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विदर्भ को आस, नागपुर से बन सकते हैं तीन मंत्री
डिजिटल डेस्क, नागपुर। शिवसेना के नेतृत्व में राज्य सरकार के गठन की तैयारी के साथ ही मंत्रिपद को लेकर कार्यकर्ताओं में काफी उत्साह देखा जा रहा है। जिला स्तर पर देखा जाए तो यह बदलाव नागपुर जिले के लिए अधिक उत्साह वाला नहीं रहेगा। मुख्यमंत्री पद पर रहकर देवेंद्र फडणवीस नागपुर जिले का भी प्रतिनिधित्व करते थे। सप्ताह में अक्सर वे नागपुर में दिखते थे। अब मुख्यमंत्री मुंबई से बनने जा रहे हैं। लिहाजा नागपुर में कुछ अंतर तो दिखेगा। लेकिन यह अवश्य माना जा रहा है कि पहले कि तुलना में अब जिले में मंत्री की संख्या अधिक होगी। शिवसेना, राकांपा व कांग्रेस से एक एक विधायक को भी मौका मिला तो जिले में 3 मंत्री होना तय माना जा रहा है। इसके अलावा वरिष्ठता के आधार पर कांग्रेस से एक और मंत्री मिल सकते हैं। मंत्रिपद के लिए जिन विधायकों नाम चर्चा में आ सकता है उनमें शिवसेना से आशीष जैस्वाल, राकांपा से अनिल देशमुख व कांग्रेस से नितीन राऊत के अलावा सुनील केदार शामिल है।
विधानपरिषद सदस्य प्रकाश गजभिए भी मंत्रिपद की रेस में बताए जा रहे हैं। यह भी माना जा रहा है कि किसी महामंडल के अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी देकर उनको राज्यमंत्री का दर्जा दिया जा सकता है। रिपब्लिकन पार्टी के नेता व केंद्रीय राज्यमंत्री रामदास आठवले के साथ लंबे समय तक रहे गजभिए ने राकांपा में जुड़ने के बाद पार्टी के वरिष्ठ नेताओं से संबंध मजबूत किए हैं। संगठन कार्यों के अलावा चुनाव कार्यों में उनकी सक्रियता रही है।
कांग्रेस में विदर्भ से विजय वडेट्टीवार, यशोमति ठाकुर का मंत्री बनना तय माना जा रहा है। लेकिन जिले से नितीन राऊत व सुनील केदार को भी मौका मिलने की संभावना जतायी जा रही है। राऊत प्रदेश कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष हैं। कांग्रेस एससी सेल के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी हैं। आंबेडकरवादी चेहरा के तौर पर उन्हें भी प्रोत्साहित किया जा सकता है। सुनील केदार सावनेर से लगातार चुनाव जीत रहे हैं। वे भी निर्दलीय चुनाव जीतकर शिवसेना के नेतृत्व की युति सरकार में मंत्री थे। राकांपा में भी रहे हैं। शरद पवार से उनके भी काफी अच्छे संबंध है।
राकांपा के अनिल देशमुख पार्टी में महत्वपूर्ण स्थान रखत हैं। शरद पवार के करीबी कार्यकर्ता है। 1995 में विधानसभा चुनाव में देशमुख निर्दलीय जीते थे। शिवसेना के नेतृत्व में सरकार बनी तो मंत्री बन गए। करीब डेढ़ दशक तक कुछ अंतराल छोड़कर मंत्री रहे हैं। विदर्भ में राकांपा के कुछ ही नेता है। यहां विधानसभा की 62 में से 6 सीटों पर राकांपा जीती है। उनमें देशमुख का महत्व सबसे अहम बताया जा रहा है।
आशीष जैस्वाल रामटेक से निर्दलीय चुनाव जीते हैं। इससे पहले दो बार शिवसेना की टिकट पर विधानसभा चुनाव जीते थे। इस बार भाजपा के साथ गठबंधन के कारण रामटेक सीट पर शिवसेना ने उम्मीदवार खड़ा नहीं किया था। लेकिन जैस्वाल ने शिवसेना कार्यकर्ताओं के भरोसे ही इस सीट पर भाजपा उम्मीदवार को पराजित कर दिया। चुनाव जीतने के बाद उन्होंने उद्धव ठाकरे से मुलाकात कर शिवसेना को समर्थन दिया है। जैस्वाल ने वकालत की पढ़ाई की है। शिवसेना में अध्ययनशील विधायक की उनकी पहचान रही है। उन्हें राज्य खनिज महामंडल का अध्यक्ष भी बनाया गया है। पूर्व मुख्यमंत्री फडणवीस के गृह जिले में शिवसेना को सक्रिय करने के लिए जैस्वाल काे प्रोत्साहित किया जा सकता है।
Created On :   27 Nov 2019 6:07 PM IST