तीन माह से नहीं गए घर, क्वारंटीन सेंटर को बनाया आशियाना -गांव-गांव घूमकर कोरोना को मात देने में जुटी 12 टीमें 

Home not left for three months, Quarantine Center made Ashiana - 12 teams trying to beat Corona
तीन माह से नहीं गए घर, क्वारंटीन सेंटर को बनाया आशियाना -गांव-गांव घूमकर कोरोना को मात देने में जुटी 12 टीमें 
तीन माह से नहीं गए घर, क्वारंटीन सेंटर को बनाया आशियाना -गांव-गांव घूमकर कोरोना को मात देने में जुटी 12 टीमें 

डिजिटल डेस्क शहडोल । कोरोना का नाम सुनते ही हाथ-पांव फूल जाते हैं। संक्रमण से बचने के लिए लोग एक-दूसरे से दूरी बनाकर चल रहे हैं और जरुरत के समय ही घरों से बाहर निकलते हैं। दूसरी ओर इससे बचाव और रोकथाम के लिए पूरा अमला मैदान में है और इसमें भी सबसे महत्पूर्ण भूमिका निभा रहे हैं स्वास्थ्य विभाग से जुड़े वे कर्मचारी जो संक्रमित मरीजों को लाने-ले जाने का काम करते हैं ओर फील्ड में घूमकर संदिग्ध मरीजों का सैंपल कलेक्ट कर रहे हैं। अपनी जान जोखिम में डालकर ये लोग कोरोना को मात देने में जुटे हुए हैं। कुछ कर्मचारी तो पिछले तीन माह से अपने घर तक नहीं गए हैं 
सैंपल लेते समय हर पल रहना पड़ता है सतर्क 
स्वास्थ्य विभाग में काउंसलर पद पर कार्यरत रवि शंकर कतिया एवं मेल स्टॉफ नर्स सौरभ सोनी उन कर्मचारियों में शामिल हैं जो मरीजों के सैंपल लेने का काम कर रहे हैं। नरसिंहपुर निवासी रवि वर्ष 2009 से परामर्शदाता के पद पर कार्यरत हैं। वहीं सौरभ सोनी की भर्ती खास कोविड-19 के लिए हुई है। उन्होंने बताया कि सैंपल लेने के लिए कई बार विपरीत हालातों का सामना करना पड़ता है, तो वहीं वायरस के अटैक से अपने आपको बचाए रखने के लिए हर पल सतर्क रहना पड़ता है। अप्रैल में जब से जिले में संक्रमण पहुंचा, तब से ये दोनों अपने घर नहीं गए हैं। मरीजों के सैंपल लेने के लिए वैसे तो मेडिकल कॉलेज में लैब टेक्नीशियन का अमला रोस्टरवार ड्यूटी करता है, लेकिन रवि व सौरभ लगतार इस कार्य में जुटे हुए हैं। 
किराए का मकान भी छोड़ दिया 
पटेलनगर में किराए के मकान में रहने वाले रवि ने अपै्रल से यहां भी जाना छोड़ दिया है क्योंकि आसपास छोटे-छोटे बच्चे रहते हैं। वे स्टॉफ के लिए बने एनएफडीसी क्वारंटीन सेंटर में रहते हैं। पत्नी व परिजनों से वीडियो कॉल के जरिए बात कर लेते हैं। इच्छा होती है कि घर वालों के बीच कुछ समय बिताएं, लेकिन जिम्मेदारी ऐसी है कि घर जाना सेफ नहीं है। सौरभ सोनी अपने बड़े भाई के मकान में बिल्कुल अलग कमरे में रहने लगे हैं। जब भी कॉल आता है सैंपल लेने के लिए निकल पड़ते हंै। रवि ने पहली बार का अनुभव बताया कि जब बुढ़ार निवासी एक संक्रमित महिला को जबलपुर ले जाने की बारी आई तो कोई तैयार नहीं हो रहा था। तब कोविड प्रभारी अंशुमन सोनारे के साथ वे ही एंबुलेंस में बैठकर जबलपुर गए थे।
कतराते हैं लोग
जिले में 14 मोबाइल टीमें बनाई गई हैं, जो फील्ड में सैंपल लेने का कार्य कर रही हैं। जिला स्तर पर एक व ब्लॉक स्तर पर 12 टीम के 65 लोग इस कार्य में लगे हुए हैं। कोविड-19 के जिला नोडल अंशुमन सोनारे ने बताया कि सैंपल कार्य में काउंसलर रखने की वजह ये है कि मरीजों को इसके लिए तैयार किया जा सके, वहीं रवि ने बताया कि कई बार फील्ड में अप्रिय स्थिति का सामना करना पड़ जाता है। ब्यौहारी के धरी नंबर 2 में ऐसे ही हुआ। प्रवासी श्रमिकों के आने की सूचना पर जब टीम वहां पहुंची तो गांव वालों ने घेर लिया और गाली-गलौज करने लगे। बाद में पुलिस की मदद से हालात सामान्य हुए। सेंटर में तो ठीक है लेकिन फील्ड में जाने के बाद अक्सर लोग सैंपल देने से कतराते हैं ।

Created On :   20 July 2020 3:50 PM IST

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