बुखार आने के कारण अस्पताल में चला इलाज, स्टार हेल्थ ने भुगतान करने से किया इनकार

District Mineral Fund is not being used in Gadchiroli!
गड़चिरोली में जिला खनिज निधि का नहीं हो रहा कोई उपयाेग!
सालों से लेते आ रहे पॉलिसी फिर भी ब्रांच व क्लेम डिपार्टमेंट ने किया गोलमाल बुखार आने के कारण अस्पताल में चला इलाज, स्टार हेल्थ ने भुगतान करने से किया इनकार

डिजिटल डेस्क,जबलपुर। बीमा कंपनियों के एजेंट, ब्रांच के अधिकारी सपने ऐसे दिखाते हैं कि वे जमीनी हकीकत में सच साबित होंगे। अनेक तरह के ऑफर के साथ आम लोगों को पॉलिसी लेने के लिए तैयार कर लेते हैं। प्रति वर्ष प्रीमियम की राशि भी जमा कराई जाती है। समय आने के पहले से ही बीमा कंपनी के आफिस से पॉलिसीधारक को रिन्यू कराने के लिए फोन पहुँचना शुरू हो जाता है। पॉलिसी होल्डर को जब कैशलेस की जरूरत होती है तो उस वक्त अस्पताल में कैशलेस नहीं किया जाता है।

बीमित को सारा खर्च अपने पास से करना पड़ता है। बिल व रिपोर्ट जब बीमा कंपनी में सबमिट की जाती है तो उसमें अनेक प्रकार की खामियाँ निकालना शुरू कर दिया जाता है। कई तरह से बीमा कंपनी के जिम्मेदार परेशान करने लगते हैं और बाद में नो क्लेम या फिर बिलों में कटौती कर दी जाती है। यह गोलमाल किसी एक पॉलिसीधारक के साथ नहीं किया जाता है, बल्कि अनेक लोगों के साथ कुछ इसी तरह का खेल निरंतर जारी है।

इन नंबरों पर बीमा से संबंधित समस्या बताएँ 

स्वास्थ्य बीमा से संबंधित किसी भी तरह की समस्या आपके साथ भी है तो आप दैनिक भास्कर के मोबाइल नंबर - 9425324184, 9425357204 पर बात करके प्रमाण सहित अपनी बात दोपहर 2 बजे से शाम 7 बजे तक रख सकते हैं। संकट की इस घड़ी में भास्कर द्वारा आपकी आवाज को खबर के माध्यम से उचित मंच तक पहुँचाने का प्रयास किया जाएगा।

अस्पताल को सूची से हटा दिया बीमा अधिकारियों ने

कोपरगाँव अहमदनगर महाराष्ट्र निवासी जितेन्द्र उर्फ जीतू काले ने अपनी शिकायत में बताया कि वे सालों से स्टार हेल्थ इंश्योरेंस कंपनी से स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी कराते हुए आ रहे हैं। पॉलिसी क्रमांक पी/15114/ 012022/ 026157 का कैशलेस कार्ड भी मिला था। बेटा युवराज काले को अगस्त 2022 में अचानक स्वास्थ्य खराब होने के कारण निजी अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा था। बीमा अधिकारियों ने कैशलेस के लिए मेल किया, तो स्टार हेल्थ ने बिल सबमिट करने पर भुगतान करने का वादा किया। युवराज को बुखार आ रहा था और सुधार नहीं होने के कारण काफी दिनों तक उसे अस्पताल में भर्ती रखना पड़ा था।

बीमित ने बेटे के ठीक होने के उपरांत सारे बिलों को बीमा कंपनी में मेल किया तो अनेक प्रकार की उसमें खामियाँ निकाली गईं। अस्पताल से दोबारा सत्यापित कराकर बिल जमा कराया गया, तो कंपनी ने जल्द भुगतान का दावा किया, पर बाद में यह कहते हुए क्लेम रिजेक्ट कर दिया कि उक्त अस्पताल में इलाज नहीं कराना था। यही नहीं उक्त अस्पताल को भी अपने लिंक अस्पताल की सूची से अलग कर दिया। बीमित का आरोप है कि बीमा कंपनी के द्वारा हमारे साथ गोलमाल किया गया है।

 

Created On :   22 Nov 2022 11:01 AM GMT

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story