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समता, न्याय की विचारधारा यानी आंबेडकरवाद
डिजिटल डेस्क, नागपुर. समता, न्याय की विचारधारा यानी आंबेडकवाद। विषमता, अन्याय की विचारधारा यानी मनुवाद है। आंबेडकरवाद व मनुवाद में युद्ध विचारधारा का है। विचारधारा का युद्ध भावना से जीता नहीं जा सकता। प्रज्ञा पर आधारित ज्ञान से यह जीता जाता है। यह प्रतिपादन दिल्ली के पूर्व सामाजिक न्याय मंत्री राजेंद्रपाल गौतम ने किया। नागपुर बुद्धिस्ट एसोसिएशन की ओर से गौतम का चंद्रमणिनगर में भव्य सत्कार किया गया। इस अवसर पर भंते विमलकीर्ति गुणसिरी, प्रकाश राठोड, अमन कांबले आदि उपस्थित थे। इस दौरान दिल्ली के पूर्व मंत्री गौतम ने 22 प्रतिज्ञा का विरोध करने वालों पर हमला बोला। उन्होंने कहा कि धर्म व धम्म में फर्क है। बुद्ध धम्म प्रेम, स्नेह, समता, न्याय बताता है। विषमता को कोई जगह नहीं है। जिस कारण बौद्ध धम्म का प्रसार बड़े पैमाने पर हो रहा है। यूएन की रिपोर्ट अनुसार, अमेरिकी युवक बड़े पैमाने पर बौद्ध धम्म की ओर आकर्षित हो रहे हैं। दूसरी एक रिपोर्ट अनुसार अमेरिका, आस्ट्रेलिया में आगामी 10 से 15 वर्षों में बौद्धों की संख्या तेजी से बढ़ने वाली है। अगर हमें हिंदू माना जाता है तो मंदिर में प्रवेश क्यों मना किया जाता है? शिक्षा, व्यापार, संपत्ति रखने पर धार्मिक बंद क्यों लगाई गई थी। वे हमें हिंदू नहीं मानते। हमारा द्वेष करते है। धर्म और जाति में विभाजित करने वालों का विरोध करना चाहिए। जाति की दीवारों को तोड़कर इंसानों को जोड़ने की जरूरत है। बुद्ध धम्म का यहीं तत्वज्ञान है। इसे सही अर्थों में आत्मसाद किया जाना चाहिए।
Created On :   16 Oct 2022 5:52 PM IST