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गिरदावरी में बोनी का जितना रकवा उसके विरूद्ध उपार्जन में ४० फीसदी से कम पंजीयन
डिजिटल डेस्क, पन्ना। सरकार द्वारा किसानों को उनकी फसल के एवज में उचित दाम मिले इसके लिये फसल उपज पर समर्थन मूल्य तय किया जाता है तथा सरकार किसानों से समर्थन मूल्य कुछ फसलों के मामलें में उपार्जन का कार्य भी करती है किंतु सरकार द्वारा उपार्जन के लिये बनाई नीति में बदलाव तथा उपार्जन कार्य में गुणवत्ता को लेकर कठोर मापदण्डों एवं समय पर भुगतान नहीं मिल पाने की वजह से सीमांत एवं लघु किसानों का मोह भंग हो रहा है। रबी सीजन समर्थन मूल्य पर गेंहँू, चना, सरसों, मसूर को उपार्जन को लेकर किसानों का जो पंजीयन हुआ है उससे निकलकर सामने आये आंकड़ो से यह सवाल खड़े होने लगा है। फसल उपार्जन के लिये किसान पंजीयन का कार्य बीते १० मार्च को बंद हो गया है। जिसकी जानकारी के अनुसार समर्थन मूल्य पर उपार्जन के लिये पन्ना जिले में रबी सीजन २०२२ में कुल ३८६०९ किसानों ने पंजीयन कराया है। जोकि रबी सीजन २०२१ में पंजीयन कराने वाले किसान पंजीयन संख्या ५७७५१ की तुलना में १९१४२ कम हो गया है। जहां इस बार पंजीयन में किसानों की संख्या लगभग ३३ फीसदी घट गई है। वहीं पटवारियों द्वारा फसलों की बोनी रकवा के लिये जो गिरदावरी का रकवा दर्ज किया गया है उसकी तुलना में मात्र ३९.७० प्रतिशत रकवे पर ही उपार्जन के लिये पंजीयन हुआ है। गिरदावरी में गेहँू, चना, मसूर, सरसों की बोनी का कुल रकवा रबी सीजन २०२२ में २ लाख ३५ हजार ९२७ हेक्टेयर दर्ज हुआ है जिसके विरूद्ध पन्ना जिले में सीजन वर्ष २०२२ में किसान पंजीयन ३८०६९ में फसलवार गेहँू, चना, सरसों मसूर का कुल रकवा ९३ हजार ६८४ हेक्टेयर पर ही पंजीयन है अर्थात पटवारियों ने गिरदावरी में उक्त चार फसलों की बोनी का जो रकवा दर्ज किया गया है उसके विरूद्ध उपार्जन के लिये मात्र ३९.७० प्रतिशत पंजीयन हुआ है शेष ६० प्रतिशत से अधिक बोनी के रकवे पर किसान बाजार एवं व्यापारियों पर उनके द्वारा तय किये गये दामों में बेचने के लिये मजबूर रहेगें।
रबी सीजन २०२१ में ५० फीसदी से भी अधिक रकवे पर हुआ था पंजीयन
गत वर्ष रबी सीजन २०२१ में फसल गिरदावरी में कुल ०२ लाख ४६४५९ हेक्टेयर पर गेहँू, चना, मसूर, सरसों की बोनी हुई थी। जिसके विरूद्ध ५१.६७ फीसदी रकवा ०१ लाख २७ हजार ३६९ हेक्टेयर पर उक्त उपज के लिये कुल ५७ हजार ७५१ किसानों द्वारा पंजीयन कराया गया था। किसान पंजीयन के रकवे और गिरदावरी में दर्ज रकवें में ६० प्रतिशत से भी अधिक अंतर कुछ लोग यह भी कह रहे है कि पटवारियों द्वारा फसल गिरदावरी में फसलों की बोनी संबंधी जानकारियां किसानों के खेतों की जांच किये बगैर मनमाने तरीके से दर्ज कर दी जाती है।
रबी उपार्जन पंजीयन की तुलनात्मक स्थिति ,
फसल पंजीयन रबी २०२१ पंजीयन २०२२ पंजीयन में कमी
गेहँू ५१२८९ ३५१०६ १६१८३
चना २६९११ १६६२४ १०२८७
मसूर ८६११ ६३९४ २२१७
सरसों ७५१५ ६०३५ १४८०
कुल किसान ५७७५१ ३८६०९ १९१४२
कुल रकवा है. १२७३६९.४८ ९३६८४.८९ ३३६८४.५९
गिरदावली में बोनी का फसल वार रकवा हैक्टेयर में
फसल रबी २०२०-२१ रबी २०२१-२२
गेहँू १५००१०.७४ १३७८८९.२४
चने ७१८६४.६८ ६०४५३.९८
मसूर १२५८२.५६ १८६३२.९५
सरसों १२००१.८७ १८९५१.००
कुल २४६४५९.८७ २३५९२७.१९
पंजीयन को आसान करने का दावा तो फिर क्यों घटा पंजीयन
समर्थन मूल्य पर किसान अपनी उपज विक्रय कर सके इसके लिये जिन किसानों का पंजीयन कराया है उन्हीं किसानों से ही फसल खरीदी जाती है। ऐसे में अधिकाधिक संख्या में किसान पंजीयन करायें इसके लिये इस बार पंजीयन नीति में किसानों को पंजीयन कराने के लिये कई विकल्प दिये गये थे। उसके बावजूद ३० फीसदी से भी अधिक किसानों का पंजीयन पिछले वर्ष की तुलना में क्यों घट गया है यह एक बड़ा सवाल है। जिसका संतोषजनक जबाव ढूँढने को नहीं मिल पा रहा है। सामाजिक संस्था समर्थन के ज्ञानेन्द्र तिवारी का कहना है कि ज्यादातर किसानों के पास खेती के लिये थोड़ी ही जमींन है ऐसे किसान जिनकी पैदावार ४ से २१ क्ंिवटल के बीच है उनकी संस्था द्वारा किये गये एक सर्वे से जो जानकारी निकलकर सामने आई है उसके मुताबिक उन्हें रूपयों की तत्काल जरूरत होती है और ऐसे में वह व्यापारी के पास सस्ते दर पर फसल बेंचने के लिये मजबूर हो जाते है। आधार बायोमैट्रिक पंजीयन को लेकर भी ग्राउंड लेवल पर किसानों को पंजीयन कराने के दोैरान परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। पंजीयन को लेकर मोबाईल आधार लिंक, आधार बेस भुगतान की प्रक्रिया की वजह से भी कई किसान पंजीयन से दूर हुये है। किसान शालिगराम ने बताया कि किसानों को उपार्जन केन्द्र में उपज विक्रय के दौरान कई तरह की परेशानी का सामना करना पड़ता है। इस बार खरीदी केन्द्रों में किसानों को फसल में छन्ना लगाने के लिये प्रति क्ंिवटल के हिसाब सें कीमत तय की गई र्है इस कार्य में इनसे उनका काफी अनाज छन्ने से जो अलग हो जाता है वह जमा भी नहीं होगा। इसके साथ ही किसानों को उपार्जन केन्द्र तक फसल ले जानेे भाडा भी देना पड़ता है। कई बार उपार्जन केन्द्र में लंबे समय तक तुलाई के लिये भी इंतजार करना पड़ता है। भुगतान की व्यवस्था भी इंतजार कराने वाली है ऐसे छोटे और मझोले किसान एमसपी के फायदे से वंचित होने के लिये विवश है।
आधार से आखिरी में लिंक बैंक खाते में आयेगा भुगतान
समर्थन मूल्य उपार्जन के लिये पिछले साल की अपेछा कम किसानों ने पंजीयन कराया है जिसमें पहली बार बायोमैट्रिक सत्यापन की एक वजह बताई जा रही है। अधिकारी नई प्रक्रिया में पारदर्शिता के कारण इस वर्ष फेयर पंजीयन बता रहे है जबकि प्रत्येक किसान का अलग मोबाईल नम्बर आधार और बैंक खाते से लिंक होने की अनिर्वायता भी कम पंजीयन का कारण है। आधार से एक से अधिक खातें लिंक होने पर भुगतान किस खातें में आयेगा पंजीयन कराने में किसानों के लिये यह भी बड़ी उलझन रही। पंजीयन की अंतिम तिथि निकल जाने के बाद अधिकारी यह स्पष्ट कर पाये है कि आधार से आखिरी में लिंक किये गये खाते में किसान का भुगतान किया जायेगा। समर्थन से भी अधिक बाजार मूल्य भी कम पंजीयन होने का कारण बताया जा रहा है। गिरदावरी में रकवा फसल पंजीयन को लेकर शिकायतेंं सामने आई है। बताया जा रहा है पोर्टल पर फसल ओपन न होने के कारण भी कई किसान पंजीयन नही करा पाये है।
इनका कहना है
""मैंनें उपार्जन और गिरदावरी के आकड़े अभी नहीं देखे हैं चना, मसूर, सरसों की बाजार दरें एमसपी से अधिक है जिससे पंजीयन में गिरावट हो सकती है। पंजीयन को लेकर जो आधार बेस प्रक्रिया पारदर्शिता के लिये की गई है वह भी एक कारण हो सकता है। इस संबंध में ज्यादा सही स्थिति का आकंलन खाद्य एवं आपूर्ति विभाग से मिलेगा।
Created On :   16 March 2022 12:19 PM IST