- Home
- /
- राज्य
- /
- महाराष्ट्र
- /
- मुंबई
- /
- पति पर होती है पत्नी की सुरक्षा की...
पति पर होती है पत्नी की सुरक्षा की जिम्मेदारी यह कहते हुए हाईकोर्ट ने सजा रखी बरकरार
डिजिटल डेस्क, मुंबई। पत्नी की सलामती व सुरक्षा की पूरी जिम्मेदारी उसके पति पर होती है। दहेज के लिए वह अपनी इस जिम्मेदारी की उपेक्षा नहीं कर सकता। बांबे हाईकोर्ट ने यह महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। यहीं नहीं अदालत ने अपने फैसले में पत्नी की हत्या के मामले में दोषी पाए गए पति की सजा को भी बरकरार रखा है। पति ने निचली अदालत के फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील की थी। न्यायमूर्ति साधना जाधव व न्यायमूर्ति एनआर बोरकर की खंडपीठ ने कहा कि पत्नी सिर्फ पति के भरोसे विवाह के बंधन में बधती है। इसलिए उसकी सुरक्षा की पूरी जिम्मेदारी पति की होती है। ऐसे में यदि पत्नी ससुराल में दहेज के चलते आत्महत्या के जरिए अपना जीवन समाप्त करती है तो यह माना जाएगा कि पति ने अपनी जिम्मेदारी नहीं निभाई। जबकि मौजूदा मामले में पति ने खुद गला घोटकर अपने पत्नी की हत्या की है। मामले से जुड़े तथ्यों पर गौर करने के बाद खंडपीठ ने पाया कि आरोपी अपने रिश्तेदारों के साथ मिलकर सिर्फ इसलिए अपने पत्नी को प्रताड़ित करता था क्योंकि वह शादी के समय दस ग्राम सोना लेकर नहीं आयी थी। एक दिन झगड़े के बाद आरोपी (पति) ने खुद अपनी पत्नी का गला दबा दिया। यहीं नहीं आरोपी ने इस घटना के बाद इस मामले को आत्महत्या का मामला दिखाने की कोशिश भी की। आरोपी ने अपनी सास को यह कहकर प्रभावित करने की कोशिश की वह अपने बेटे को डेढ़ एकड़ जमीन देगा। इस तरह से आरोपी ने मामले की जांच को भी प्रभावित करने का प्रयास किया। खंडपीठ ने मामले से जुड़े सबूतों के आधार पर आरोपी पति की अजीवन कारावास की सजा को बरकरार रखा।
हाईकोर्ट में वन विभाग की दलील
उधर एक मामले में राज्य के वन विभाग के अधिकारी ने हलफनामा दायर कर बांबे हाईकोर्ट को यह जानकारी दी है। जिसमें कहा गया कि कुत्ता चाहे पालतु ही क्यों न हो वह किसी भी जंगली जानवर को डराने, घायल करने अथवा मारने में सक्षम है। इसलिए कुत्तों को पहाड़ी पर घुमाने ले जाने से रोका गया है। पुणे विभाग के सहायक वन संरक्षक अधिकारी ने इस विषय पर हलफनामा दायर कर स्पष्ट किया है कि आरक्षित वन क्षेत्र में कुत्तो को नहीं ले जाया जा सकता है। पुणे के जिस इलाके में कुत्तों को लेकर जाने पर रोक लगाई गई है वह आरक्षित वन क्षेत्र में आता है। इसलिए वहां पर कोई कुत्ते के साथ जाने का अधिकार होने का दावा नहीं कर सकता है। राज्य सरकार के पास आरक्षित वन क्षेत्र में कुत्तों के प्रवेश को रोकने के विषय में नियम बनाने का अधिकार है। पुणे के आईएलएस लॉ कालेज के पीछे की जगह आरक्षित वन क्षेत्र में आता है। इसिलए वहां पर स्थित पहाडों पर कुत्तों को घूमाने पर रोक लगाई गई है। यह हलफनामा कुत्तों को पहाड़ी पर ले जाने पर लगाई गई रोक के खिलाफ दायर याचिका के जवाब दायर किया गया है। इस बारे में पुणे निवासी प्राणी प्रेमी शर्मिला कर्वे ने कोर्ट में याचिका दायर की है। याचिका में वन विभाग के जनवरी 2021 के उस आदेश को चुनौती दी गई है जिसके तहत कुत्तों को पुणे इलाके में स्थित पहाड़ी पर ले जाने पर प्रतिबंध लगाया गया है। याचिका में महाराष्ट्र वन अधिनियम 2014 के नियम 9 (1) के प्रावधान को भी चुनौती दी गई है। याचिका में कहा गया है कि राज्य सरकार इस तरह का प्रतिबंध नहीं लगा सकती है। याचिका पर गौर करने के बाद न्यायमूर्ति एसजे काथावाला की खंडपीठ ने वन विभाग को हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया था। हलफनामें के मुताबिक आरक्षित वन के अलावा सावर्जनिक रास्ते, खुले स्थान व मैदान कुत्तों को घूमाने के लिए उपलब्ध हैं। इसलिए इस विषय पर दायर की गई याचिका पर विचार न किया जाए और इसे खारिज किया जाए।
Created On :   23 March 2021 8:49 PM IST