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मेडिकल में जाँच की हाईटेक सुविधा फिर भी लोकल निजी लैब में भेज रहे कोविड मरीजों के ब्लड सैम्पल
डिजिटल डेस्क जबलपुर । नेताजी सुभाषचंद्र बोस मेडिकल कॉलेज में कोरोना मरीजों की कई जाँचें प्राइवेट लैब से कराई जा रही हैं जबकि कोरोना संकट शुरू होने के दौरान ही जाँचों के लिए किटें तथा रीजेंट मेडिकल में मँगवा लिए गए थे। ये तथ्य समझ से परे हैं कि जब मेडिकल में जाँचों की सुविधा है तो उसे लोकल निजी लैब से कराने की क्या जरुरत है?
गंभीर मरीजों के इलाज में कई तरहों की खून की जाँचों की आवश्यकता होती है, इनमें ऑक्सीजन लेवल से लेकर फेफड़ों तथा अन्य ऑर्गन्स की स्थिति का पता किया जाता है। दूसरी ओर प्रबंधन का कहना है कि निजी लैब से वही जाँचें कराई जा रही हैं जो मेडिकल में नहीं हो सकतीं पर मेडिकल कॉलेज की सेंट्रल लैब सहित अन्य लैबों में अत्याधुनिक मशीनें हैं, कई तो ऐसी हैं जो निजी पैथोलॉजी लैब में नहीं हैं। ऐसे में यह कहना कि मेडिकल में कोविड मरीजों के लिए जरूरी जाँच की सुविधा नहीं है, हास्यास्पद लगता है।
गंभीर मरीजों के लिए ये जाँचें जरूरी
कोविड के गंभीर मरीजों को स्वस्थ करने के लिए जिन जाँचों को निजी लैब से कराया जा रहा है उनमें एलडीएच, थेरेटिन, सीआरपी, जीजीटी, इलेक्ट्रोलाइट, प्रोथोमेनटाइन, डीडाइमर आदि प्रमुख हैं। जानकारों के अनुसार इन जाँचों का एक बार का खर्च लगभग पाँच हजार रुपए है। सुपर स्पेशिएलिटी में भर्ती अधिकांश मरीजों के ये टेस्ट कराए जा रहे हैं। मरीजों की सेहत की निगरानी में हर दो दिन बाद ये टेस्ट कराए जा रहे हैं, जिनका खर्च कोविड फंड से दिया जा रहा है। मार्च माह में भोपाल से आए सर्कुलर का हवाला देकर इन 8 से 10 जाँचों को आउटसोर्स किया गया है, जिससे मेडिकल कॉलेज की लैब की क्षमता पर ही सवाल उठा दिए हैं। डीन डॉ. पीके कसार का कहना है कि जो जाँचें मेडिकल में नहीं हो सकती हैं वे ही बंसल पैथोलॉजी से कराई जा रही हैं।
Created On :   8 Aug 2020 2:08 PM IST