोकेट प्रोटेक्शन एक्ट पर राज्य सरकार स्पष्ट करे अपना रुख
एडवोकेट प्रोटेक्शन एक्ट पर हुई पहली सुनवाई हाईकोर्ट: एडवोकेट प्रोटेक्शन एक्ट पर राज्य सरकार स्पष्ट करे अपना रुख

डिजिटल डेस्क जबलपुर। उच्च न्यायालय जबलपुर द्वारा एडवोकेटस् प्रोटेक्शन एक्ट के विषय पर दायर एक याचिका की सुनवाई के दौरान आज राज्य सरकार को अपना रुख स्पष्ट करने के लिये कहा है। मामला राज्य सरकार द्वारा एडवोकेटस् प्रोटेक्शन एक्ट लागू नहीं किये जाने से अधिवक्ताओं में उपज रही असुरक्षा की भावना के कारण दायर की गई याचिका से संबंधित है। याचिकाकर्ता  चंद्र कुमार वलेजा राष्ट्रीय अध्यक्ष, अखिल भारतीय संयुक्त अधिवक्ता मंच भारत द्वारा अपनी याचिका में बताया गया है कि वर्ष 2012 में मुख्यमंत्री द्वारा वकील, पंचायत के कार्यक्रम के दौरान घोषणा की थी कि म.प्र. शासन द्वारा जल्द ही एडवोकेटस् प्रोटेक्शन एक्ट लागू किया जायेगा। उसके बाद दिनांक 13 मई, 2018 को मुख्यमंत्री द्वारा राज्य अधिवक्ता परिषद द्वारा आयोजित कार्यक्रम में नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी के उदद्घाटन समारोह में भी उपरोक्त आशय की घोषणा करते हुए कहा था कि आगामी मानसून सत्र में उक्त अधिनियम लागू कर दिया जायेगा। दो वर्ष से अधिक समय बीत जाने के पश्चात् फरवरी, 2021 में याचिकाकर्ता ने मुख्यमंत्री एवं प्रदेश सरकार को उक्त घोषणा का हवाला देते हुए पत्र लिखकर पूछा था कि एडवोकेटस् प्रोटेक्शन एक्ट लागू करने की दिशा में क्या कार्यवाही हुई है। राज्य सरकार के विधि एवं विधायी विभाग द्वारा सूचित किया गया कि उक्त दिशा में कार्यवाही चालू है। तत्पश्चात् मार्च, अप्रैल, मई, जून एवं अगस्त 2021 में भी • याचिकाकर्ता ने एडवोकेटस् प्रोटेक्शन एक्ट लागू किये जाने के संबंध में की जा रही कार्यवाही की प्रगति जानने हेतु राज्य शासन को पत्र लिखा था। इस बीच बार काउंसिल ऑफ इंडिया की सात सदस्यी समिति ने एडवोकेटस् प्रोटेक्शन बिल तैयार कर उसपर भारत की समस्त बार एसोसिएशन से टिप्पणी मांगी थी। तत्पश्चात् तैयार किया गया बिल बार काउंसिल ऑफ इंडिया द्वारा संसद के समक्ष पेश हुआ था जून 2021 को राज्य शासन के विधि एवं विधायी विभाग द्वारा पुन: याचिकाकर्ता को यह बताया गया कि एडवोकेटस् प्रोटेक्शन एक्ट वर्तमान में प्रक्रियाधीन है। याचिकाकर्ता की ओर से व्यक्त किया गया कि शासन द्वारा वर्ष, 2012 से एडवोकेटस् प्रोटेक्शन एक्ट लागू किये जाने की घोषणायें की जा रही है व आश्वासन दिये जा रहे हैं परंतु इस दिशा में कार्यवाही की क्या प्रगति है ऐसा सुनिश्चित नहीं किया जा रहा है। दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा नजमा विरुद्ध दिल्ली सरकार के प्रकरण में यह अवधारित किया गया था कि किसी प्रदेश के मुख्यमंत्री द्वारा जब कोई घोषणा की जाती है तो उससे प्रभावित पक्ष के लोगों को उसपर विश्वास होता है और ऐसा घाषणा का लागू कराने का क्षेत्राधिकार न्यायालय के पास होता है। उक्त न्यायसिद्धांत के आधार पर प्रस्तुत प्रकरण माननीय उच्च न्यायालय जबलपुर के समक्ष दायर किया गया है। माननीय न्यायालय द्वारा राज्य सरकार के अधिवक्ता को एडवोकेटस् प्रोटेक्शन एक्ट के संबंध में जो भी प्रगति हुई हो उसे न्यायालय के समक्ष प्रकट करने हेतु म.प्र. शासन से निर्देश प्राप्त करने संबंधी आदेश दिया गया है। यह उल्लेखनीय है कि लंबे समय से अधिवक्ताओं को मिल रही धमकीयों एवं उनपर हो रहे हमलों के कारण अधिवक्ता समुदाय इस कानून को लागू किये जाने की मांग कर रहा है। चिकित्सकों के हित में ऐसे कानून पूर्व में ही प्रभाव में है। माननीय न्यायालय के उपरोक्त निर्देशों से अधिवक्ता समुदाय में उम्मीद की किरण जगी है। याचिकाकर्ता की ओर से दीपक पंजवानी, राजेश पंजवानी नेहा भाटिया, मनोज सनपाल अधिवक्तागण पैरवी कर रहे हैं।

Created On :   30 Nov 2021 9:08 PM IST

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