आकाशीय बिजली गिरी तो खतरे में पड़ सकता है प्राचीन धरोहरों का अस्तित्व

If celestial lightning falls, the existence of ancient heritage may be in danger
आकाशीय बिजली गिरी तो खतरे में पड़ सकता है प्राचीन धरोहरों का अस्तित्व
आकाशीय बिजली गिरी तो खतरे में पड़ सकता है प्राचीन धरोहरों का अस्तित्व

डिजिटल डेस्क जबलपुर । बारिश के मौसम में हमेशा आकाशीय बिजली गिरने का खतरा बना रहता है। इस साल आकाश से गिरने वाली बिजली के कारण सैकड़ों लोगों की जान जा चुकी है, इसके साथ ही कई प्राचीन इमारतों और धार्मिक स्थलों को भी भारी नुकसान हुआ है। हाल ही में पुरी मंदिर के बाद जयपुर के आमरे किले जैसी पुरातात्विक धरोहरों पर जो तबाही हुई उसने हर किसी को सोचने पर मजबूर कर दिया है। पुरातत्व विभाग के अधीन आने वाली प्राचीन धरोहरें हमेशा से पर्यटन का केन्द्र रही हैं, इनसे शासन-प्रशासन हर साल लाखों-करोड़ों की कमाई भी करता है, लेकिन इनके रख-रखाव को लेकर सिर्फ औपचारिकताएँ होती हैं। जबलपुर जिले की प्राचीन धरोहरों की बात करें तो यहाँ पुरातत्व विभाग के अधीन पाँच प्रमुख स्थान हैं, इनमें भेड़ाघाट चौसठ योगिनी की प्रतिमाएँ व इसी प्रांगण में बना गौरी-शंकर मंदिर, मदन महल किला, मझौली का विष्णु-वराह मंदिर और तेवर का त्रिपुर सुंदरी मंदिर शामिल हैं। इनमें से सिर्फ चौसठ योगिनी मंदिर में ही आकाशीय बिजली से बचाव के लिए तडि़त चालक लगा हुआ है, बाकी सभी धरोहरें भगवान भरोसे हैं। हालाँकि हाल ही की घटनाओं को देखते हुए पुरातत्व विभाग ने इन धरोहरों में तडि़त चालक लगाने के लिए कवायद शुरू कर दी है। 
इनका कहना है
जबलपुर जिले में पाँच प्राचीन धरोहरें पुरातत्व विभाग के अधीनस्थ हैं। चौसठ योगिनी मंदिर के गौरी-शंकर मंदिर में तडि़त चालक लगी हुई है, लेकिन अन्य स्थानों पर नहीं है। लेकिन हाल की घटनाओं के बाद इनकी सुरक्षा के मद्देनजर सभी जगहों पर तडि़त चालक के साथ प्राकृतिक आपदा से होने वाले नुकसान के बचाव के लिए व्यवस्थाएँ की जाएँगी। 
-सुजीत नयन अधीक्षण पुरातत्व विभाग जबलपुर सर्किल
 

Created On :   15 July 2021 7:41 PM IST

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