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मेयो में ड्रेसर का पद नहीं अटेंडेंट कर रहे हैं काम
डिजिटल डेस्क, नागपुर। शहर के दूसरे क्रमांक के सबसे बड़े सरकारी मेयो अस्पताल में धोबी व ड्रेसर के पद नहीं होने से उनका काम अटेंडेंट से करवाए जाते हैं। बरसों से मेयो अस्पताल में दोनों पद आस्थापित नहीं है। करीब 10 साल पहले मेयो प्रशासन ने अपनी तरफ से प्रयास किया था। ड्रेसर के पदों को अास्थापना में शामिल करने का प्रस्ताव दिया गया था, लेकिन इसमें सफलता नहीं मिली है। सूत्रों के अनुसार कुछ साल पहले तत्कालीन अधिष्ठाता डॉ. प्रकाश वाकोडे ने ड्रेसर का पद आस्थापना में शामिल करने और पदों की भरती करने के लिए तत्कालीन चिकित्सा संचालक प्रवीण शिनगारे को प्रस्ताव भेजा था। इस प्रस्ताव को मंजूर करने के लिए कई बार पत्राचार किया गया, लेकिन प्रस्ताव पर सकारात्मक पहल नहीं की गई। इसके बाद मेयो के दूसरे अधिकारियों ने भी इस प्रस्ताव को मंजूरी के लिए पत्राचार किया। बावजूद इसके स्थिति नहीं बदल पाई। कुछ महीने पहले सेवानिवृत्त हुए अधिष्ठाता डॉ. अजय केवलिया के कार्यकाल में भी इस प्रस्ताव पर अमल नहीं हो पाया। बरसों से प्रस्ताव की फाइल चिकित्सा संचालक कार्यालय में है धूल खाती पड़ी है, लेकिन सकारात्मक पहल नहीं हो पा रही है।
मिलता है केवल आश्वासन : सूत्रों के अनुसार इंदिरा गांधी चिकित्सा महाविद्यालय व अस्पताल (मेयो) में शुरुआत से ही ड्रेसर के पद नहीं हैं। यहां की अास्थापना में इन पदों को शामिल नहीं किया गया है। मेयो प्रशासन द्वारा इन पदों को आस्थापित करने के लिए प्रयास किया गया था। चिकित्सा संचालक व विभाग के मंत्री द्वारा केवल आश्वासन दिया जाता है, सकारात्मक पहल नहीं की जाती। इसलिए यह पद आस्थापित नहीं हो पाए हैं। अब ड्रेसर का काम अटेंडेंट से करवाए जाते हैं।
अप्रशिक्षित अटेंडेंट करते हैं ड्रेसिंग : पहले मेयो अस्पताल की बिस्तर क्षमता 592 थी। समय-समय पर आवश्यकता के अनुसार बिस्तर क्षमता बढ़कर 850 की गई। पहले के मुकाबले शल्यक्रिया की संख्या में भी बढ़ोतरी हुई है। कोरोनाकाल के दौरान कोविड हॉस्पिटल तैयार किया गया। इसके कारण काम का बोझ बढ़ गया था। अस्पताल की ओपीडी में सामान्य व छोटी-छोटी शल्यक्रिया की जाती है, जबकि ओटी में बड़ी शल्यक्रिया होती है। शल्यक्रिया के दौरान वहां ड्रेसर का होना आवश्यक होता है। अस्पतालों में छोटी-बड़ी शल्यक्रिया के बाद प्रशिक्षित ड्रेसर द्वारा ड्रेसिंग की जाती है, लेकिन मेयो अस्पताल में ड्रेसिंग करने के लिए प्रशिक्षित ड्रेसर नहीं है। अप्रशिक्षित लोगों के भरोसे ही ड्रेसिंग की जाती है। ड्रेसिंग करने का काम अटेंडेंट से करवाया जाता है।
धोबी व नाई के पद भी नहीं : मेयो में ड्रेसर के अलावा धोबी, नाई आदि पदों की आस्थापना नहीं है। इसलिए धोबी व नाई का काम पड़ने पर उन्हें बाहर से बुलाया जाता है। कई बार उनके समय पर उपलब्ध नहीं होने पर समस्याएं पैदा हो जाती हैं। बताया जाता है कि चिकित्सा शिक्षा व संशोधन विभाग के मंत्री और चिकित्सा संचालक जब भी शहर के दौरे पर आते हैं, तो उन्हें समस्याओं से अवगत कराया जाता है। ड्रेसर समेत अन्य पदों की भरती करने की गुहार लगाई जाती है, लेकिन हर बार केवल आश्वासन दिया जाता है। ड्रेसर का काम करने वाले अटेंडेंट को अलग से मानधन भी नहीं दिया जाता। यह लोग डॉक्टरों या अधिकारियों के निर्देश के अनुसार काम करते हैं।
Created On :   22 Feb 2022 6:41 PM IST