भोजन के लिए बच्चों की मौत पर सरकारी अफसरों को कैसे आए सकती है नींद

How can government officers get sleep on the death of children for food - HC
भोजन के लिए बच्चों की मौत पर सरकारी अफसरों को कैसे आए सकती है नींद
हाईकोर्ट ने पूछा भोजन के लिए बच्चों की मौत पर सरकारी अफसरों को कैसे आए सकती है नींद

डिजिटल डेस्क, मुंबई। यदि भोजन के अभाव में महिलाओं व बच्चों की मौत होती है तो क्या कार्यपालिका से जुड़े उन अधिकारियों को नीद आ सकती है जिन पर राज्य के नागरिकों की बुनियादि जरुरतों को पूरा करने की जिम्मेदारी है। संविधान के सिद्धांत व नीति से कार्यपालिका के अधिकारी बेखबर नहीं रह सकते। क्योंकि संविधान ने नागरिकों को एक गरिमापूर्ण जीवन प्रशस्त किया है। बांबे हाईकोर्ट ने अमरावती जिले के धारणी, चिखलदरा व अन्य आदिवासी इलाकों में कुपोषण से बच्चों की मौत के मुद्दे को लेकर यह बात कही है। हाईकोर्ट ने आदिवासी इलाकों में बच्चों उचित पोषक आहार उपलब्ध कराने के लिए योग्य आहार विशेषज्ञ नियुक्त करने का सुझाव दिया है। ताकि वह कुपोषणग्रस्त आदिवासी बच्चों के लिए पोषक आहार को लेकर सुझाव दे सके। इसके साथ ही राज्य के सभी विभाग इस मामले में समन्वय के साथ काम करें। जिससे आहार विशेषज्ञ द्वारा सुझाया गया भोजन बच्चों तक पहुंच सके। हाईकोर्ट में 23 अगस्त को इस विषय पर डाक्टर राजेंद्र वर्मा की ओर से दायर जनहित याचिका सुनवाई हुई थी। जिसका विस्तृत आदेश गुरुवार को उपलब्ध हुआ।

मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता व न्यायमूर्ति गिरीष कुलकर्णी की खंडपीठ ने अपने आदेश में कहा है कि 14 साल पहले इस मामले को लेकर हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई थी। और अभी भी कुपोषण के चलते बच्चों की मौत हो रही है। यह हमारे लिए काफी पीड़ादायी है। क्या राज्य की व्यवस्था इतनी कमजोर है कि वह अपने नागरिकों की पोषण से जुड़ी जरुरतों को सिर्फ इसलिए पूरा नहीं कर सकती है क्योंकि वह काफी दूर आदिवासी इलाकों में रहते हैं।

72 साल बाद भी ऐसी स्थिति

नागरिकों की ऐसी उपेक्षा संवैधानिक शासन के 72 साल बाद अपेक्षित नहीं है। खंडपीठ ने कहा कि संविधान ने नागिरकों के लिए गरिमा व अर्थपूर्ण जीवन प्रशस्त किया है। हम नहीं चाहते नागरिकों के लिए जो व्यवस्था संविधान में दी गई है वह सिर्फ कागजों में रहे। खंडपीठ ने राज्य के सार्वजनिक विभाग के प्रधान सचिव को आगाह किया है कि यदि मामले की अगली सुनवाई तक कुपोषण के चलते आदिवासी इलाके में मौत होती है तो इसके लिए सार्वजनिक विभाग के प्रधान सचिव व्यक्तिगत तौर पर जिम्मेदार होंगे। खंडपीठ ने दो सप्ताह बाद इस याचिका पर सुनवाई रखी है।   

 

Created On :   26 Aug 2021 9:17 PM IST

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