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अदालत ने कहा- स्टूडेंट्स की सेहत को खतरा
डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने कक्षा 11 वीं में प्रवेश के लिए राज्य सरकार की ओर से ली जाने वाली सामान्य प्रवेश परीक्षा (सीईटी) को रद्द कर दिया है। मंगलवार को हाईकोर्ट ने कोरोना महामारी के बीच इस परीक्षा के आयोजन को गलत मानते हुए कहा कि परीक्षा का आयोजन विद्यार्थियों के जीवन के लिए जोखिम भरा साबित हो सकता है। राज्य भर में जूनियर कालेज में प्रवेश के लिए 21 अगस्त को सीईटी की परीक्षा होनेवाली थी। जिसमें कक्षा दसवीं के विद्यार्थी शामिल होनेवाले थे।
न्यायमूर्ति आरडी धानुका व न्यायमूर्ति रियाज छागला की खंडपीठ ने कहा कि सरकार के पास कानून के तहत सीईटी परीक्षा के आयोजन के बारे में अधिसूचना जारी करने का अधिकार नहीं है। इस परीक्षा से विद्यार्थियों के ऊपर बड़ें पैमाने पर घोर अन्याय हो रहा है। इसलिए अदालत इस मामले में हस्तक्षेप कर रही है। खंडपीठ ने कहा कि यदि परीक्षा को रद्द करने को लेकर याचिका नहीं भी दायर की गई होती तो कोर्ट द्वारा स्वयं संज्ञान लेने के लिए यह सबसे उपयुक्त मामला था।
खंडपीठ ने कहा कि यदि परीक्षा का आयोजन होता है तो बड़ी संख्या में विद्यार्थी बाहर आएंगे। जिससे उनके जीवन के लिए खतरा पैदा होगा और इसका व्यापक असर पड़ेगा। राज्य सरकार ने सीईटी परीक्षा को लेकर 8 मई 2021 को अधिसूचना जारी की थी। जिसे खंडपीठ ने मंगलवार को रद्द कर दिया। खंडपीठ ने 6 अगस्त को मामले से जुड़े सभी पक्षों को सुनने के बाद सीईटी के भविष्य को लेकर अपना फैसला सुरक्षित कर लिया था। जिसे खंडपीठ ने मंगलवार को सुनाते हुए सीईटी परीक्षा से जुड़े सरकार के निर्णय को रद्द कर दिया।
इस फैसले के बाद राज्य के महाधिवक्ता आशुतोष कुंभकोणी ने खंडपीठ से अपने फैसले पर रोक लगाने आग्रह किया किंतु खंडपीठ ने इसे अस्वीकार कर दिया। खंडपीठ ने अपने फैसले में स्पष्ट किया है कि आंतरिक परीक्षा के आधार पर विद्यार्थियों को कक्षा दसवीं में मिले अंको के आधार पर कक्षा 11 वीं में प्रवेश दिया जाए। और 6 सप्ताह के भीतर दाखिले से जुड़ी प्रक्रिया को पूरा किया जाए।
सीईटी परीक्षा को भेदभावपूर्ण बताते हुए आईसीएसई बोर्ड की छात्रा अन्नया पटकी ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। याचिका में दावा किया गया था कि सीईटी की परीक्षा महाराष्ट्र बोर्ड कक्षा दसवीं के पाठ्यक्रम पर आधारित है। इससे दूसरे बोर्ड के विद्यार्थियों के साथ अन्याय होगा। इसके अलावा सरकार ने कोरोना संकट के मद्देनजर जब कक्षा दसवीं की परीक्षा रद्द की है तो वह सीईटी की परीक्षा का आयोजन क्यों कर रही है।
इसके अलावा परीक्षा के आयोजन का निर्णय जल्दबाजी में लिया गया है और विद्यार्थियों को 19 जुलाई 2021 को इसकी जानकारी मिली है। यह परीक्षा संविधान के अनुच्छेद 14 व 21 के खिलाफ है। जबकि राज्यके महाधिवक्ता आशुतोष कुंभकोणी ने कहा कि सरकार के पास सीईटी की परीक्षा के आयोजन का अधिकार है। यह परीक्षा सिर्फ उन्हीं विद्यार्थियों के लिए है, जो अपने पसंद के कालेज में दाखिला लेना चाहते हैं। सरकार कोविड से बचाव से जुड़े प्रोटोकाल का पालन करते हुए परीक्षा का आयोजन करेंगी। अब तक 10 लाख से अधिक विद्यार्थी सीईटी परीक्षा के लिए पंजीयन करा चुके थे।
Created On :   9 Aug 2021 10:41 PM IST