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आपस में बाँट लिए अस्पताल, मजबूरी का फायदा उठाकर वसूल रहे मनमानी रकम
डिजिटल डेस्क जबलपुर। शहर में एम्बुलेंस संचालकों का सिंडीकेट किस कदर हावी है, इसकी बानगी नेताजी सुभाषचंद्र बोस मेडिकल कॉलेज में रविवार रात हुई घटना के बाद सभी ने देखी। एक बेटे को नजदीक में भर्ती मरीज के परिजन को एम्बुलेंस उपलब्ध कराना इतना भारी पड़ा कि उसकी कीमत माँ की जान के रूप में चुकानी पड़ी। ऐसा पहली बार नहीं है जब एम्बुलेंस संचालकों ने मानवता को ताक पर रखा हो। आए दिन मरीजों की मजबूरी का फायदा उठाकर मनमानी रकम वसूलने के मामले सामने आते रहते हैं। इसके बाद भी जिम्मेदार मूकदर्शक बने बैठे हैं। एम्बुलेंस संचालकों ने शहर भर के अस्पताल आपस में बाँट लिए हैं, ताकि मनमानी रकम वसूल सकें। शासकीय से लेकर निजी अस्पतालों तक सभी ने रेट तय कर रखे हैं। जरा सी दूरी तय करने के भी ये हजारों रुपए वसूल रहे हैं। सूत्रों के अनुसार अस्पतालों में काम करने वाले कई कर्मचारी एम्बुलेंस संचालकों को बुकिंग की जानकारी देते हैं और बुकिंग तय हो जाने के बाद कमीशन लेते हैं। यही लोग मेडिकल और विक्टोरिया जैसे शासकीय अस्पतालों में इलाज कराने आए मरीजों को खराब इलाज और इलाज में देरी का हवाला देकर निजी अस्पताल भेजने का काम करते हैं, जहाँ मरीजों के हिस्से में सिर्फ शोषण आता है।
अस्पताल के कर्मचारी भी शामिल
सूत्र बताते हैं कि मेडिकल अस्पताल में दिन और रात के लिए अलग-अलग एम्बुलेंस संचालक हैं, इनके अलावा अस्पताल में कोई और सेवा नहीं दे सकता। अगर कोई अन्य सेवा देता है तो परिजनों के साथ क्या होता है, इसका उदाहरण रविवार रात हुई घटना स्वयं है। अस्पताल में काम करने वाले कुछ कर्मचारी भी इस शोषण में शामिल हैं। प्रबंधन का इसमें हस्तक्षेप नहीं है।
50 से ज्यादा निजी एम्बुलेंस संचालक
सूत्रों के अनुसार शहर में 50 से ज्यादा निजी एम्बुलेंस संचालक हैं। जिन्होंने आपस में तय कर लिया है कि कौन, किस अस्पताल से मरीज या शव लाएगा अथवा ले जाएगा। इनकी मर्जी के बिना कोई अन्य एम्बुलेंस संचालक यह काम नहीं कर सकता, न तो प्रशासन और न ही स्वास्थ्य विभाग की ओर से एम्बुलेंस का किराया निर्धारित करने को लेकर कोई कार्रवाई की गई।
कलेक्टर को लिखा पत्र
निजी एम्बुलेंस संचालकों द्वारा मरीजों और परिजनों पर किए जा रहे शोषण को रोकने और समुचित कार्रवाई करने के लिए मोक्ष संस्था द्वारा कलेक्टर को पत्र लिखा गया है। जिसमें एम्बुलेंस संचालकों को मोनोपॉली को खत्म करने के लिए प्री-पेड बूथ व्यवस्था शुरू करने की माँग की गई है। इसके अलावा सामाजिक सहयोग से भी एम्बुलेंस चलाने की बात पत्र के माध्यम से रखी गई है।
केवल ड्रॉप एण्ड गो की परमिशन
शासकीय अस्पताल के परिसर में निजी एम्बुलेंस संचालक खड़े नहीं हो सकते, केवल ड्रॉप एण्ड गो की परमिशन है। कोरोना संक्रमण के प्रसार के दौरान एम्बुलेंस के लिए रेट तय हुए थे। इस संबंध में समस सीमा की बैठक में भी चर्चा हुई है।
-डॉ. रत्नेश कुररिया, सीएमएचओ
पुलिस ने शुरू की जाँच, पीएम के बाद परिजनों को सौंपा शव
मेडिकल कॉलेज में रविवार रात हुई घटना के मामले में गढ़ा पुलिस ने मर्ग कायम कर प्रकरण की विस्तृत छानबीन शुरू कर दी है। सीएसपी गढ़ा तुषार सिंह के अनुसार पीएम के बाद शव परिजनों को सौंप दिया गया है। अंतिम संस्कार के लिए शव को परिजन नरसिंहपुर ले गए। मृतका के बेटे और अन्य लोगों के बयान दर्ज करने के बाद वैधानिक कार्रवाई की जाएगी। घटना के बाद सुरक्षा सवालों के घेरे में है, जबकि होली के पूर्व प्रबंधन ने त्यौहार को देखते हुए सिक्योरिटी टाइट रहने का दावा किया था। इसके बाद भी लोग वार्ड में घुस गए और परिजनों से मारपीट की। सवाल यह है कि उस वक्त सुरक्षा में लगे गार्ड क्या कर रहे थे। विवाद के वक्त कोई भी बीच-बचाव के लिए नहीं पहुँचा।
सख्त कार्रवाई नहीं हुई, तो मेडिकल से भरोसा उठ जाएगा
चीचली नरसिंहपुर निवासी हेमराज का कहना है कि आरोपियों पर सख्त कार्रवाई होनी चाहिए। मेरी माँ की हत्या करने वालों को बख्शा न जाए। कार्रवाई नहीं हुई तो लोगों का मेडिकल कॉलेज से भरोसा उठ जाएगा। जैसा मेरे साथ हुआ, वैसा किसी और के साथ न हो।
मेडिकल प्रबंधन ने एफआईआर के लिए लिखा पत्र
मेडिकल कॉलेज प्रबंधन ने घटना के बाद सोमवार को अपना पक्ष रखा। अधीक्षक कार्यालय से जारी पत्र के अनुसार वार्ड-16 में हुई घटना की निंदा की गई। वहीं संबंधित सुरक्षा एजेंसी को कार्रवाई कर विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए निर्देशित किया गया है। इसके अलावा अज्ञात लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने के लिए गढ़ा थाना प्रभारी को पत्र लिखा गया है।
Created On :   21 March 2022 10:04 PM IST