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कृषि सुधार विधेयकों के खिलाफ आईफा लड़ेगी कानूनी लड़ाई
डिजिटल डेस्क, मुंबई। केंद्र सरकार द्वारा हाल ही में बनाए गए किसान सुधार कानून से पंजाब, हरियाणा ही नहीं देश के कई हिस्सों के किसान नाराज हैं। अखिल भारतीय किसान महासंघ (आईफा) के संयोजक राजाराम त्रिपाठी ने कहा कि सरकारें किसानों के अधिकारों की बातें तो खूब करतीं हैं, लेकिन वास्तव में जब इसका समय आता है, तो वे कॉर्पोरेट के पक्ष में खड़ी नजर आतीं हैं। सरकार द्वारा हाल ही में पारित विधेयकों में कुछ संशोधन बेहद जरूरी हैं, लेकिन सरकारो को इसमें कोई रुचि नहीं है। डॉ त्रिपाठी ने कहा कि आठ और नौ अक्टूबर को पद्म पुरस्कार से सम्मानित तथा देश के कुछ प्रतिष्ठित प्रगतिशील किसानों तथा केंद्रीय कृषि मंत्री के साथ इस बिल पर चर्चा के लिए बैठक रखी गई थी, लेकिन अंतिम समय में एजेंडे में संशोधन से संबंधित मुद्दों को ही हटा दिया गया। इन बैठकों में आईफा की ओर से भाग लेने के लिए वे दिल्ली गए थे, लेकिन जब एजेंडे में संशोधन वाले मुद्दे को हटा दिया गया तो आईफा ने इस बैठक का बहिष्कार कर दिया। उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा थोपे जा रहे कानून के खिलाफ अब किसानों के पास अदालत का ही सहारा है। इसलिए आईफा भी किसानों की कानूनी लड़ाई में शामिल होगी और अधिवक्ता मोहनलाल शर्मा की याचिका जिस पर सोमवार को सुनवाई होनी है उसका समर्थन करेगी।
डॉ त्रिपाठी के मुताबिक केंद्र सरकार के जो तीनों बिल द फार्मर्स (एंपावरमेंट एंड प्रोटेक्शन) एग्रीमेंट ऑन प्राइस अश्योरेंस, द फॉर्मर्स प्रोड्यूस ट्रेड एंड कॉमर्स (प्रमोशन एंड फैसिलिटेशन) और द एसेंशियल कमोडिटीज (अमेंडमेंट) पास की है वह सभी विधेयक किसानों के अधिकारों के खिलाफ हैं। डॉ त्रिपाठी ने कहा कि अगर इन विधेयकों में संशोधन नहीं किया गया तो आगे चलकर किसानी और खेती कॉर्पोरेट के नियंत्रण में आ जाएगी।
Created On :   11 Oct 2020 6:13 PM IST