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उच्च शिक्षित पत्नी को गुजारा भत्ते की बजाय खोजनी चाहिए नौकरी: हाईकोर्ट
डिजिटल डेस्क, मुंबई। यदि पत्नी उच्च शिक्षित है, तो उसे जीवनयापन के लिए पति से मिलने वाली गुजारे भत्ते की राशि पर निर्भर होने की बजाय नौकरी खोजने की कोशिश करनी चाहिए। उच्च शिक्षित पत्नी का घर पर खाली बैठना अपेक्षित नहीं है। यह बात कहते हुए बॉम्बे हाईकोर्ट ने पत्नी को पारिवारिक अदालत द्वारा दिए गए 20 हजार रुपए के गुजारे भत्ते की राशि को घटाकर दस हजार रुपए कर दिया है।
गुजारे भत्ते की राशि को अत्यधिक होने का दावा करते हुए पति ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। याचिका में दावा किया गया था कि उसकी पत्नी बैचलर ऑफ इंजीनियरिंग (बीई) व एमबीए है। वह उच्च शिक्षित है। फिर भी उसे हिन्दू विवाह अधिनियम की धारा 24 व आपराधिक प्रक्रिया संहिता की 125 के तहत गुजारा भत्ता दिया गया है। यह राशि काफी अधिक है। वहीं पत्नी ने दावा किया था उसके पति का वेतन एक लाख 30 हजार रुपए है। जबकि वह बेरोजगार है । इसलिए उसे गुजाराभत्ता पाने का हक है।
मामले से जुड़े दोनों पक्षों को सुनने के बाद न्यायमूर्ति नीतिन साम्ब्रे ने कहा कि यह तथ्य पूरी तरह से निर्विवाद है कि पत्नी उच्च शिक्षित है। ऐसे में उसे अपने निर्वाह के लिए पति से गुजारे भत्ते के रुप मे मिलने वाली राशि पर निर्भर रहने की बजाय नौकरी खोजने की कोशिश करनी चाहिए। पत्नी अच्छी शैक्षणिक योग्यता है ऐसे में उससे घर में खाली बैठना अपेक्षित नहीं है।
यह बात कहते हुए न्यायमूर्ति ने गुजारे भत्ते की राशि को 20 हजार से घटाकर दस हजार रुपए कर दिया। न्यायमूर्ति ने सुनवाई के दौरान पाया कि पत्नी ने नौकरी की तलाश में क्या प्रयास किए हैं, इसका भी ब्योरा नहीं दिया है। पुणे की पारिवारिक अदालत ने मार्च 2019 में गुजारे भत्ते को लेकर आदेश दिया था।
Created On :   19 Nov 2020 7:43 PM IST