तृतीयपंथी सर्जरी से महिला बनती है तो वह गुजाराभत्ता पाने की हकदार
डिजिटल डेस्क, मुंबई. यदि तृतीयपंथी सर्जरी के जरिए लिंग परिवर्तन कराके महिला बन जाता है तो वह अपने पति से गुजाराभत्ता पाने का हक रखता है। बांबे हाईकोर्ट ने यह महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। न्यायमूर्ति अमित बोरकर ने अपने फैसले में कहा है कि "महिला’ शब्द एक जेंडर तक सीमित नहीं है, इसमें ट्रांसजेंडर व्यक्ति भी शामिल हैं, जिन्होंने अपना लिंग परिवर्तन कराए हैं। ऐसे में लिंग परिवर्तन करानेवालें पर यह निर्भर करता है कि वह खुद की लैंगिक पहचान कैसी रखना चाहता है? न्यायमूर्ति ने कहा कि घरेलू हिंसा संरक्षण कानून की धारा 2(एफ) में घरेलू संबंध की जो परिभाषा दी गई है वह लैगिंक तटस्थता को दर्शाती है। फिर इससे कोई फर्क नहीं पड़ता है कि कोई किस जेंडर का चयन करता है। न्यायमूर्ति ने कहा कि कोई पुरुष व स्त्री सर्जरी के जरिए किस जेंडर का चयन करता है, यह उसकी व्यक्तिगत पसंद का विषय है। घरेलू हिंसा संरक्षण कानून मुख्य उद्देश्य महिलाओं के कल्याण व अधिकारों को प्रभावी ढंग से सुरक्षित करना है। घरेलू हिंसा संरक्षण कानून इसलिए पारित किया गया था ताकि महिलाओं के हितों को बेहतर ढंग से सुरक्षित किया जा सके। इसलिए गुजारे भत्ते को लेकर निचली अदालत की ओर से जारी आदेश के खिलाफ पति की याचिका को खारिज किया जाता है। क्योंकि सर्जरी के जरिए जब तृतीय पंथी महिला बनता है तो वह कानून के तहत पीड़ित की परिभाषा के दायरे में आ जाता है। लिहाजा इस मामले में महिला गुजाराभत्ता पाने की हकदार है। इससे पहले निचली अदालत ने मामले से जुड़ी महिला को 12 हजार रुपए प्रतिमाह गुजाराभत्ता देने का निर्देश दिया था, जिसे पति ने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। पति ने याचिका में दावा किया था कि उसकी पत्नी मूल रूप से तृतीयपंथी थी सर्जरी के जरिए वह महिला बनी है। इसलिए वह गुजाराभत्ता पाने का हक नहीं रखती है। किंतु खंडपीठ ने पति के इस तर्क को अस्वीकार कर दिया और उसकी याचिका को खारिज कर दिया।
Created On :   31 March 2023 7:21 PM IST