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भाजपा ने कैसे जुटाए जीत के लिए जरुरी वोट, सपा-एमआईएम के वोटों को लेकर आशंका
डिजिटल डेस्क, मुंबई, विजय सिंह ‘कौशिक’। राज्यसभा चुनाव में सत्तधारी महा विकास आघाडी का पडला भारी दिखाई दे रहा था। तीनों दल शिवसेना,कांग्रेस व राकांपा विपक्षी दल भाजपा के साथ एकजुट थी इसके बावजूद भाजपा ने छठी सीट पर शिवसेना को शिकस्त कैसे दे दी। शनिवार को राजनीतिक हलको में दिनभर वोटों का गुणा गणित जारी रहा। भाजपा ने छोट दलों और कुछ निर्दलियों की मदद से बाजी पलटी है। महा आघाडी सरकार को समर्थन का एलान करने वाली समाजवादी पार्टी (सपा) और एमआईएम के वोट को लेकर भी संशय व्यक्त किया जा रहा है। मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे का निदर्लिय विधायकों से दूरी बनाने रखना भी शिवसेना की हार का एक कारण बना है।
बहुजन विकास आघाडी के मुखिया हितेंद्र ठाकुर ने अंतिम समय तक अपने पत्ते नहीं खोले थे। मतदान के वक्त ठाकुर सहित उनकी पार्टी की दो अन्य विधायकों ने भाजपा उम्मीदवार के पक्ष में वोट दिया। इसके अलावा भाजपा को निर्दलिय विधायक संजय शिंदे का भी साथ मिला। कांग्रेस सूत्रों की माने को एमआईएम को वोट भी भाजपा के साथ गए। पार्टी के दो विधायक हैं। एमआईएम की तरफ से कहा गया था कि वे शिवसेना की बजाय कांग्रेस के मुस्लिम उम्मीदवार इमरान प्रतापगढ़ी को वोट देंगे। पर कांग्रेस उम्मीदवार इमरान प्रतापगढ़ी को कांग्रेस विधायकों के 42 वोट के अलावा एक अतिरिक्त वोट मिला। पार्टी नेताओं का कहना है कि यह अतिरिक्त सपा का हो सकता है। चर्चा है कि सपा का एक दूसरा वोट भाजपा के साथ गया। इसके अलावा ठाकरे सरकार में शामिल राज्यमंत्री बच्चू कडू के प्रहार संगठन के दो वोट को लेकर भी चर्चाओं का बाजार गर्म है। राज्यसभा चुनाव में पार्टा विधायकों को अपने दल के अधिकृत पोलिंग एजेंट को दिखा कर मतपत्र पेटी में डालना होता है जबकि निर्दलिय विधायकों के लिए कोई अनिवार्यता नहीं होती। एक-दो विधायकों वाले दल अपना पोलिंग एजेंट भी नियुक्त नहीं करते। इस लिए इस चुनाव में बड़े दलों के विधायकों के क्रास वोटिंग की संभावना बेहद कम होती है। ऐसे में भाजपा ने छोटे दलों और निर्दलिय विधायकों को अपने पाले में किया।
सब पर भारी पड़े देवेंद्र फडणवीस
राज्यसभा चुनाव में राजनीति के महारथी माने जाने वाले राष्ट्रवादी कांग्रेस अध्यक्ष शरद पवार और मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे पर विपक्ष के नेता देवेंद्र फडणवीस की रणनीति भारी पड़ी है। सूत्रों के अनुसार महाराष्ट्र से राज्यसभा की छठीं सीट पर जीत हासिल करने के लिए फडणवीस ने उम्मीदवारों का नाम तय होने से पहले ही रणनीति बनानी शुरु कर दी थी। इसकी भनक न तो मुख्यमंत्री ठाकरे को लगी और न ही शरद पवार को कुछ पता चल सका। फडणवीस के कोरोना संक्रिमत होने के बाद समझा जाने लगा कि भाजपा की जीत की उम्मीदें धुल धसरित हो गई है पर फडणवीस घर में कैद होने के बाद भी शांत नहीं बैठे रहे। भाजपा उम्मीदवार की जीत सुनिश्चित करने के लिए उन्होंने अपने गैर राजनैतिक मित्रों को भी काम पर लगा रखा था। राज्यसभा चुनाव मतदान के दौरान फडणवीस मतदान शुरू होने से लेकर तड़के चार बजे चुनाव परिणाम घोषित होने तक विधानभवन में डटे रहे। दूसरी ओर मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे मतदान के बाद विधानभवन से निकल गए। राकांपा प्रमुख शरद पवार तो मतदान पूरा होने से पहले ही पुणे निकल गए। पवार के पुणे जाने पर कुछ लोगों का लगा कि दाल में कुछ काला है।
फडणवीस बनाम उद्धव ठाकरे
भाजपा की इस जीत के शिल्पकार विपक्ष के नेता फडणवीस का सभी दलों में सम्पर्क और दूसरी तरफ मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे का अंतर्मुखी स्वभाव ने भी इस चुनाव में अपनी भूमिका निभाई। सत्ताधारी दलों के विधायकों, मंत्रियों के अलावा निर्दलिय विधायकों की भी यह आम शिकायत है कि लाख कोशिशों के बावजूद मुख्यमंत्री से बात-मुलाकात नहीं हो पाती। ठाकरे सरकार को समर्थन दे रहे सपा अध्यक्ष विधायक अबू आसिम आजमी ने सार्वजनिक तौर पर भी यह बात कही थी। उनकी नाराजगी सामने आने के बाद राज्यसभा चुनाव को लेकर मुख्यमंत्री ठाकरे ने उनसे मुलाकात की थी पर सपा के दोनों वोटों को लेकर आशंका जताई जा रही है।
किसने मिले कितने वोट
पीयूष गोयल (बीजेपी)- 48
डॉ अनिल बोंडे (बीजेपी)- 48
प्रफुल्ल पटेल (एनसीपी)- 44
इमरान प्रतापगढ़ी (कांग्रेस)-43
धनंजय महाडिक (बीजेपी)-41.58
संजय राउत (शिवसेना)-41
संजय पवार (शिवसेना)-33
अतुल लोंढे, मुख्य प्रवक्ता प्रदेश कांग्रेस के मुताबिक महा विकास आघाड़ी के 153 वोट एकजुट रहे। पर निर्दलीय और छोटे दलों के विधायकों के साथ हॉर्स ट्रेडिंग से यह चुनाव परिणाम आया है।’
Created On :   12 Jun 2022 2:11 PM IST