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सुधार और रोजगार प्रशिक्षण साथ-साथ, मनोचिकित्सालय में रोगियों का बढ़ रहा मनोबल
डिजिटल डेस्क, नागपुर। प्रादेशिक मनोचिकित्सालय में मनोरोगियों का सुधार करने के लिए नया प्रयोग किया जा रहा है। इसके अंतर्गत मनोरोगियों को विविध प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इससे उनमें सकारात्मक बदलाव दिखाई देने लगा है। यहां के डे-केयर सेंटर में सुबह 11 बजे से मनोरोगियों को उपचार के साथ-साथ विविध कामों का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। 4 महीने पहले ही इसकी शुरुआत की गई है। वर्षों से मानसिक बीमारी से त्रस्त रोगियों के भीतर छिपे कला गुणों को बाहर निकालने का काम प्रादेशिक मनोचिकित्सालय में किया जा रहा है। इसके लिए खास तौर पर डे-केयर सेंटर बनाया गया है। इस केंद्र में मनोरोगियों को आजीविका के लिए व्यवसाय का प्रशिक्षण दिया जा रहा है।
यहां खेलकूद, कंप्यूटर शिक्षा, कैरम आदि के माध्यम से मनोरोगियों की एकाग्रता बढ़ रही है, साथ ही वे तेजी से सुधरने लगे हैं। यह डे-केयर सेंटर टाटा ट्रस्ट के उड़ान प्रकल्प अंतर्गत चलाया जा रहा है।
डे-केयर सेंटर में हर दिन 10 से 15 मनोरोगी आते हैं। इनमें से अधिकतर मनोरोगी ठीक हो जाते हैं। कुछ का उपचार शुरू होता है। यह भी सामान्य होते हैं। इन्हें थैले बनाना, झाड़ू बनाना, कागज की विविध सामग्री तैयार करना, खेती करना आदि का प्रशिक्षण दिया जाता है। पिछले 4 महीने में 50 से अधिक लोगों को प्रशिक्षण दिया गया है। यह निरंतर जारी है। डे-केयर सेंटर में आने वाले मनोरोगी सुबह आते हैं, शाम को घर लौट जाते हैं। कुछ मनोरोगियों को परिजन लेकर आते हैं। कुछ सुधर चुके लोग स्वयं आ जाते हैं।
सरकार ने राज्य के ठाणे, रत्नागिरी, पुणे व नागपुर स्थित चार प्रादेशिक मनोचिकित्सालय में डे-केयर सेंटर शुरू किया है। नागपुर में बड़ी संख्या में वर्षों से मानसिक रोग से पीड़ित लोग हैं। उनमें से कुछ सुधर भी चुके हैं, वहीं मनोचिकित्सालय में हर समय 450 से अधिक मनोरोगी उपचार लेते हैं। मनोरोगियों को लेकर आज भी समाज में कई भ्रांतियां हैं। ऐसे में उन्हें रोजगार उपलब्ध कराने के लिए कोई प्रशिक्षण देने को तैयार नहीं होता। उनके साथ अपनेपन का व्यवहार नहीं किया जाता। ऐसे में सुधार के बावजूद मनोरोगी मुख्य धारा से दूर रहते हैं। परिजन व रिश्तेदार भी मनोरोगियों काे अपने साथ रखने में हिचकिचाते हैं। घर ले गए तो भी उनके साथ असामान्य बर्ताव किया जाता है। इससे उनकी मानसिकता और खराब हो जाती है।
मनोरोगियों को मुख्य धारा में लाने के लिए डे-केयर सेंटर की शुरुआत की गई है। यहां उनके उपचार के साथ ही समुपदेशन किया जाता है। इसके अलावा उनके भीतर के कलागुणों को बाहर निकाला जाता है। उन्हें विविध व्यवसाय का प्रशिक्षण दिया जाता है। इसमे घरेलू उत्पाद, कागज की सामग्रियां, थैले आदि का समावेश है। इन वस्तुओं को तैयार कर उसकी बिक्री की जाती है। इसके लिए अलग-अलग क्षेत्रों के लोगों की मदद ली जाती है।
Created On :   18 Jan 2022 5:02 PM IST