प्रशासनिक लापरवाही पर हाईकोर्ट की तल्ख टिप्पणी - बिना जवाबदारी के अधिकार दिए जाने का कोई औचित्य नहीं

High courts comment on administrative negligence - no justification for giving rights without accountability
प्रशासनिक लापरवाही पर हाईकोर्ट की तल्ख टिप्पणी - बिना जवाबदारी के अधिकार दिए जाने का कोई औचित्य नहीं
प्रशासनिक लापरवाही पर हाईकोर्ट की तल्ख टिप्पणी - बिना जवाबदारी के अधिकार दिए जाने का कोई औचित्य नहीं

डिजिटल डेस्क जबलपुर । हाईकोर्ट ने नियमितीकरण के मामले में तीन महीने की समय सीमा के आदेश का 7 साल बाद भी पालन नहीं होने पर तल्ख टिप्पणी की है। जस्टिस अतुल श्रीधरन की एकलपीठ ने प्रख्यात लेखक रूडयार्ड किपलिंग की पुस्तक जंगल बुक के इस कथन को उद्धृत किया है कि िबना जवाबदारी के अधिकार दिए जाने का कोई औचित्य नहीं होता है, इसकी सजा जनता सदियों भुगतती है। एकलपीठ ने अपने आदेश में कहा कि यह समझा जाता है कि अधिकारियों के पास काम बहुत है, इसलिए अवमानना मामले में लचीलापन अपनाया जाता है, इसके कारण अधिकारियों को लापरवाही की आदत पड़ गई। इस मामले में स्पष्ट है कि अधिकारी लंबे समय तक मामलों को देखते नहीं हैं, यह दुर्भाग्यपूर्ण है। एकलपीठ ने 2 फरवरी तक याचिकाकर्ता को नियमितीकरण का लाभ दिए जाने का आदेश दिया है।
ये है मामला
आदिवासी कल्याण विभाग बुरहानपुर के पोस्ट मैट्रिक छात्रावास में दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी के रूप में कुक के पद पर कार्यरत सोना बाई की ओर से वर्ष 2013 में नियमितीकरण के लिए याचिका दायर की गई। हाईकोर्ट ने आदेश दिया कि तीन माह के भीतर याचिकाकर्ता को नियमित कर उसे नियमित वेतनमान प्रदान किया जाए, लेकिन विभाग की ओर से याचिकाकर्ता को नियमित वेतनमान प्रदान नहीं किया गया। इसके बाद वर्ष 2013 में अवमानना याचिका दायर की गई।
सर्कुलर के विरुद्ध पारित कर दिया आदेश
सुनवाई के दौरान आदिवासी कल्याण विभाग के सहायक आयुक्त लखन अग्रवाल वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए हाजिर हुए। उन्होंने कोर्ट को बताया कि याचिकाकर्ता के नियमितीकरण का आवेदन निरस्त कर दिया गया है। अधिवक्ता आदित्य संघी ने तर्क दिया कि विभाग ने इस मामले को 7 साल तक लटकाए रखा। याचिकाकर्ता सितंबर 2021 में सेवानिवृत्त होनी वाली हैं। अवमानना की कार्रवाई से बचने विभाग द्वारा 7 साल बाद वर्ष 1978 के सर्कुलर के विरुद्ध आदेश पारित कर दिया है। एकलपीठ ने इस मामले में सख्त रुख अपनाते हुए 2 फरवरी तक याचिकाकर्ता को नियमितीकरण का लाभ दिए जाने का आदेश दिया है। 
 

Created On :   17 Jan 2021 12:01 PM GMT

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