हाईकोर्ट : पांच जिलों की 35 ग्राम पंचायतों के सरपंच के चुनाव पर रोक, प्रबंधन पाठ्यक्रम में एडमिशन को लेकर दी राहत

High Court: Students got relief due to admission in management course
हाईकोर्ट : पांच जिलों की 35 ग्राम पंचायतों के सरपंच के चुनाव पर रोक, प्रबंधन पाठ्यक्रम में एडमिशन को लेकर दी राहत
हाईकोर्ट : पांच जिलों की 35 ग्राम पंचायतों के सरपंच के चुनाव पर रोक, प्रबंधन पाठ्यक्रम में एडमिशन को लेकर दी राहत

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने पांच जिलों की 35 ग्रामपंचायतों में सरपंच पद के चुनाव 16 फरवरी 2021 तक के लिए पर रोक लगा दी है। जिन जिलों में सरपंच पद के चुनाव पर रोक लगाई गई है उसमें  नाशिक, पुणे, सागली, सतारा,कोल्हापुर व सोलापुर की  विभिन्न ग्रामपंचायतों का समावेश है। इस विषय पर हाईकोर्ट में 31 याचिका दायर की गई थी। याचिकाओं में दावा किया गया था कि सरपंच पद के आरक्षण को लेकर महाराष्ट्र ग्रामपंचायत अधिनियम 1958 व बांबे विलेज पंचायत चुनाव नियमावली के तहत निर्धारित कानूनी प्रक्रिया  प्रावधानों  का पालन नहीं किया जा रहा है। याचिकाओं में कहा गया था कि इस बारे में याचिकाकर्ताओं ने अपनी आपत्तियों के बारे में अपने क्षेत्र के तहसीलदार को भी जानकारी दी थी लेकिन उनकी आपत्तियों पर गौर नहीं किया गया। सुनवाई के दौरान सतारा की एक ग्रामपंचायच के आरक्षण को लेकर याचिका दायर करनेवाले याचिकाकर्ता की ओर से पैरवी कर रहे अधिवक्ता सतीश तलेकर व अधिवक्ता माधवी अय्यप्न ने कहा कि उकने आरक्षण के संबंध में रोटेशनल पालिसी का पालन नहीं किया गया है। इस मामले में एक याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता धैर्यशील सुतार ने भी पक्ष रखा। न्यायमूर्ति एसजे काथावाला व न्यायमूर्ति विनय जोशी की खंडपीठ के सामने याचिका पर सुनवाई हुई। याचिका पर गौर करने के बाद खंडपीठ ने पांच जिलों के जिलाधिकारियों को याचिकाकर्ताओं की इन याचिकाओं को निवेदन के रुप में देखने को कहा और याचिकार्ताओं को पक्ष सुनने का निर्देश दिया। जिलाधिकारियों को खंडपीठ ने सभी याचिकाकर्ताओं की बातों को सुनकर 16 फरवरी 2021 तक आदेश जारी करने को कहा है। 

प्रबंधन पाठ्यक्रम में एडमिशन को लेकर दी राहत

बांबे हाईकोर्ट ने जमनालाल बजाज इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट स्ट्डीस (जेबीआईएमएस) में प्रबंधन पाठ्यक्रम (एमएमएस) में एडमिशन से वंचित दो छात्रों को राहत प्रदान की है। जबकि जेबीआईएमएस को सुपर न्यूमरीक कोटे के दाखिले को लेकर नए सिरे से प्रवेश सूची तैयार करने का निर्देश दिया है। सुपर न्यूमरीक सीट के तहत अप्रवासी भारतियों (एनआरआई), पीआईओ व ओसीआई तथा चिल्ड्रन ऑफ इंडियन वर्कर इन गल्फ कंट्री (सीआईडबल्यूजीसी) के बच्चों को एडमिशन दिया जाता है। सुपर न्यूमरीक कोटे के तहत 15 प्रतिशत सीटे आरक्षित रहती है।

अधिवक्ता अटल बिहारी दुबे व अरविंद तिवारी के माध्यम से दायर याचिका में दावा किया गया था कि जेबीआईएमएस की 120 में से 18 सीटे सुपर न्यूमरिक कोटे के लिए थी। लेकिन पीआईओ व ओसीआई श्रेणी की सीटों का गलत तरीके से वर्गीकरण किया गया। इसके लिए सक्षम प्राधिकरण सीईटी प्रकोष्ठ से मंजूरी नहीं ली गई थी। पीआईओ व ओसीआई श्रेणी की रिक्त सीटे सीआईडबल्यूजीसी को सौप दी गई। जिसके चलते याचिकाकर्ता एडमिशन से वंचित हो गए। 

गुरुवार को न्यायमूर्ति एससी गुप्ते व न्यायमूर्ति एसपी तावड़े की खंडपीठ के सामने सागर भोइटे व गौरव ठाकुर की याचिका पर सुनवाई।

याचिकाकर्ता की ओर से पैरवी कर रहे अधिवक्ता अरविंद तिवारी ने कहा कि नियमों को ताक पर रखकर बच्चों को एडमिशन दिए गए हैं। तिवारी ने कहा कि जेबीआईएमएस ने एडमिशन को लेकर को जो तरीका अपनाया है, वह नियमों के विपरीत व भेदभावपूर्ण है। क्योंकि रिक्त सीटों पर सीआईडबल्यूजीसी के तहत आवेदन करनेवाले बच्चों को एडमिशन दिया जाना चाहिए था। इन दलीलों को सुनने के बाद खंडपीठ ने याचिकाकर्ताओं को प्रवेश देने का निर्देश दिया और जेबीआईएमएस की ओर से 15 प्रतिशत सीटों को लेकर तैयार की गई सूची को रद्द कर नए सिरे से सूची बनाए गा निर्देश दिया। 

 

Created On :   5 Feb 2021 8:53 PM IST

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