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नियमानुसार न हुआ अस्पतालों के जैविक कचरे का डिस्पोजल तो सरकार को देना होगा हर माह एक करोड़ रुपए का मुआवजा
चिकित्सा अपशिष्ट नियमों की अनदेखी किए जाने पर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने दिया अहम फैसला
डिजिटल डेस्क जबलपुर । नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल नई दिल्ली ने मप्र सरकार को कहा है कि यदि अस्पतालों से निकलने वाले जहरीले कचरे के विनिष्टीकरण की प्रक्रिया दो माह में शुरु नहीं होती तो उसे हर माह एक करोड़ रुपए का मुआवजा देना होगा। अपने फैसले में अधिकरण के न्यायिक सदस्य एसएस सिंह की बैंच ने स्पष्ट किया है कि यह राशि तब तक देना पड़ेगी, जब तक कि नियमों का पालन सुनिश्चित नहीं हो जाता।
ट्रिब्यूनल ने यह फैसला नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच के डॉ. पीजी नाजपांडे की ओर से दायर मामले पर दिया। पहले यह मामला जनहित याचिका के रूप में हाईकोर्ट में दायर किया गया था, लेकिन मुद्दा पर्यावरण से जुड़ा होने की वजह से उसे ट्रिब्यूनल में ट्रांसफर किया गया था। ट्रिब्यूनल ने अपने फैसले में कहा है कि 25 प्रतिशत अस्पतालों में बायो मेडिकल अपशिष्ट नियम 2016 का पालन नहीं किया जा रहा, जो काफी चिंता का विषय है। कोरोना काल में मास्क, ग्लब्स आदि के डिस्पोजल में भी नियमों का सख्ती से पालन सुनिश्चित करने सरकार को कहा गया है।
Created On :   12 Aug 2020 2:19 PM IST